कांग्रेस अध्यक्ष अब कठपुतली नहीं होगा, राजस्थान के तेवरों से आए संकेत

कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव होने जा रहा है जिसके लिए नामांकन प्रक्रिया चल रही है और अशोक गहलोत के चुनाव मैदान में उतरने की पूरी संभावना है। मगर राजस्थान में रविवार की शाम से जिस तरह उनके और उनके समर्थक विधायकों के तेवर बदले हैं, उससे लगता है कि कांग्रेस का भावी अध्यक्ष कठपुतली नहीं होगा। उसके अपने फैसले होने के आसार हैं और शायद इसीलिए गहलोत समर्थक विधायक राजस्थान में विधायक दल की बैठक कांग्रेस अध्यक्ष के निर्वाचन के बाद कराए जाने की शर्त रख रहे हैं।

राजस्थान में मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर सचिन पायलट का जिस तरह गहलोत समर्थक विधायक विरोध कर रहे हैं, उससे यह संकेत हैं कि 18 अक्टूबर को जो कांग्रेस अध्यक्ष होगा, वह अपने पूरे अधिकारों का इस्तेमाल करेगा। अशोक गहलोत को अध्यक्ष बनाने के लिए हाईकमान ने पिछले दिनों मंजूरी दी है लेकिन तब ऐसा माना जा रहा था कि वे हाईकमान के हर आदेश को मानेंगे। राजस्थान में रविवार को जिस तरह से घटनाक्रम हुआ और उसमें हाईकमान के निर्देशों के तहत बुलाई गई विधायक दल की बैठक में गहलोत समर्थक विधायकों के जाने से इनकार के बाद कांग्रेस अध्यक्ष चुने जाने के बाद हाईकमान के आदेश-निर्देशों के पालन को लेकर संशय की स्थिति बनने लगी है।
हाईकमान के निर्देशों को नहीं माना
गहलोत ने रविवार शाम के बाद अपने पत्ते खोलना शुरू किए और यह साफ कह दिया कि मुख्यमंत्री वह बनेगा जो अगले चुनाव में सरकार बना सके। उन्होंने यह भी कहा कि वे तो नौ अगस्त को ही सोनिया गांधी को इस्तीफा दे चुके हैं। वहीं, सचिन पायलट भी शाम को दिल्ली से जयपुर पहुंचे लेकिन तब तक उनके सीएम बनाए जाने को लेकर विरोध के स्वर खुलकर सामने आने लगे थे। गहलोत समर्थक विधायकों ने उन्हें सीएम स्वीकार करने से इनकार कर दिया और उनमें से ही किसी एक को सीएम बनाने की मांग कर दी। हाईकमान द्वारा भेजे गए पर्यवेक्षकों से बात करने से भी तब तक के लिए मना कर दिया जब तक उनकी बातें नहीं मानी जाती।
आगे क्या संभावना
राजस्थान के बदले राजनीतिक परिदृश्य में अब कांग्रेस में टूट की संभावना बढ़ गई है। सचिन पायलट को गहलोत समर्थकों द्वारा अस्वीकार किए जाने के बाद पायलट को अपना भविष्य खतरे में दिखाई देगा क्योंकि अशोक गहलोत अगर कांग्रेस अध्य़क्ष बनेंगे तो विधानसभा चुनाव में उनके समर्थकों को टिकट कटने की संभावना है। तब उनकी राजनीति में ठहराव आ जाएगा। ऐसे में कुछ दिनों के भीतर सचिन पायलट के कांग्रेस छोड़ने की संभावना ज्यादा दिखाई दे रही है और इसका राजनीतिक लाभ भाजपा ले सकती है।

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