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भोपाल नगर निगम टूटे सैप्टिक टैंक-बदहाल सड़कों पर घिरी, मानव अधिकार आयोग का डंडा चला

मध्य प्रदेश राज्य मानव अधिकार आयोग द्वारा भोपाल नगर निगम को शहर में टूटे पड़े सैप्टिक टैंकों और बदहाल सड़कों के लिए अल्टीमेटम दिया है। नगर निगम आयुक्त को आयोग के सदस्य मनोहर ममतानी ने अल्टीमेटम देते हुए जवाब मांगा है।
पहला मामला भोपाल शहर के वार्ड क्र. 78 में स्थित हाउसिंग बोर्ड काॅलोनी का है जहांबीते छह माह से एक सैप्टिक टैंक टूटा पड़ा है। जिसकी वजह से हादसे की आशंका हमेशा बनी रहती है। रहवासियों ने इसकी शिकायत कई बार नगर निगम के अधिकारियों से की, लेकिन कहीं कोई सुनवाई नहीं हुई। जब यह बात एक लोकल सोसायटी को पता चली, तो वे काॅलोनी का निरीक्षण करने आये। इसके बाद सभी सदस्यों ने मिलकर सैप्टिक टैंक और उसके आसपास का क्षेत्र सुरक्षित करने के लिये बल्ली एवं रस्सी का घेरा बना दिया ताकि लोग सुरक्षित हो सकें। यह परेशानी सिर्फ एक जगह की ही नहीं है, बल्कि शहर के अन्य क्षेत्रों में भी सैप्टिक टैंक खतरनाक हालत में टूटे पड़े हैं, जिन्हें जल्द से जल्द ठीक कराया जाना चाहिये। मामले में मप्र मानव अधिकार आयोग ने त्वरित संज्ञान लेकर आयुक्त, नगर निगम, भोपाल से इस संबंध में समुचित कार्यवाही कराकर 15 दिन में जवाब मांगा है।
दूसरा मामला भोपाल की सड़कों का है। बारिश के बाद भोपाल शहर की अधिकांश सडकें बदहाल हो गयी हैं। इन बदहाल सडकों में दो से चार फीट के लंबे और चैडे गढ्ढे हो गये हैं। भोपाल शहर में 4700 किमी में से 1500 किमी सडकें उखड चुकी हैं। इसके बावजूद जिम्मेदार विभाग के अधिकारी सडकों के निर्माण और मरम्मत के काम को टालते जा रहे हैं। जनता इन गढ्ढों से बुरी तरह परेशान हो रही है। लेकिन जिम्मेदार अधिकारी इनकी मरम्मत और निर्माण की योजना ही नहीं बना पाये हैं। जनता से जुड़ी इस बड़ी समस्या पर संज्ञान लेकर मप्र मानव अधिकार आयोग ने आयुक्त, नगर निगम, भोपाल तथा संभागीय परियोजना यंत्री व अधीक्षण यंत्री, लोक निर्माण विभाग, भोपाल से तीन सप्ताह में तथ्यात्मक जवाब मांगा है। आयोग ने इन अधिकारियों से कहा है कि वे उनके क्षेत्राधिकार की मुख्य सड़कों की आवश्यक मरम्मत व उपयोग योग्य बनाये जाने के संबंध में बनायी गयी कार्ययोजना, समस्या के समयबद्ध निराकरण एवं आम नागरिकों के मौलिक व मानव अधिकारों के संरक्षण हेतु की गयी कार्यवाही का विस्तृत तथ्यात्मक जवाब तीन सप्ताह में दें।
बिजली कंपनी से भी तीन सप्ताह में जवाब तलब
श्योपुर जिले में महीने भर से बिजली की समस्या से जूझ रही आदिवासी बस्ती की महिलाओं ने बीते बुधवार को बिजली कंपनी के महाप्रबंधक कार्यालय पर पहंुचकर जमकर हंगामा किया। नाराज महिलाओं ने अधिकारियों व कर्मचारियों को जमकर खरी-खोटी सुनाई। इस दौरान दोनों के बीच जमकर नोंक-झोंक भी हुई। महिलायें श्योपुर जिला मुख्यालय से सटे ढें़गदा गांव की निवासी हैं। बताया गया कि ढेंगदा की आदिवासी बस्ती का ट्रªांसफार्मर पिछले माह जल गया था। कई बार शिकायत के बाद भी उसे नहीं बदला गया। इससे पूरी की पूरी बस्ती में अंधेरा पसरा है। गांव में अंधेरा है और पानी की मोटर नहीं चल रही है। इससे पूरे गांव को नाले का गंदा पानी पीना पड रहा है। बिजली कंपनी वाले एक बत्ती कनेक्शन का चार लाख रूपये बिल मांग रहे हैं। मामले में संज्ञान लेकर मप्र मानव अधिकार आयोग ने मुख्य प्रबंध निदेशक (सीएमडी), मप्र मध्यक्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड, भोपाल से समुचित कार्यवाही कराकर तीन सप्ताह में जवाब मांगा है।
आकाशीय बिजली से मौत के मामले में सागर से मांगा एक महीने में जवाब
सागर जिले के शाहगढ़ थानाक्षेत्र में दो अलग-अलग स्थानों पर आकाशीय बिजली (गाज) गिरने से दो लोगों की मौत हो गयी। शाहगढ़ थानाक्षेत्र के उपथाना हीरापुर के अंतर्गत रामपुर निवासी छन्नू यादव (66वर्ष) अपने खेत में काम कर रहे थे। उन पर आकाशीय बिजली गिरी। डाक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। दूसरी ओर शाहगढ़ थानाक्षेत्र के उपथाना क्षेत्र बराज के अंतर्गत कानीखेड़ी गांव में दीपचंद्र अहिरवार (27वर्ष) मवेशी लेकर जंगल गया था। इसकी भी आकाशीय बिजली गिरने से मौत हो गई। मामले में संज्ञान लेकर मप्र मानव अधिकार आयोग ने कलेक्टर सागर से दोनों ही मामलों में मृतकों के परिजनों को मुआवजा राशि दिये जाने के संबंध में की गई कार्यवाही के बारे में एक माह में जवाब मांगा है।
हाथियों के दल से मौत पर डीएफओ-कलेक्टर से उत्तर मांगा
डिंडोरी जिले के वन परिक्षेत्र करंजिया के ग्राम कंदरा बहरा में जंगली हाथियों के दल ने एक ग्रामीण को कुचलकर मार डाला। इस दुर्घटना के बाद से गांव में दहशत का माहौल है। ग्रामीणों को कहना है कि वन विभाग के अमले की लापरवाही की वजह से यह दुर्घटना हुई है। घटना के बाद ग्रामीण वन्य जीवों द्वारा जानमाल का नुकसान किये जाने को लेकर काफी गुस्से में हैं। मामले में संज्ञान लेकर मप्र मानव अधिकार आयोग ने कलेक्टर एवं वन मंडलाधिकारी (डीएफओ), डिंडोरी से जान-माल की सुरक्षा के लिये की गयी कार्यवाही तथा मृतक नन्दू सिंह बैगा के परिजनों को दी गयी मुआवजा राशि के सबंध में एक माह में जवाब मांगा है।
मृत घोषित कर नहीं पीएम आवास नहीं देने पर कलेक्टर से प्रतिवेदन मांगा
अशोकनगर जिले में एक अजीब मामला सामने आया है। ईसागढ़ ब्लाॅक के गहोरा गांव में एक जीवित व्यक्ति को सरकारी रिकाॅर्ड में मृत घोषित कर दिया गया। सरकारी रिकाॅर्ड में मृत घोषित कर दिये जाने के कारण उस जीवित व्यक्ति को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत् मकान का लाभ नहीं मिल पा रहा। श्री नारायण पिता अनारत सिंह लोधी बताते हैं कि उनका नाम प्रधानमंत्री आवास योजना की सूची में नहीं है, क्योंकि वे अपात्र है। जब उन्होंने अपनी अपात्रता का कारण जानना चाहा, तो उन्हें पता चला कि वे सरकारी रिकाॅर्ड में मृत घोषित कर दिये गये हैं, जबकि वे पूरी तरह स्वस्थ हैं, जीवित हैं। एसडीएम, ईसागढ़ को जब यह बात पता चली, तो उन्होंने मामले की जांच कराने की बात कही। जिंदा व्यक्ति को मृत घोषित कर दिये जाने के इस गंभीर मामले में संज्ञान लेकर मप्र मानव अधिकार आयोग ने कलेक्टर, अशोकनगर से जांच कराकर आवश्यक कार्यवाही करने के उपरांत एक माह में प्रतिवेदन मांगा है।
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