एआईकेएससीसी ने कहा कि देशभर के किसानों, कृषि मजदूरों, व आमजनों को 25 सितम्बर को भारत बंद कर किसान विरोधी कानून और नीतियों के खिलाफ प्रतिरोध जताया था। अब दो अक्टूबर को जनप्रतिनिधि बहिष्कार दिवस और 14 अक्टूबर को एमएसपी अधिकार दिवस के रूप में मनाया जाएगा। इसके बाद देशभर के लोग 26-27 नवंबर को दिल्ली चलो अभियान में दिल्ली पहुंचेंगे।
एआईकेएससीसी ने राज्य विधान सभाओं से अपील की है कि वे प्रस्ताव पारित कर घोषित करें कि क्योंकि यह देश के संघीय ढांचे पर और किसानों के अधिकारों पर गम्भीर हमला हैं। इसलिए वे इसे अमल नहीं करेंगी। तीन किसान विरोधी कानूनों के खिलाफ एआईकेएससीसी अपने संघर्ष को और तेज करेगी। एआईकेएससीसी की बहुत सारी राज्य इकाईयों ने गांव से ब्लाक स्तर तथा मंडियों में विरोध सभाएं सम्मेलन आयोजित कर केन्द्र सरकार द्वारा किसानों पर किए जा रहे हमले पर शिक्षित करने, सरकार के धोखे को उजागर करने, क्रमिक व नियमित भूख हड़तालें चलाने, आदि का निर्णय लिया है।
एआईकेएससीसी अपनी राज्य इकाइयों और विभिन्न संगठनों के साथ समन्वय करते हुए पंजाब, हरियाणा, पश्चिम उत्तर प्रदेश तथा कर्नाटका, तमिलनाडु, तेलंगाना के आन्दोलनों के साथ भी समन्वय करते हुए आन्दोलन के आगे के कदमों की घोषणा करेगी और इस बीच वह सभी राज्य स्तर पर तय कार्यक्रमों व आन्दोलनों का समर्थन व घोषणा करना चाहती है। ये निम्नानुसार हैं।
- पंजाब के किसान संगठनों द्वारा रेल रोको का आह्नान।
- 6 अक्टूबर 2020 को हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यन्त चैटाला के घर के सामने धरना व उनके इस्तीफे की मांग।
- कर्नाटका के किसान संगठनों द्वारा केन्द्र व राज्य सरकार के किसान विरोधी आन्दोलनों द्वारा रोक की अपील।
ये राज्य स्तरीय स्थानीय विरोध अन्य केन्द्रीय कार्यक्रमों के साथ आयोजित होंगे: - 2 अक्टूबर, 2020 को देश के किसान उन पार्टियों व जनप्रतिनिधियों के बहिष्कार का संकल्प लेंगे, जिन्होंने इन किसान विरोधी कानूनों का विरोध नहीं किया है और केन्द्र सरकार के किसान विरोधी कानूनों के खिलाफ गांव सभा के प्रस्ताव अपनाएंगे।
- 14 अक्टूबर, 2020 को देश के किसान एमएसपी अधिकार दिवस के रूप में मनाएंगे और सरकार के इस झूठ का खुलासा करेंगे कि किसानों को स्वामीनाथन आयोग के अनुसार न्यूनतम समर्थन मूल्य मिल रहा है।
ये सभी विरोध एक राष्ट्रीय विरोध के रूप में 26 व 27 नवम्बर, 2020 को दिल्ली में संगठित होंगे।
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