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रिटायर्ड आईएएस राजेश बहुगुणा की फेसबुक वॉल पर बॉस की पसंद पर कमेंट, पढ़िये क्या लिखा

सरकारी सेवा में रहने तक अधिकारी बंधा हुआ महसूस करता है और रिटायरमेंट के बाद उसके स्वाभिमानी विचार खुलकर बाहर आने लगते हैं। एक रिटायर्ड आईएएस अधिकारी राजेश बहुगुणा भी इन दिनों कुछ ऐसे ही विचार सोशल मीडिया पर रख रहे हैं। नौकरशाही को लेकर उन्होंने अपने फेसबुक वॉल पर बॉस की पसंद के बारे में लिखते हुए कहा कि हरेक बॉस को विनम्र अधीनस्थ पसंद होते हैं। उन्होंने ऐसे ही एक अधिकारी और मेरी तरह उनके अधीनस्थ अधिकारी को लेकर फेसबुक में लिखा है। हालांकि उन्होंने अधिकारी बॉ़स या अपने साथी अधिकारी का नाम नहीं लिखा है। जानिये उनके बॉस और अधीनस्थ को लेकर क्या हैं विचार…..
यह मेरे बॉस ने एक समय मुझे समझाया। मेरे बॉस ने मेरे वार्षिक गोपनीय प्रतिवेदन में जो मेरे लिए कहा गया था , उसे मेरे प्रशासकीय विभाग ने विपरीत अभ्युक्ति माना। मैने अपना स्पष्टीकरण लगभग 25 पृष्ठों और शायद 35 दस्तावेजों के साथ प्रस्तुत किया लेकिन विभाग ने इसे एक पंक्ति में ही बिना कोई कारण बताए निरस्त कर दिया।
वे बॉस बड़े सक्षम अधिकारी थे और मैंने उनसे बहुत कुछ सीखा । आज भी मेरा उनके प्रति सम्मान कम नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि मेरी टीप तो सुझावात्मक थी लेकिन शासन ने विपरीत मान ली। शायद मुझे B श्रेणी में रखने और विपरीत अभ्युक्तियां सूचित होने पर वे आधार या औचित्य स्पष्ट कर रहे थे।
इसके लिए उन्होंने मुझे एक दृष्टांत भी दिया। एक अधिकारी जिन्हें उन्होंने उत्कृष्ट श्रेणी में रखा था, के व्यवहार को लेकर उन्होंने मुझे समझाया कि देखो मैं श्री क को अवकाश के दिन कहता कि आप कार्यालय में ही रहना और मैं दौरे से 12 बजे तक आ जाऊंगा लेकिन मैं दौरे से वापिस आकर यह भूल जाता और बंगले में आकर सो जाता तो श्री क कार्यालय में ही रहते । एक बजे भी जब मैं कार्यालय नहीं आता तो वो मेरी लोकेशन पुलिस कंट्रोल रूम से लेते और मेरे बंगले में होने की खबर पर वे बंगले फोन करते। बंगले से मेरे सोए होने की खबर पाकर वे बंगला कर्मचारी को कहते कि साहब के उठने पर मेरी बात कराना। शाम 4 बजे कर्मचारी मेरी बात क से कराता तो क मुझसे पूछते कि क्या मैं कार्यालय आऊंगा , मेरे मना करने पर वे पुनः प्रश्न करते कि क्या वे कार्यालय छोड़कर घर चले जाएं और मेरी अनुमति के बाद वे घर जाते।
फिर मुझसे कहा कि तुम ऐसा नहीं करते। मैने भी यह स्वीकार किया कि मैं इस परिस्थिति में ऐसा नहीं करता। मुझे अपनी B श्रेणी का कारण भी समझ में आ गया। हालांकि अगले वर्ष उन्होंने मुझे उत्कृष्ट में रखा।
लेकिन गोपनीय प्रतिवेदन के इस जोखिम के साथ इसका दूसरा प्रभाव भी रहता है। उन्हीं बॉस के स्थानांतरण पर में अपनी सबडिवीजन से मिलने आया। वे बाहर लॉन में बैठे हुए थे। मेरे अभिवादन करते ही खड़े होकर हाथ मिलाए और मुझे साथ बैठा कर पिछले दो सालों की यादें उपलब्धियां ताजा करने लगे। मैं और बॉस कुर्सियों पर बैठे चाय पर चर्चा कर रहे थे और वे उत्कृष्ट अधिकारी ट्रक के अंदर खड़े होकर मजदूरों के साथ बॉस का सामान अच्छी तरह से लगाने का गुरूतर कार्य कर रहे थे।
यह बिना रीढ़ की आत्मसम्मानहीन नौकरशाही वास्तव में ऊपर की सूक्ति और नौकरशाही के बहुस्तरीय होने का ही परिणाम है क्योंकि हर बॉस किसी दूसरे का अधिनस्थ है तथा हर अधीनस्थ किसी न किसी का बॉस है । केवल चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को छोड़कर और वे कोई निर्णय प्रक्रिया में हिस्सा नहीं हैं।
क्या बॉस का भी वार्षिक गोपनीय प्रतिवेदन लिखने का अधिकार उसके निकट सहयोगी अधीनस्थ को नहीं दिया जाना चाहिए और फिर उस अधिकारी का मूल्यांकन हो।
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