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मध्य प्रदेश में लाड़ली लक्ष्मी दो शुरू, सीएम का 52 जिलों में 52 लाड़ली लक्ष्मी पथ का ऐलान

मध्य प्रदेश की आदर्श योजना लाड़ली लक्ष्मी के नए संस्करण के रूप में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने लाड़ली लक्ष्मी दो का ऐलान किया। इसमें बड़ी घोषणाएं करते हुए कहा कि अब प्रदेश के 52 जिलों में 52 लाड़ली लक्ष्मी पथ होंगे। इन पथों का नाम लाड़ली लक्ष्मियों के नाम पर रखा जाएगा। साथ ही लाड़ली लक्ष्मी वाटिकाएं भी बनाई जाएंगी।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भोपाल में लाड़ली लक्ष्मी दो की शुरुआत करते हुए 1437 लाड़ली लक्ष्मियों के खातों में सिंगल क्लिक से 12500-12500 रुपए स्थानांतरित किए। सीएम ने कहा कि अब प्रदेश में बेटियों के नीट, क्लेट या अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं के माध्यम से मेडिकल कॉलेज, इंजीनियरिंग कॉलेज, आईआईटी, आईआईएम या अन्य राष्ट्रीय शिक्षण संस्थानों में प्रवेश होगा तो सरकार उसकी फीस का आर्थिक भार उठाएगी। इसमें परिवार पर बेटियों की शिक्षा का भार नहीं पड़ेगा।
सीएम ने सुनाई लाड़ली लक्ष्मी की कहानी
सीएम चौहान ने कार्यक्रम में मौजूद लाड़ली लक्ष्मियों को लाड़ली लक्ष्मी की कहानी भी सुनाई। उन्होंने कहा कि उनके गांव जैत में जब बेटा होता था बैंड बजता था या बैंड नहीं मिलते तो ढपले बजते थे। बेटी के जन्म पर कोई जश्न नहीं मनाता था। उन्होंने देखा था कि बेटियों के साथ अन्याय होता था और बहुओं के साथ भी अन्याय होता रहा। चौहान ने कहा कि बेटियों को जन्म के पहले ही कोख में मार दिया जाता था और कोख को कत्लखाना बना दिया था।
भांजियों की शादी का सिलसिला ऐसे शुरू हुआ
सीएम चौहान ने भांजियों की शादी अपने खर्च पर कराने का उन्होंने बोरना गांव से शुरुआत की थी। वे जब छोटे थे तो अच्छे वक्ता थे और एक बार एक समाज के सम्मेलन में ठन्होंने मंच पर बोलने का मौका दिया गया। मंच पर वे बेटी को आने दो, बेटी है तो कल है कह रहे थे तभी एक बूढ़ी अम्मा खड़ी होकर बोली कि बेटी आ गई तो दहेज कहां से लाएगो। उस समय मन में विचार आया कि बेटी पैदा होते ही लखपति बन जाए, यह होना चाहिए। जब सांसद बना तब पदयात्रा में बोरना पहुंचे तो एक बेटी की शादी होने वाली थी और उसके पिता ने पैसे के लिए सरकारी मदद मांगी। मगर समय दो दिन थे तो उन्होंने अपने खर्च पर उसकी शादी कराई और तब से वे बेटियों की शादी के लिए कार्यक्रम करने लगे।
लाड़ली लक्ष्मी योजना की शुरुआत
मुख्यमंत्री ने बताया कि जब सीएम पहली बार सीएम बने तो अधिकारियों के सामने लाड़ली लक्ष्मी योजना का जिक्र किया और इसे लागू करने के लिए प्रारूप बनाने के निर्देश दिए। अधिकारियों ने ऐसी योजना से सरकारी खजाना खाली होने की आशंका जताई लेकिन उन्होंने अपनी योजना को लागू करने का मन बना लिया था। उन्होंने इसकी शुरुआत में बेटी के जन्म पर उसके खाते में 30 हजार रुपए बच्ची के नाम से डालने की शुरुआत की और फिर बेटी की पढ़ाई के खर्च को सरकार के माध्यम से देना शुरू किया। स्कूल तक जाने के लिए बेटियों को साइकल उपलब्ध कराई। इस तरह लाड़ली लक्ष्मी योजना शुरू हुई और आज 43 लाख लाड़ली लक्ष्मी मध्य प्रदेश में हैं। जो उस समय बच्ची थीं आज वो कॉलेज में पढ़ रही हैं।
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