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विक्टोरिया के जन्मदिन की मिठाई फेंककर हेडगेवार ने दिया क्रांतिकारी का परिचय

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि उन्हें बालाघाट के रामपायली में डॉ. हेडगेवार के क्रांतिकारी होने के कई प्रसंगों के बारे में पता चला। हेडगेवार ने बाल्यावस्था में ही नागपुर में रानी विक्टोरिया की जन्मदिन की पार्टी में मिली मिठाई को फेंककर अपने क्रांतिकारी मिजाज का परिचय दे दिया था और वंदे मातरम नहीं गाने के अंग्रेज सरकार के सर्कूलर के खिलाफ खड़े होकर उसका गायन तक किया।
चौहान ने डॉ. हेडगेवार से जुड़े कई प्रसंगों को आज भोपाल में कैबिनेट बैठक के पहले बताया। उन्होंने कहा कि हेडगेवार रामपायली में काकाजी के घर रहते थे और वहीं से क्रांतिकारी एवं स्वतंत्रता संग्राम से संबंधित गतिविधियों का संचालन करते थे। 22 जून 1897 को जब हेडगेवारजी की उम्र लगभग 8 – 9 साल की थी, तब नागपुर में रानी विक्टोरिया की 60 वी सालगिरह का कार्यक्रम हो रहा था। तब इस नन्हे बालक केशव ने कार्यक्रम में मिली मिठाई फेंककर आ गए थे। इस घटना को लेकर जब उनके बड़े भाई ने उनसे पूछा तो हेडगेवार का जवाब था कि अंग्रेजों ने हमारे हिंदुस्तान, हमारे भोसले खानदान के खिलाफ काम किया तो फिर इनके किसी कार्यक्रम में कैसे हिस्सा ले सकते हैं। इनकी मिठाई कैसे खा सकते हैं।
1915 में कांग्रेस में सक्रिय हुए
चौहान ने बताया कि हेडगेवार 1910 में जब पढ़ाई करने के लिए कोलकाता गए थे, वहां अनुशीलन समिति से जुड़ गए। कोलकाता में पढ़ाई करते हुए बंगाल के क्रांतिकारियों से उनका मेल मिलाप हुआ। पहले अनुशीलन समिति का साधारण सदस्य बनाया गया। उसके बाद समिति का अंतरंग सदस्य भी बना लिया गया।1915 में नागपुर लौटने पर कांग्रेस में सक्रिय हो गए। कुछ समय में विदर्भ प्रांतीय कांग्रेस के सचिव बन गए। 1920 में नागपुर में कांग्रेस का राष्ट्रीय अधिवेशन हुआ, तो डॉ हेडगेवार ने अधिवेशन की पूरी व्यवस्थाएं संभाली।
तिलक से प्रभावित थे हेडगेवार
डॉ. हेडगेवार वर्ष 1916 में लोकमान्य तिलक से प्रभावित हुए जब लोकमान्य तिलक कारावास समाप्त कर मुक्त हुए तो उनके संपर्क में आए और भारतीय स्वतंत्रता के लिए काम करने लगे। डॉ हेडगेवार कोलकाता से एमबीबीएस करने के बाद वर्ष 1914 के बाद और आरएसएस की स्थापना वर्ष 1925 के पूर्व एक लंबे कालखंड में रामपायली में रहकर भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की विभिन्न गतिविधियों को संचालित करते रहे।
रामपायली में अंग्रेजों के खिलाफ उग्र आंदोलन से अंग्रेज भागे
सीएम शिवराज सिंह चौहान ने बताया कि रामपायली में श्री राम मंदिर के सामने बने पुलिस थाने पर डॉ हेडगेवार ने अंग्रेजी के खिलाफ उग्र आंदोलन कर, अंग्रेजों को भागने पर मजबूर कर दिया। डॉ हेडगेवार जी ने रामपायली में स्वतंत्रता समर के दौरान पहली सभा दशहरे के दिन की थी। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान डॉ हेडगेवार जी ने रामपायली में रहकर जंगल सत्याग्रह सहित अनेक क्रांतिकारी गतिविधियों की रचना की। अंग्रेज सरकार के खिलाफ वे उग्र भाषण देने लगे, अंग्रेज सरकार ने उन पर भाषण बंदी का नियम भी लागू किया। इसके बाद भी हेडगेवार पीछे नहीं हटे। उन्होंने अंग्रेजों के विरुद्ध अपने तेवर कम नहीं किए और उनके खिलाफ भाषण देते रहे। खिलाफत आंदोलन, असहयोग आंदोलन के दौरान अंग्रेज सरकार ने उन पर मामला दर्ज किया और एक वर्ष की सश्रम कारावास की सजा दी। 12 जुलाई 1922 को वे कारागार से मुक्त हुए। स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने और अंग्रेज सरकार का विरोध करने पर डॉ हेडगेवार दो बार जेल भी गए।
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