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राज्य मानव अधिकार आयोग ने मांगे जवाब, सतना एसपी-सीहोर कलेक्टर निशाने पर

राज्य मानव अधिकार आयोग द्वारा पांच अलग-अलग मामलों में संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया गया है। सतना एसपी से जमानत पर छूटे एक आरोपी द्वारा एक महिला को अर्द्धनग्न कर घुमाने और सीहोर कलेक्टर से एक बांध निर्माण में एक दलित को मुआवजा नहीं देने पर जवाब मांगा है।
सतना जिले के मैहर के खैरागांव से बीते रविवार को मानवता को शर्मसार करने वाला मामला सामने आया है। दरअसल यहां घर में अकेली एक महिला को आरोपियों ने अर्द्धनग्न कर गांव भर में घुमाया। इस दौरान किसी ने भी उसकी मदद नहीं की। किसी ग्रामीण की सूचना पर पुलिस मौके पर पहुंची और उसकी गंभीर हालत को देखते हुये उसे जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया। बीते गुरूवार को काशीराम साहू के घर में चोरी हुयी थी। काशीराम की पत्नी उर्मिला ने गांव के ही ऋषिराज पटेल पर चोरी का आरोप लगाया था। पुलिस ने आरोपी ऋषिराज को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। जमानत पर रिहा होने के बाद शनिवार को गांव पहंुचते ही ऋषिराज साथियों के साथ उर्मिला के घर पहुंचा, उर्मिला अकेली थी। आरोपियों ने दरवाजा तोड़ा और घर के अंदर घुस गये। पीड़िता की मानें तो उसके साथ घर में जमकर मारपीट की गयी। मामले में आयोग ने पुलिस अधीक्षक, सतना से जांच कराकर तीन सप्ताह में प्रतिवेदन मांगा है।
दलित किसान को नहीं मिला मुआवजा
सीहोर जिले के एक दलित किसान परशुराम अहिरवार ने जिला प्रशासन सीहोर पर उसे मुआवजा नहीं देकर उसे आर्थिक हानि पहुंचाने का आरोप लगाया है। परशुराम बीते शनिवार को जिला कलेक्ट्रेट सीहोर पहुंचे। वहां उन्होंने कलेक्टर को आवेदन देकर उसे मुआवजा दिलाने की गुजारिश की। परशुराम ने बताया कि जिला प्रशासन सीहोर ने पार्वती नदी पर बांध बनाने का निर्णय लिया है। इस बांध की सीमा सीहोर एवं राजगढ़ दोनों जिलों में होगी। इस बांध निर्माण के लिये उसकी 0.120 हैक्टेयर कृषि भूमि वर्ष 2021 में जिला प्रशासन द्वारा अधिग्रहित कर ली गयी। परंतु इस अधिग्रहित भूमि का निर्धारित मुआवजा आज तक नहीं मिला है। वह बेहद परेशान है। वह कई आवेदन दे चुका है, परंतु उसकी कोई सुनवाई नहीं हो रही। मामले में आयोग ने कलेक्टर, सीहोर से जांच कराकर एक माह में प्रतिवेदन मांगा है।
सीएमएचओ सिंगरौली से मांगा प्रतिवेदन
जिला चिकित्सालय सह ट्रामा सेंटर सिंगरौली में बीते शुक्रवार की सुबह तकरीबन नौ बजे एक प्रसूता महिला की मौत हो जाने के बाद परिजनों ने हंगामा शुरू कर दिया। परिजनों का आरोप था कि प्रसूता की मौत चिकित्सकों की लापरवाही से हुई है। वहीं चिकित्सकों से बात करने पर पता चला कि प्रसूता की मौत की वजह ब्लड की अत्यंत कमी थी। जिला चिकित्सालय सह ट्रªामा सेंटर में प्रसूता की मौत का यह पहला मामला नहीं है, इसके पहले कई बार प्रसूताओं के मौत की खबरें सामने आती रही हैं, ऐसा ही एक मामला बीते शुक्रवार की सुबह भी सामने आया है। जहां प्रसूता की मौत के बाद परिजनों ने चिकित्सकों पर लापरवाही किये जाने का आरोप लगाते हुये हंगामा शुरू कर दिया था। जहां समझाईश के बाद किसी तरह परिजन शव को अस्पताल से लेकर घर के लिये रवाना हुये। चिकित्सकों ने बताया कि मृतिका श्रीमती राजमती पति संतोष, निवासी मोरवा को शुक्रवार की देर रात अस्पताल में गंभीर हालत में भर्ती कराया गया था। महिला की डिलेवरी सीएचसी मोरवा में हो चुकी थी। खून की कमी के कारण चिकित्सकों ने जिला चिकित्सालय सह ट्रªाॅमा सेंटर के लिये रेफर कर दिया था, जहां महिला को ब्लड भी चढ़ाया गया, लेकिन महिला की स्थिति अत्यंत गंभीर थी, इसलिये उसे बचाया नहीं जा सका। मामले में आयोग ने मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, सिंगरौली से एक माह में प्रतिवेदन मांगा है।
छात्रावास व मंदिर के पास फेंक रहे कचरा, बदबू से लोग परेशान
रायसेन जिले की औबेदुल्लागंज नगर परिषद सीमाक्षेत्र के दशहरा मैदान के पीछे टेलीफोन एक्सचेंज के पास नगर का पूरा कचरा डाला जा रहा है। जहां कचरा फेंका जा रहा है वहां मंदिर, छात्रावास और कन्याशाला मौजूद हैं। मंदिर में पूजा करने आने वाले श्रद्धालुओं एवं पढ़ने वाली छात्राएं बदबू से परेशान हैं। नगर परिषद् को कचरा फेंकने के लिये ट्रेचिंग ग्राउण्ड के लिये जगह अलग दे रखी है। उसके बाद भी जिम्मेदार अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे हैं। फेंके जा रहे कचरे की बदबू से परेशान एक समाजसेवी ने ट्रेक्टर-ट्राली से कचरा फेंकते हुये वीडियो बनाकर रायसेन कलेक्टर से इसकी शिकायत की। वहीं नगर परिषद् के सीएमओ शासन के आदेशों की खुलेआम अवहेलना कर रहे हैं। शासन का आदेश है कि जो अधिकारी जहां पदस्थ हैं उसे वहीं मुख्यालय पर रहना होगा, लेकिन सीएमओ भोपाल से अपडाउन करते हैं। मामले में आयोग ने कलेक्टर, रायसेन से तीन सप्ताह में प्रतिवेदन मांगा है।
चार माह से वेतन की आस में जिला पंचायत दमोह के कर्मचारी
जिला पंचायत कार्यालय दमोह में पदस्थ कर्मचारियों को बीते चार माह से वेतन न मिलने का मामला सामने आया है। कर्मचारियों ने भारी विरोध जताया है। जिला पंचायत कार्यालय में पिछले चार माह से वेतन न मिलने वालों आठ तो पूर्व से नियमित है, पर बाद में डीआडीए के कर्मचारियों का बजट केन्द्र से न आने के कारण उन्हें जिला पंचायत में मर्ज किया गया था। इसके बाद सभी का वेतन, मानदेय राज्य शासन से आने लगा। इसके बाद बजट की कमी के कारण करीब 22 कर्मचारियों को वेतन नहीं मिल पा रहा है। इनका कहना है कि मिशलेनियस, अन्य मद या योजनाओं से शेष बची राशि से व्यवस्था बनायी जा सकती है और बजट आने पर उसे सामायोजित किया जा सकता है। एक ओर तो राज्य सरकार के कर्मचारियों को केन्द्र के समान डीए और दीपावली में बोनस देने की चर्चा होती है तो दूसरी तरफ यहां के कर्मचारी वेतन के लिये जद्दोजहद करते नजर आ रहे हैं। मंहगाई के समय में वेतन न मिलने से मुश्किलों का सामना भी इन्हें करना पड़ रहा है। कर्मचारियांे ने बताया कि बाजार से खाने-पीने की चीजें उधार खरीद रहे हैं और अब तो दुकानदार भी उधार देने से मना करने लगे हैं, जिससे वे बडे तनाव में है। मामले में आयोग ने मुख्य कार्यपालन अधिकारी, जिला पंचायत, दमोह से प्रतिवेदन मांगा है।
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