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जनजातीय संग्रहालय में बच्चों ने आर्ट एंड क्राफ्ट में बनाया ग्रामीण परिवेश

मध्यप्रदेश जनजातीय संग्रहालय द्वारा बच्चों की सहज प्रवृत्तियों को रेखांकित करने और उनकी भीतरी सामर्थ्य को जाग्रत करने के उद्देश्य से ‘खुद को पहचानने’ श्रृंखला की शुरूआत की है। गतिविधि अंतर्गत काव्य अभिनय, आरगेमी, क्राफ्ट गतिविधि, कहानी पाठ, विज्ञान के खेल, रंगों के खेल जैसी अन्य गतिविधियाँ प्रत्येक रविवार को दोपहर 03.00 शुरू होगी, जिसमें 8 से 16 वर्ष की आयु के बच्चे एवं संग्रहालय भ्रमण में परिवार के साथ आये बच्चे भी शामिल हो सकेंगे। 2 अक्टूबर को आयोजित गतिविधि का शुभारंभ दीप प्रज्जवलन से किया गया।
इस दौरान निदेशक, जनजातीय लोक कला एवं बोली विकास अकादमी डॉ. धर्मेंद्र पारे एवं अन्य अधिकारी, कर्मचारी उपस्थित रहे। अगले चरण में गतिविधि में विशेषज्ञ श्री प्रेम मनमौजी-उज्जैन एवं श्री कार्तिक शर्मा- भोपाल, श्री राजेश पराशर- भोपाल सहयोगियों द्वारा कई रचनात्मक आकृति तैयार कराई गई। प्रतिभागी बच्चों ने आर्ट एंड क्राफ्ट में ग्रामीण परिवेश पर आधारित घर, पेड़-पौधे, पशु-पक्षी बनाये। साथ ही गतिविधि में बच्चों ने खेल खेले और कविताओं की प्रस्तुति दी। प्रतिभागी के रचने की संभावना को देखते हुये शिल्पांकन के लिये आवश्यक सामग्री स्थल पर उपलब्ध कराई गई। गतिविधि दौरान बड़ी संख्या में बच्चे शामिल हुये। दीपावली त्योहार के चलते इस बार गतिविधि अंतर्गत 9 अक्टूबर को तोरण द्वारा निर्मिति के बारे में बताया जायेगा। गतिविधियों से जुड़ने के लिये मध्यप्रदेश जनजातीय संग्रहालय की वेवसाइट www.MPTribalMuseum.com पर जाकर रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं। रजिस्ट्रेशन सीमित समय के लिये होगा। उल्लास गतिविधि अंतर्गत शिल्प, नृत्य, गायन मूर्तिकला, खेल, अभिनय एवं अन्य में बच्चे अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर सकेंगे।
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