तलाशे जौहर में शायर शकील बागी ने कहा, बुरी है बात किसी की बुराई मत करना

मध्य प्रदेश उर्दू अकादमी द्वारा ज़िलेवार गतिविधि “सिलसिला” के अंतर्गत जबलपुर में “साहित्यिक गोष्ठी” आयोजित की गई। आजादी के 75 वर्ष के अवसर अमृत महोत्सव के अंतर्गत मध्य प्रदेश उर्दू अकादमी, संस्कृति परिषद, संस्कृति विभाग द्वारा प्रदेश के संभागीय मुख्यालयों पर नवोदित रचनाकारों पर आधारित “तलाशे जौहर” कार्यक्रम में सिलसिला के तहत जबलपुर में शनिवार को शेरी व अदबी नशिस्त का आयोजन किया गया।

अकादमी की निदेशक डॉ. नुसरत मेहदी के अनुसार उर्दू अकादमी द्वारा अपने ज़िला समन्वयकों के माध्यम से प्रदेश के सभी ज़िलों में आज़ादी का अमृत महोत्सव के तहत “सिलसिला” के अन्तर्गत व्याख्यान, विमर्श व काव्य गोष्ठियाँ आयोजित की जा रही हैं। ज़िला मुख्यालयों पर आयोजित होने वाली गोष्ठियों में सम्बंधित ज़िलों के अन्तर्गत आने वाले गाँवों, तहसीलों, बस्तियों इत्यादि के ऐसे रचनाकारों को आमंत्रित किया जा रहा है जिन्हें अभी तक अकादमी के कार्यक्रमों में प्रस्तुति का अवसर नहीं मिला है अथवा कम मिला है। इस सिलसिले के बाईस कार्यक्रम भोपाल, खण्डवा, विदिशा, धार, शाजापुर टीकमगढ़, सागर एवं सतना, रीवा, सतना सीधी, रायसेन, सिवनी, नरसिंहपुर नर्मदापुरम दमोह, शिवपुरी, ग्वालियर, बुरहानपुर, देवास, रतलाम, बालाघाट, छिंदवाड़ा, अशोक नगर एवं हरदा बैतूल में आयोजित हो चुके हैं और आज यह कार्यक्रम जबलपुर में आयोजित हुआ जिसमें जबलपुर ज़िले के रचनाकारों ने अपनी रचनाएं प्रस्तुत प्रस्तुत कीं।

जबलपुर ज़िले के समन्वयक राशिद राही ने बताया कि आयोजित साहित्यिक गोष्ठी में 21 शायरों और साहित्यकारों ने शिरकत की। कार्यक्रम की अध्यक्षता जबलपुर के वरिष्ठ शायर सिराज आग़ाज़ी ने की। मुख्य अतिथि के रूप में डॉ अभिजात कृष्ण त्रिपाठी (प्राचार्य, श्री जानकी रमण महाविद्यालय) एवं विशेष अतिथि के रूप में रिज़वान अंसारी मंच पर उपस्थित रहे।

जिन शायरों ने अपना कलाम पेश किया उनके नाम और अशआर इस प्रकार हैं।

तूफ़ां से खेलना मेरी हस्ती का है उसूल
पतवार तोड़ देता हूं मंझधार देख कर
सिराज आग़ाज़ी

नफरतों के दामन को मशविरा है तंग कर लो
नगमय मोहब्बत से फतह आज जंग कर लो
मंज़ूर मज़हर

वो जिनकी बात में बेहद मिठास लगती है
उन्हीं से चोट बहुत दिल के पास लगती है
शकील दिलकश

बुरी है बात किसी की बुराई मत करना
किसी के घर में लगाई बुझाई मत करना
शकील बाग़ी

बहुत आसान है बेटियों को पराई कहना।
अब ये आलम कि बेटा भी, बाप के साथ नहीं रहता।।
मकबूल ज़फ़र

चाहिए तो ले जाओ क़हक़हों का ये मौसम
चाबियां नहीं दूंगी दर्द के ख़ज़ाने की।
डॉ. रानू रूही

वो वार करे और दूर रहे ये बात मुनासिब है लेकिन
अहसास वहां हो जाता है नजदीक से जब छल होता है
रियाज़ आलम

प्यार की जीत हो गई आखिर
दिल में दुश्मन के रह रहा हूं मैं
विनोद नयन

मुल्क की आन बान हैं हम लोग
सिर्फ़ हिंदुस्तान हैं हम लोग
राशिद राही

ज़हर बो दे जो तुम्हारा होने पर।
समझ लेना कि तुमने सांप पाले हैं।।
अजय मिश्रा ‘ अजेय’

घर वालों का इतना भी तो ख़ौफ़ न हो।
बच्चे अपनी बात छुपाने लग जाएँ।।
विजय आनंद “माहिर”

संगदिल है सनम समझता नहीं
मिल के ख़्बावों में ही रो लूं ज़रा।
रजनी कोठारी”रजनी”

शेरी नशिस्त का संचालन राशिद राही द्वारा किया गया। कार्यक्रम के अंत में रिज़वान अंसारी ने सभी का आभार व्यक्त किया।

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