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नर्मदा के नाभि स्थल नेमावर में होगी प्रदक्षिणा की संस्कृति पर शोध संगोष्ठी
जनजातीय लोक कला एवं बोली विकास अकादमी भोपाल द्वारा नर्मदा के नाभि स्थल पर स्थित ग्राम नेमावर जिला देवास में ‘प्रदक्षिणा की संस्कृति’ विषय पर एक शोध संगोष्ठी का आयोजन किया जा रहा है । यह संगोष्ठी 8 से 10 अक्टूबर तक आयोजित होगी ।
अकादमी के निदेशक डॉ. धर्मेन्द्र पारे ने बताया कि प्रदक्षिणा की परंपरा विश्वव्यापी है । भारत के लोक और आरण्यक समुदायों ने प्रदक्षिणा से जैसी आध्यात्मिकता, दार्शनिकता, कला, शिल्प, नृत्य और लोक गान की संस्कृति निर्मित की है, वह अपने आप में विलक्षण है। प्रदक्षिणाओं के विवरण तो बहुतेरे उपलब्ध होते हैं, किन्तु प्रदक्षिणा से निर्मित संस्कृति पर बात कम ही हुई है। यही ध्यान में रखते हुए हमने ‘प्रदक्षिणा की संस्कृति’ विषय पर यह संगोष्ठी प्रस्तावित की है ।
इसमें 8 अक्टूबर शनिवार को प्रदक्षिणा: आशय और अभिप्राय विषय पर संगोष्ठी होगी। इसके साथ ही 09 अक्टूबर रविवार को विषय -प्रदक्षिणा पथ की परंपराएँ एवं 10 अक्टूबर सोमवार को प्रदक्षिणा के संकल्प, नियम, निषेध और रूढ़ियाँ आदि विविध विषयों पर देश भर के विद्वान, परिक्रमावासी, आध्यात्मिक चिंतक प्रतिभागी शामिल होंगे। इनमें आचार्य मिथिलेश नंदिनी शरण (अयोध्या) आचार्य दुर्गाचरण शुक्ल (टीकमगढ़) श्री मनोज श्रीवास्तव, पूर्व अतिरिक्त मुख्य सचिव (भोपाल) प्रो. रामसेवक दूबे (प्रयागराज) प्रो.मीनाक्षी जोशी (प्रयागराज) डॉ. श्याम सुंदर दुबे (हटा) डॉ.श्रीकृष्ण जुगनू (उदयपुर)डॉ.शिवकुमार तिवारी (जबलपुर) डॉ.श्रीराम परिहार (खंडवा) डॉ.पीसी लाल यादव (दुर्ग)डॉ विभा ठाकुर (नई दिल्ली) डॉ. दीपा दत्तात्रय कुचेकर (नाशिक )डॉ श्रीकृष्ण काकडे (अकोला)सहित 40 से अधिक विद्वान अपना शोध पत्र प्रस्तुत करेंगे ।
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