राक्षस का वध कर सलकनपुर में विराजी देवी विजयासन

उज्जैन में 11 अक्टूबर को देवों के देव महादेव के महाकाल लोक के होने वाले लोकार्पण से मध्यप्रदेश में आस्था और श्रद्धा के नए युग का सूत्रपात होगा। संभाग के सीहोर जिले के ये 5 मंदिर भी आस्था और श्रद्धा में देश – विदेश के श्रद्धालुओं के बीच प्रसिद्ध हैं।

मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल से 70 किलोमीटर दूर सीहोर जिले के सलकनपुर में विध्यांचल पर्वत पर विजयासन माता का प्रसिद्ध मंदिर है। यहां पहाड़ी के ऊपर विजयासन माता अपने दिव्य रूप में विराजमान है। विध्यांचल पर्वत पर विराजमान होने के कारण इन्हें विध्यवासिनी देवी के नाम से भी जाना जाता है। यहाँ हर साल शारदीय एवं चैत्र नवरात्री के दौरान भारी संख्या में देश – विदेश से भक्तों का आगमन होता है और यहाँ बड़ा मेला भी लगता है। मंदिर के गर्भ गृह में विजयासन माता की एक प्राकृतिक रूप से निर्मित मूर्ति है। यहां पर मंदिर परिसर में देवी लक्ष्मी, सरस्वती और भैरव बाबा के मंदिर भी स्थित है।

विजयासन देवी धाम एक हजार फिट ऊँची एक पहाड़ी पर बना हुआ है। श्रद्धालु मंदिर तक जाने के लिए सीढ़ी मार्ग, वाहन मार्ग के साथ ही रोपवे का भी उपयोग करते है। इस पवित्र मंदिर का निर्माण कुछ बंजारों द्वारा करवाया गया था। धार्मिक मान्यातओं के अनुसार विजयासन देवी पार्वती का अवतार है। कहा जाता है कि देवताओं की प्रार्थना पर देवी ने राक्षस रक्तबीज को समाप्त कर दिया था तब देवी का नाम विजयासन पड़ा था। विजयासन देवी की पूजा कई लोग अपनी कुल देवी के रूप में भी करते हैं।

भारत की चार स्वयंभू मूर्तियों में से एक है सीहोर के चिंतामन गणेश

चिंतामन गणेश मंदिर सीहोर जिले का प्राचीन और प्रसिद्ध मंदिर है। यह एक धार्मिक स्थल होने के रूप में पूरे देश में प्रसिद्ध है। यहाँ के चिंतामन गणेश भारत में स्थित चार स्वयंभू मूर्तियों में से एक माने जाते हैं। पौराणिक कथा के अनुसार, यह उज्जैन के राजा विक्रमादित्य के समय का मंदिर है और मराठा पेशवा बाजीराव के द्वारा नवीनीकृत किया गया है। इस प्रतिमा के दर्शन करने के लिए देश भर से भक्त बड़ी संख्या में यहां पर आते हैं। हर साल गणेश चतुर्थी पर यहां बहुत बड़ा मेला भी आयोजित किया जाता है। सीहोर के गणपति के बारे में कहा जाता है कि भगवान गणपति आज भी यहां साक्षात मूर्ति रूप में निवास करते हैं। यह भी मान्यता है कि यहां विराजे गणेश जी को सच्चे मन से पूजने पर वे कभी भी अपने भक्तों को खाली हाथ नहीं जाने देते। इसी वजह से गणेश उत्सव के बाद भी यहां सालभर भक्तों का तांता लगा रहता है।

मनकामेश्वर मंदिर में प्रतिदिन किया जाता भगवान भोलेनाथ का श्रृंगार

सीहोर शहर के तहसील चौराहा स्थित मनकामेश्वर महादेव मंदिर जिले के अनेक प्राचीन मंदिरों में से एक है। शहर के बीच पेशवाकालीन मनकामेश्वर मंदिर पर साल भर धार्मिक कार्यक्रम होते रहते हैं। मनकामेश्वर मंदिर में स्थापित शिवलिंग नर्मदा नदी के पत्थरों से निर्मित है। करीब 200 साल पुराने इस मनकामेश्चर मंदिर में प्रतिदिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन एवं पूजा – अर्चना के लिए आते हैं। मनकामेश्वर मंदिर में प्रतिदिन भगवान भोलेनाथ का श्रृंगार किया जाता है। शिवरात्रि पर शिव बारात निकाली जाती है, जिसमें बाहर के कलाकार प्रस्तुति देते हैं। चलित झांकियां इस शिव बारात में आकर्षण का केन्द्र होती है। मंदिर परिसर में स्थित बावड़ी का भी अपना इतिहास है। इस बावड़ी का पानी मीठा है और पाचन शक्ति को बढ़ाने वाला बताया जाता है । सुरक्षा की दृष्टि से इस बावड़ी को लोहे के जाल ढंक दिया गया है।

नीलकंठेश्वर मंदिर में नर्मदा और कौशल्या नदी के संगम से बनती है ओम की आकृति

सीहोर जिले के नसरुल्लागंज में नीलकंठ गांव के पास नर्मदा नदी और कौशल्या नदी का संगम स्थल है, इसे कौशल्य संगम कहा जाता है। यहां स्थित मंदिर में नीलकंठेश्वर महादेव भी विराजमान है। कहा जाता है कि मां नर्मदा एवं मां कौशल्या के तट पर स्वयं नीलकंठेश्वर महादेव प्रकट हुए थे। यहीं पर नर्मदा और कौशल्या नदी के संगम से ओम की आकृति बनती हुई नजर आती है, जिससे इस स्थान का महत्व बढ़ जाता हैं। कौशल्या संगम पर मां पुण्यदायिनी मां नर्मदा ओमकार रूप में आज भी कल – कल करती बह रही हैं। जो भी श्रद्धालु शांत भाव से भगवान शिव – पार्वती एवं मां नर्मदा का स्मरण करता हैं उन्हें स्वयं ही ओमकार रूपी गूंज सुनाई देती है। यहां पर नीलकंठेश्वर मंदिर पर खड़े होकर ओम आकृति को आसानी से देखा जा सकता है, जो कि मां नर्मदा और कौशल्या नदी के संगम से मिलने के बाद नजर आती है। इस पौराणिक स्थल पर हर साल महा शिवरात्रि, नर्मदा जयंती, अमावस्या , पूर्णिमा पर्व पर हजारों श्रद्धालु भगवान शिव के दर्शन के लिए आते हैं। यहां पर त्रेता युग के समय राजा दक्ष द्वारा यज्ञ किए जाने के बारे में किंवदंती प्रचलित है। ऐसा कहा जाता है कि त्रेतायुग में राजा दक्ष ने भगवान शिव को अपमानित करने के लिए यहां दक्ष यज्ञ किया था।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Khabar News | MP Breaking News | MP Khel Samachar | Latest News in Hindi Bhopal | Bhopal News In Hindi | Bhopal News Headlines | Bhopal Breaking News | Bhopal Khel Samachar | MP News Today