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व्हीकल लोकेशन ट्रैकिंग के लिए केंद्र की सूची में 89 कंपनी, एमपी में केवल चार अधिकृत

मध्य प्रदेश में सार्वजनिक वाहनों के लिए व्हीकल लोकेेशन ट्रैकिंग (वीएलटी) और पैनिक बटन अनिवार्य किया गया जिसके लिए केंद्र सरकार ने 89 कंपनियों को अधिकृत किया है। मगर मध्य प्रदेश में केवल चार कंपनियों को मान्य किया जा रहा है। इन कंपनियों के अलावा दूसरी कंपनी से सिस्टम लगवाने पर परिवहन विभाग फिटनेस सर्टिफिकेट ही जारी नहीं किया जाएगा। यह आरोप प्राइम रूट बस ऑनर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष गोविंद शर्मा ने लगाया है।
शर्मा ने एक बयान जारी कर बताया है कि केंद्र सरकार ने देशभर में एआरएआई सर्टिफाइड 89 कंपनियों को व्हीकल लोकेशन ट्रैकिंग और पैनिक बटन लगाने के लिए अधिकृत किया है। इसकी अधिसूचना 25अक्टूबर 2018 को जारी की गई थी जिसका जिक्र चार सी बिंदू में है। वाहन मालिकों को यह स्वतंत्रता दी गई कि वह अपने हिसाब से किसी भी कंपनी का सिस्टम लगवा सकता है।
प्राइम रूट बस ऑनर्स एसोसिएशन के गोविंद शर्मा का कहना है कि अधिकाश बसों के मालिकों ने अपनी बसों में केंद्र की अधिसूचना के बाद ये सिस्टम लगवाए थे। तीन से चार हजार रुपए इन सिस्टम को लगवाने पर खर्च आया लेकिन अब मध्यप्रदेश परिवहन विभाग अपने द्वारा अधिकृत चार कंपनियों के माध्यम से लगवाए गए सिस्टम ही मान्य किए जा रहे हैं। शर्मा ने कहा कि मध्य प्रदेश परिवहन विभाग ने जिन कंपनियों को अधिकृत किया है वे 10 से 16 हजार रुपए तक राशि वसूल रही हैं। इस संबंध में इंदौर संभाग के बस मालिकों ने इंदौर में बैठक आयोजित की गई जिसमें प्रमुख सचिव परिवहन व परिवहन आयुक्त से चर्चा करने का फैसला हुआ है।
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