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अंतरराष्ट्रीय रामलीला उत्सवः श्रीलंका कलाकारों की श्रीराम-रावण काव्यम् व श्रीराम प्रेमभक्ति कथाः ओडिशा नृत्य की प्रस्तुति

श्रीरामकथा के विविध प्रसंगों एकाग्र सात दिवसीय अन्तरराष्ट्रीय श्रीरामलीला उत्सव के दूसरे दिवस शाम की प्रस्तुतियों में कला मंदिर ग्रुप- श्रीलंका के कलाकारों द्वारा श्रीराम- रावण काव्यम् एवं सुश्री मीरादास एवं साथी, भुवनेश्वर (उड़ीसा) द्वारा श्रीराम प्रेमभक्ति कथाः ओडिशा नृत्य रही। शुरूआत कलाकार के स्वागत से हुई। उत्सव में सर्वप्रथम नाट्य कला मंदिर ग्रुप- श्रीलंका के कलाकारों द्वारा श्रीराम- रावण काव्यम् की प्रस्तुति दी गई। प्रस्तुति में विशेषता रही कि इसमें राम, लक्ष्मण एवं अन्य किरदार महिला कलाकारों द्वारा किये जाते हैं। प्रस्तुति को भरतनाट्यम और श्रीलंका के कैंडीयन फोक डांस के माध्यम से दी गई। प्रस्तुति में कलाकारों ने शुरूआत में श्रीलंका के परिदृश्य को दिखाया एवं अगले दृश्य में रावण का आगमन होता है जो माता सीता का हरण कर लेता है।
मध्यप्रदेश शासन संस्कृति विभाग एवं भारतीय सांस्कृतिक सम्बन्ध परिषद् नई दिल्ली के सहयोग से सात दिवसीय अन्तरराष्ट्रीय श्रीरामलीला उत्सव का आयोजन रवींद्र भवन मुक्ताकाश मंच एवं परिसर पर किया गया है। अगले दृश्यों में मारीच वध, शूर्पणखा वध,किष्किंदा वन में सुग्रीव और हनुमान का मिलन, श्रीहनुमान का लंका में आगमन, श्रीराम-रावण युद्ध, अयोध्या में श्रीराम राज्याभिषेक दृश्य दिखाये गये। वर्ष 1976 में स्थापित नाट्य कला मंदिर, श्रीलंका प्रमुख सांस्कृतिक केंद्रों में से एक है। नाट्य कला मंदिर ने 42 वर्षों की अवधि में कई प्रतिभाशाली कलाकार और पेशेवर नर्तकों ने इस संस्था को नई ऊँचाईंयाँ प्रदान की है। कलाकारों को भारत में प्रदर्शन करने के कई अवसर प्राप्त हुये हैं इसके साथ ही बांग्लादेश, मलेशिया, सिंगापुर, दक्षिण अफ्रीका, कनाडा, स्वीडन, इंग्लैंड, और ऑस्ट्रेलिया एवं अन्य देशों में मंचन का सौभाग्य प्राप्त हुआ है।
उत्सव में अगली प्रस्तुति सुश्री मीरादास एवं साथी, भुवनेश्वर (उड़ीसा) द्वारा श्रीराम प्रेमभक्ति कथाः ओडिशा नृत्य की दी गई। प्रस्तुति के दौरान कलाकारों ने अहिल्या उद्धार दृश्य की प्रस्तुति दी। भगवान श्रीराम महर्षि विश्वामित्र के साथ यज्ञ के लिए आगे बढ़ते हैं, तब रास्ते में उन्हें एक वीरान कुटिया दिखाई पड़ती है। गुरु से उस कुटिया की कथा जानकर भगवान वहां मौजूद एक शिला को स्पर्श करते हैं। भगवान के स्पर्श करते ही वह शिला एक सुंदर स्त्री के रूप में प्रकट होती है। जिसका नाम अहिल्या था। जिसे गौतम ऋषि के श्राप ने एक शिला बना दिया था। अगले दृश्य में केवट प्रसंग, माता शबरी प्रसंग, रावण -जटायु युद्ध प्रसंग को दिखाया।
उड़ीसा की राम जात्रा का स्वरूप मुख्यतः नृत्य नाटिका का है। एक ओर संगीत मण्डली तो दूसरी और संगीत के साथ पत्रों का गाते हुए अभिनय उड़ीसा के लोक संगीत का प्रसंगलकूल उसकी एक प्रमुख विशेषता है। रामलीला में प्रयोग किये जाने वाले मुखौटे, खासकर जगन्नाथपुरी में ही उपलब्ध स्थानीय सामग्री से तैयार किये जाते हैं। लकड़ी के मुखौटे, घूमता हुआ पुष्पक विमान, चलता हुआ रथ आभूषण वेशभूषा आदि का निर्माण और उनका कल्पनाशील प्रयोग राम जात्रा में होता है। रामलीला के आयोजन के अवसर पर बांस, लकड़ी, घास, पोरा, ओगर, आदि से आठ मीटर ऊँचाई की रावण की मूर्ति बनाई जाती है, जिसके दस मुख और बीस भुजाएं होती हैं।
दोपहर गतिविधि में 17 अक्टूबर,2022 को सुश्री उमा सक्सेना एवं साथी, भोपाल द्वारा बुन्देली गीतों में श्रीराम एवं श्री लीलाधर रैकवार एवं साथी, सागर द्वारा ढिमरियाई नृत्य प्रस्तुति दी गई। कार्यक्रम की शुरूआत बुन्देली गीतों में श्रीराम में कलाकारों ने सोय रहीं बांई ओर जानकी श्रीराम जी के (कवित्त)…, झाँकी है न्यारी श्रीराम की (भजन)…, अवध में जन्मे श्रीराम सलोना (सोहर)…,ऐसी मिजाजन दाई राम के नराना छीने…, माता कौशल्या के लाल सखी री झूले पालना …, आये री रघुनाथ बनावन (बन्ना)…, हरे बांसे मंडप छाये (लगुन गीत)…, जैसे आये अन्य भजन और गीत प्रस्तुत किये। मंच पर गायन में सुश्री उषा सक्सेना, सह गायन में सुश्री नीलिमा पारे, मोनिका शुक्ला एवं हारमोनियम पर श्री जितेंद्र शर्मा, ढोलक पर रघुबीर सिंह, बांसुरी पर वीरेंद्र कोरे ने संगत की।
अगले क्रम में श्री लीलाधर रैकवार एवं साथी, सागर द्वारा ढिमरियाई नृत्य प्रस्तुति दी गई। ढिमरयाई लोक नृत्य बुंदेलखंड में प्रचलित है। ढीमर जाति द्वारा किया जाने वाला यह नृत्य त्योहार, विवाह, नवरात्रि अवसर पर किया जाता है। नृत्य करते समय प्रमुख नर्तक श्रृंगार और भक्ति से गीत गाता है। यह लोक नृत्य बारहमासी लोक नृत्य है और इसमें भजन, गारी इत्यादि गायी जाती है। इसमें वाद्य यंत्रों में प्रमुख रूप से सारंगी, लोटा, ढोलक, मंजीरा खड़ताल, खंजड़ी झूला इत्यादि का प्रयोग किया जाता है।
चित्र प्रदर्शनी : श्रीहनुमान कथा की चौपाइयों और दोहों को 42 चित्रों में समेटाउत्सव अंतर्गत पहली बार श्री हनुमान चालीसा आधारित “संकटमोचन” चित्र प्रदर्शनी का संयोजन किया गया है। श्रीहनुमान के महान चरित को पहली बार चित्रात्मक रूप से अभिव्यक्त करने का कार्य मध्यप्रदेश शासन, संस्कृति विभाग द्वारा किया गया है। चित्र सृजन का कार्य ख्यात चित्रकार श्री सुनील विश्वकर्मा-वाराणसी के द्वारा किया गया है। प्रदर्शनी में उनके द्वारा बनाये 42 चित्रों को प्रदर्शित किया गया है। श्री विश्वकर्मा की विशिष्टता भारतीय आध्यात्मिक चरितों को पूर्ण शुचिता के साथ अभिव्यक्त करने की रही है।
दीपोत्सव मेला : 175 से अधिक शिल्पी दीपावली के अवसर पर दीपोत्सव मेला अंतर्गत 175 से अधिक शिल्पी विविध माध्यमों के शिल्प एवं वस्त्र, टेराकोटा, बांस, लोहा, पीतल, तांबा एवं अन्य धातु से बने उत्पादों का प्रदर्शन और विक्रय किया गया। शिल्प मेले में मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, बिहार, गुजरात, छत्तीसगढ़, आंध्रप्रदेश, कश्मीर, दिल्ली एवं अन्य राज्यों के बुनकर और शिल्पकारों ने हिस्सा लिया है।
स्वाद- व्यंजन मेला: स्वाद- व्यंजन मेलाउत्सव अंतर्गत स्वाद- व्यंजन मेला में बघेली व्यंजन में पानी वाला बरा-चटनी, रसाज, बुंदेली व्यंजन में गोरस, बिजोरा, गुलगुला एवं राजस्थानी व्यंजन में जोधपुरी प्याज की कचौरी, मिर्ची बड़ा, छोले टिक्की, बिहारी व्यंजन में लिट्टी-चोखा, मराठी व्यंजन एवं सिंधी तथा भील एवं गोण्ड जनजातीय समुदाय के व्यंजन भी शामिल हैं। वहीं लोकराग के अंतर्गत नृत्य, गायन एवं कठपुतली प्रदर्शन की गतिविधियाँ प्रतिदिन दोपहर 2 बजे से रवींद्र भवन परिसर में आयोजित की जायेंगी। कार्यक्रम में प्रवेश निःशुल्क है एवं आप सादर आमंत्रित हैं।
सात दिवसीय उत्सव में किस दिन क्या: 18 अक्टूबर,2022 लास्या आर्ट्स अकादमी (मलेशिया) द्वारा रामायणम् तथा डॉ. लता सिंह मुंशी एवं साथी भोपाल द्वारा श्रीरामकथाः भरतनाट्यम नृत्य19 अक्टूबर, 2022 – खोन रामायण ग्रुप, थाइलैंड द्वारा श्रीरामकथा, उत्तर कमलाबाड़ी सत्र शंकरदेव क्रिस्टी संघ, माजुली (असम) द्वारा पुष्पवाटिका, धनुष यज्ञ, सीता स्वयंवर प्रसंग20 अक्टूबर, 2022 – श्रीरामलीला मंडल, उड्डुपी (कर्नाटक) द्वारा वनगमन, सीताहरण, जटायु प्रसंग 21 अक्टूबर,2022 – हिन्दू प्रचार केंद्र, त्रिनिदाद एंड टोबैगो के कलाकार द्वारा श्रीरामकथा, श्रीरघुनाथजी लीला प्रचार समिति, पुरी (उड़ीसा) द्वारा श्रीराम-सुग्रीव मित्रता, हनुमान-रावण संवाद एवं लंका दहन प्रसंग की प्रस्तुति दी जायेगी। 22 अक्टूबर,2022 – श्री सत्संग रामायण ग्रुप, फिजी द्वारा श्रीरामकथा एवं श्री आदर्श रामलीला मंडल, सतना (म.प्र) द्वारा लक्ष्मण शक्ति, मेघनाथ-रावण वध एवं श्रीराम राज्याभिषेक प्रसंग मंचित करेंगे।
लोकराग के अंतर्गत नृत्य, गायन एवं कठपुतली प्रदर्शन अंतर्गत दोपहर की प्रस्तुतियाँ: 18 अक्टूबर,2022 को सुश्री शीला त्रिपाठी एवं साथी, भोपाल द्वारा बघेली गीतों में श्रीराम एवं श्री घूमन पटेल एवं साथी, दमोह द्वारा कानड़ा नृत्य प्रस्तुति19 अक्टूबर,2022 को सुश्री संदीपा पारे एवं साथी, भोपाल द्वारा निमाड़ी गीतों में श्रीराम एवं श्री दिलीप मासूम एवं साथी, भोपाल द्वारा कठपुतली प्रस्तुति20 अक्टूबर,2022 को सुश्री लता व्यास एवं साथी, भोपाल द्वारा मालवी गीतों में श्रीराम एवं श्री गणपत सखराम मसगे, महाराष्ट्र द्वारा कठपुतली प्रस्तुति 21 अक्टूबर,2022 को श्री अभिषेक निगम एवं साथी, उज्जैन द्वारा भक्ति गायन एवं श्री मनीष यादव एवं साथी सागर द्वारा बरेदी नृत्य प्रस्तुति22 अक्टूबर,2022 को श्री रूद्रकांत ठाकुर एवं साथी, सिवनी द्वारा भक्ति गायन एवं सुश्री श्वेता अग्रवाल एवं साथी रीवा द्वारा अहिराई नृत्य प्रस्तुति
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