आपकी आवाज, हमारी कलम की शुरुआत हम विधानसभा चुनाव 2023 में जुटी कांग्रेस से करने जा रहे हैं जिसमें कमलनाथ सर्वे के बारे में कुछ चर्चाओं को आपके सामने रख रहे हैं।
कांग्रेस मध्य प्रदेश में वापसी के लिए विधानसभा चुनाव की तैयारियों में भले नहीं जुटी हो लेकिन प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ अपने सर्वे में अवश्य लगे हैं। उनके सर्वे को लेकर प्रदेश कांग्रेस का नेता डरा-सहमा दिखाई देता है। सर्वे कौन करता है, इसको लेकर अब तक कांग्रेस के चंद नेताओं को छोड़कर अन्य कोई नहीं जानता है। जिला इकाइयों को भी सर्वे को लेकर भनक तक नहीं होती है।
मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव 2023 में अब सालभर बचा है और 230 सीटों पर जो दावेदार हैं, वे पूरी कोशिश में है कि सर्वे में उनका नाम आ जाए। कांग्रेस के कुछ नेता सर्वे को कई दावेदारों को भ्रमित करने का माध्यम बताते हैं जिससे जिलों व विधानसभा क्षेत्रों में कांग्रेस नेता सक्रिय रहे हैं। यह मानने वाले नेता टिकट वितरण में दिग्गजों के हिस्सेदारी की पुरानी परंपरा को आज भी जीवित मानते हैं। यह नेता फिर अपने-अपने आकाओं के चक्कर काटकर टिकट की जुगत लगाते हैं।
कई दावेदारों को क्षेत्र की बजाय परिक्रमा पर विश्वास
कांग्रेस के कई नेताओं को परिक्रमा पर इस कदर विश्वास है कि वे अपने आका की गतिविधि पर नजर रखकर अपने आपको उनके आसपास मौजूदगी दिखाते रहते हैं। परिक्रमा वाले नेताओं को काटने के लिए क्षेत्र के दूसरे दावेदार आज के ताकतवर नेताओं के कानाफूसी कर नकारात्मक बातें पहुंचाने से नहीं चूकते हैं। वे कमलनाथ के सर्वे में आने के लिए प्रपंच करने से भी बाज नहीं आते हैं।
ग्वालियर का उदाहरण सर्वे में दिया जाने लगा
कमलनाथ के सर्वे में इन दिनों ग्वालियर नगर निगम महापौर के टिकट का उदाहरण कांग्रेस नेता देते घूम रहे हैं। कहा जा रहा है कि विधायक सतीश सिकरवार की पत्नी को टिकट मिला तो किसी को अंदाज तक नहीं था कि सर्वे में वे टॉप पर हैं। उदाहरण देने वाले कहते फिर रहे हैं कि ग्वालियर नगर निगम महापौर प्रत्याशी चयन के लिए नेतागण बैठे थे और वहां तमाम तरह की रिपोर्टों पर दावेदारों ने नाम बताए जा रहे थे। कमलनाथ ने अपनी सर्वे रिपोर्ट में सिकरवार की पत्नी को जीतने वाली प्रत्याशी बताया और तमाम दावेदारों की खामियां गिनाईं व विधायक पत्नी को उनसे बीस अंकों वाला प्रत्याशी बताया।
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