अद्वैत जागरण शिविर का दीक्षांत समारोह में 56 युवाओं को दीक्षांत

आचार्य शंकर सांस्कृतिक एकता न्यास द्वारा शुक्रवार को अद्वैत जागरण शिविर का दीक्षांत समारोह आयोजित किया गया।मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अध्यक्षता करते हुए कहा कि औंकारेश्वर में आचार्य शंकर की 108 फीट ऊंची प्रतिमा स्थापना का संकल्प लिया था। चौहान ने कहा कि उनके मन में हमेशा से यह बात थी कि एक ऐसा विश्व हो जो सब तरह के कलुष से मुक्त हो और जहां रहने वाले पूरी धरती को एक ही कुटुंब के भाव से देखें। अद्वैत के विचार में मैंने उस शक्ति का अनुभव किया और तब लगा कि ओंकारेश्वर में अद्वैत के विचार का शक्तिशाली केंद्र बनना चाहिए।

दीक्षांत समारोह भोपाल के भारत भवन में संपन्न हुआ। संस्कृति विभाग के अंतर्गत आचार्य शंकर सांस्कृतिक एकता न्यास द्वारा आयोजित अद्वैत जागरण शिविर योजना के अनुसार सात दिवसीय फाउंडेशन कोर्स तथा दस दिवसीय एडवांस कोर्स कर चुके 56 युवाओं का दीक्षांत हुआ। इसमें विशिष्ट अतिथि के रूप में शिविरों के आचार्यगण स्वामी परमात्मानंद सरस्वती, आर्ष विद्या मंदिर राजकोट; स्वामी समानंद गिरी, सप्तमातृका आश्रम महेश्वर तथा ब्रह्मचारिणी मैत्रेयी चैतन्य, चिन्मय मिशन पुणे भी उपस्थित रहे। युवाओं को अंगवस्त्रम, माला, भगवद्गीता, शंकराचार्य जी का चित्र तथा दीक्षांत का प्रशस्ति पत्र भेंट कर सम्मानित किया गया। इसमें युवा प्रतिभागियों ने शिविरों के अपने अनुभव भी साझा किए तथा सभी ने अद्वैत वेदांत दर्शन के लोकव्यापीकरण हेतु दृढ़ संकल्प लिया।
कार्यक्रम में प्रदेश के विभिन्न कलाकार कुलपति लेखक प्राध्यापक व संत जन सम्मिलित हुए।

सीएम चौहान ने कहा कि उनके मन में यह विचार था युवा पीढ़ी को अद्वैत के विचार वृत्त में लाने का। वे युवा जो हर राज्य से हों, हर भाषा के हों, हर विषय के हों। भारत के प्रति जिज्ञासा से भरे युवा, जो अपनी पढ़ाई पूरी करने वाले हैं और जीवन का आरंभ कर रहे हैं। ऐसे ऊर्जावान युवाओं को अद्वैत की पाठशालाओं और गुरुकुलों मंे भेजें। तब सात और दस दिन के दो कोर्स की रचना की गई, जिनका आधार बने आचार्य शंकर के दो ग्रंथ तत्वबोध और आत्मबोध। ये अत्यंत सरल और संक्षिप्त ग्रंथ अद्वैत वेदांत दर्शन के प्रवेश द्वार हैं, जिनकी रचना आचार्य शंकर ने संभवत: नए जिज्ञासुओं को प्रेरित करने के लिए ही की थी।
तीन शिविर राजकोट, माउंट आबू व वेलियानाड में हुए
चौहान ने इस पर प्रसन्नता जाहिर की कि न्यास की टीम के अथक प्रयासों से इन दो सालों में तीन शिविर राजकोट, माउंट आबू और वेलियानाड में हुए। इन शिविरों में देश के अलग-अलग हिस्सों से सवा सौ युवा आए थे, जिन्होंने आचार्य शंकर के ग्रंथ ‘तत्वबोध’ पर सात दिन का फाउंडेशन कोर्स और ‘आत्मबोध’ पर दस दिन का एडवांस काेर्स पूरा किया।

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