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युवा आदिवासियों के नेशनल जयस संगठन तय करेगा 2023 चुनाव की दिशा, तैयार हो रही रणनीति

मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव 2023 में इस बार आदिवासी समाज का वोट बंटने की संभावना है क्योंकि युवाओं के आदिवासी संगठन जयस, गौंडवाना गणतंत्र पार्टी, गौंडवाना स्टूडेंट यूनियन, भारती आदिसवासी पार्टी, भील प्रदेश मुक्ति मोर्चा जैसे संगठन सक्रिय हो चुके हैं। ये सभी मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव में सक्रिय रूप से भागीदारी करेंगे। ऐसे में आदिवासी समाज की वोट के बंटने से कांग्रेस और भाजपा को बड़ा घाटा हो सकता है।
मध्य प्रदेश में आदिवासियों की 47 विधानसभा सीटें हैं जिन पर 2013 में भाजपा को 31 सीटें मिली थीं जिससे उसकी सरकार बन गई थी। वहीं, 2018 में कांग्रेस 47 में से 30 सीटें जीतकर सरकार बनने में सफल रही थी। इसलिए आदिवासी समाज की ये सीटें मध्य प्रदेश में सरकार बनाने में अहम भूमिका निभाती हैं। वैसे प्रदेश में आदिवासी समाज 84 विधानसभा सीटों पर अपना प्रभाव रखता है जिनमें से 47 सीटों को उनके लिए रिजर्व किया गया है।
गौंडवाना गणतंत्र पार्टी पूरी ताकत लगा रहा
आदिवासी समाज की सीटों के लिए गौंडवाना गणतंत्र पार्टी और गौंडवाना स्टूडेंट यूनियन 2023 के चुनाव में पूरी ताकत लगा रहा है और उसके लिए महाकौशल व पश्चिमी मध्य प्रदेश से चार सशक्त प्रत्याशियों को मैदान में उतारे जाने की तैयारी भी है।
राजस्थान सीमा पर भील मुक्ति मोर्चा
मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में इस बार मालवा क्षेत्र की सैलाना, पेटलावद, थांदला सीटों पर राजस्थान की दक्षिणी सीमा पर सक्रिय भारत आदिवासी पार्टी भी भील समाज के बीच पैठ बना चुकी है। यह भील प्रदेश मुक्ति मोर्चा बनाकर काम किया जा रहा है।
भाजपा का माइक्रो रणनीति पर काम
वहीं, विधानसभा चुनाव में भाजपा माइक्रो रणनीति पर काम कर रही है। उसने भोपाल, इंदौर, जबलपुर जैसे शहरों के कोचिंग संचालकों के माध्यम से युवा आदिवासियों में घुसने का प्रयास किया है। वह स्किल सेल स्क्रीनिंग कैम्प, आवास भत्ता पोस्ट मीट्रिक छात्रवृत्ति द्वारा युवा आदिवासियों का डेटा जुटा रही है और उन्हें अपने सोशल मीडिया प्लेटफार्म में जोड़ रही है।
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