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छतरपुर में सवा सौ साल पुरानी रामलीलाछ दूसरे दिन मनुसतरूपा और रावण जन्म का मंचन

छतरपुर जिले में सवा सौ साल पुरानी लाल कड़क्का रामलीला का आयोजन शुरू हो गया जिसकी शुरुआत महाराज विश्वनाथ सिंह जू देव ने की थी। छतरपुर के महलों के पास भव्य मंच पर चल रही लाल कड़क्का रामलीला के दूसरे दिन मनुसतरूपा, रावण जन्म एवं मेघनाद द्वारा दिग्विजय की लीला का मंचन किया गया।
दूसरे दिन भगवान की महाआरती रोटरी क्लब के मनीष दोसाज, रामकुमार गुप्ता, सौरभ चौरसिया व चंद्रभान सिंह ने की। इस अवसर पर बोलते हुए मनीष दोसाज ने कहा- मैं पूरी रामलीला समिति को साधुवाद देना चाहता हूँ और प्रभु राम से प्रार्थना करता हूँ कि वे उन्हें इतनी शक्ति दें की यह लीला अनवरत रूप से चलती रहे | उन्होनें सभी से आग्रह किया कि अपने-अपने बच्चों को भी साथ में लायें ताकि उन्हें भगवान राम के चरित्र का, मातृ-पितृ भक्ति का, त्याग का ज्ञान हो सके | रामकुमार गुप्ता ने भी उद्बोधन दिया | व्यासपीठ पर सुप्रसिद्ध गायक देवनाथ पाठक, तबला पर यथार्थ गुप्ता, ऑर्गन पर दिनेश विश्वकर्मा, तथा ढोलक पर अखिलेश केवट संगत दे रहे है। तदोपरांत कलाकारों ने मनुसतरुपा, रावण जन्म और मेघनाद द्वारादिग्विजय का सजीव मंचन किया |
कैसे हुई लाल कड़क्का रामलीला
छतरपुर के महाराज विश्वनाथ सिंह जू देव ने लाल कड़क्का रामलीला प्रारंभ की थी। महाराज विश्वनाथ सिंह जू देव को वर्ष 1897 में महाराजा साहब की पदवी प्राप्त हुई थी और इसी के उपलक्ष्य में महाराज साहब ने लाल कड़क्का मंदिर के महंत मुंशी नरसिंह नारायण जी को रामलीला संचालन का दायित्व सौंपा। तब से लेकर यह लीला अनवरत चल रही है।
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