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मध्य प्रदेश आयुर्वेद शिक्षा पर संकट, तीन सरकारी कॉलेजों की मान्यता निरस्त

मध्यप्रदेश के ज्यादातर सरकारी आयुर्वेद कॉलेजों की मान्यता खतरे में पड़ गई है। इन कॉलेजों के पास स्टूडेंट्स तो हैं लेकिन पढ़ाने के लिए फैकल्टी नहीं है। फैकल्टी की कमी की वजह से बुरहानपुर, रीवा, जबलपुर की स्नातक की मान्यता और उज्जैन की द्रव्यगुण रचना, पीजी की मान्यता निरस्त हो गई है। इंदौर शासकीय आयुर्वेदिक कॉलेज को सशर्त मान्यता दी गई है जबकि खुशीलाल आयुर्वेदिक कॉलेज की पीजी की मान्यता खतरे में है।
प्रदेश में 7 आयुर्वेद महाविधालय है, जहां पिछले कई वर्षो से भारतीय राष्ट्रीय चिकित्सा पद्धति नई दिल्ली (एनसीआईएम) द्वारा सशर्त मान्यता दी जा रही है। पिछले दो वर्षो में कोरोना के कारण निरीक्षण नही हो सका और विभाग के आयुक्त द्वारा पूर्व में जो कमी थी उसे पूरा करने के लिए शपथ पत्र प्रस्तुत कर उसे हर हाल मे पूरा करने को कहा मगर जैसे ही महाविद्यालय को सशर्त मान्यता मिल जाती वैसे ही विभाग के ज़िम्मेदार अधिकारी उसकी शर्तों को भूल जाते। जब दोबारा मान्यता की बात आती तो आनन-फानन में व्यवस्था में लग जाते हैं। दो-तीन महीनों के लिए शिक्षक स्टाफ का अस्थाई व्यवस्था कर लेते है।
फैकल्ट हैं मगर मनपसंद के स्थान पर पदस्थ
वर्तमान में फैकल्टी जिसकी कालेज में पदस्थापना है, यहां के टीचर्स कालेज में न रहकर अन्य जगह पदस्थ है। बुरहानपुर आयुर्वेदिक कॉलेज के लेक्चरर डॉ अरविंद पटेल वर्तमान में प्रतिनयुक्ति पर संचालनालय आयुष में पदस्थ हैं जबकि कालेज सेक्शन पूर्व में प्रोफ़ेसर प्राचार्य केडर के अधिकारी देखते थे। ऐसे ही अन्य अधिकारी कोई पिछड़ा वर्ग आयोग तो कोई अनुसूचित जाति आयोग में प्रतिनयुक्ति पर है । कोई राजधानी के कालेज में वर्षो से पदस्थ है. जबकि उनकी मूल पदस्थापना बुरहानपुर आर्युवेदिक कालेज है ।
- वर्तमान स्थिति
- भोपाल की खुशीराम आयुर्वेदिक कॉलेज में यूजी के साथ पीजी संचालित है. एक दर्जन से ऊपर मेडिकल ऑफिसर जिनकी पोस्टिंग प्राथमिक स्वास्थ केंद्र के लिए हुई शिक्षकों के रिक्त पदों के विरुद्ध पदस्थ है. लगभग 4 विषयो में पीजी की मान्यता जाने का खतरा मंडरा रहा है.
- बुरहानपुर आयुर्वेदिक कॉलेज में 4 से 5 फैकल्टी बाकी मेडिकल ऑफिसर के कंधो पर भार है मान्यता मिलना नामुमकिन. बुरहानपुर के डॉ अरविंद पटेल वर्तमान में संचालनालय में पदस्थ, डॉ सूरज कोदरे पिछड़ा वर्ग आयोग भोपाल में पदस्थ, डॉ अश्वनी विद्यार्थी पिछड़ा वर्ग आयोग भोपाल में पदस्थ एवं अन्य लोग विभन्न महाविद्यालय में पदस्थ फिकेल्टी के नाम पर प्राचार्य समेत मात्र 6 शिक्षक ही हैं.
- उज्जैन यहां भी यूंजी के साथ पीजी है. वर्तमान में एक पीजी विषय की मान्यता जाने का खतरा में है. उज्जैन में 2 विषय में पीजी की मान्यता जा रही है.
*:इंदौर यहां पर सिर्फ यूजी है. वर्तमान में शिक्षकों के रिक्त पदों के विरूद्ध मेडिकल ऑफिसर कार्य कर रहे है. सशर्त मान्यता मिली है. - रीवा आयुर्वेदिक कॉलेज में संहिता सिद्धांत में पीजी पाठयक्रम संचलित है मगर हायर फैकल्टी की कमी के कारण यूजी की मान्यता खतरे में है.
- जबलपुर यहां भी वर्तमान में सिर्फ यूजी संचलित है मगर नए सत्र के लिए हायर और लोअर फैकल्टी की कमी है.
- ग्वालियर यहां पीजी व यूजी संचलित है किन्तु हायर फैकल्टी की कमी के कारण मान्यता पर खतरा.
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