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आत्ममंथन से निकले अमृत को जनता तक पहुंचाएंगे: मुख्यमंत्री

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के कुशल नेतृत्व में देश में सुशासन के क्षेत्र में सकारात्मक बदलाव हो रहे हैं। मध्यप्रदेश भी उनकी सुशासन एवं आत्मनिर्भर भारत की अवधारणा को मूर्त रूप देने के लिए कृत-संकल्पित है तथा इसके लिए प्रदेश में तेज गति से कार्य हो रहा है। विषय विशेषज्ञों के साथ वैबीनार के आयोजन का उद्देश्य विभिन्न क्षेत्रों में सर्वश्रेष्ठ योजनाएं बनाकर, उन्हें प्रभावी ढंग से प्रदेश में लागू करना है। वैबिनार में मंथन के उपरांत निकले अमृत को जनता तक पहुंचाने में मध्यप्रदेश में तत्परता के साथ कार्य होगा।
मुख्यमंत्री चौहान आज आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश के अंतर्गत सुशासन विषय पर आयोजित समापन सत्र को संबोधित कर रहे थे। वैबिनार में विनय सहस्त्रबुद्धे ने कहा कि मध्यप्रदेश ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के कुशल नेतृत्व में सुशासन के क्षेत्र में कीर्तिमान स्थापित किए हैं। मध्यप्रदेश में लागू लोक सेवा गारंटी अधिनियम को अन्य राज्यों ने भी लागू किया है। यह सुशासन की दृष्टि से अत्यंत उपयोगी है। इसके साथ ही मध्यप्रदेश में कृषि एवं रोजगार वृद्धि के संबंध में उल्लेखनीय कार्य हो रहे हैं। मध्यप्रदेश द्वारा चालू किया गया ‘रोजगार सेतु’ पोर्टल बहुत प्रभावी है।
सुशासन के समक्ष 4 प्रमुख चुनौतियां
विनय सहस्त्रबुद्धे ने सुशासन की प्रमुख चुनौतियों एवं समाधानों के विषय में कहा कि सुशासन के समक्ष चार प्रमुख चुनौतियां 1. उद्देश्यपूर्णता का अभाव, 2. विश्वसनीयता का अभाव, 3. स्वामित्व भाव का अभाव तथा 4. आपसी संबंधों का अभाव है। यदि इन्हें दूर कर दिया जाए, तो निश्चित रूप से हम देश एवं प्रदेश में सुशासन ला सकते हैं। उन्होंने समय-समय पर शासकीय नियमों एवं कानूनों के पुनरावलोकन तथा प्रक्रियाओं के सरलीकरण पर भी जोर दिया।
परिपूर्ण जीवनशैली एवं सकारात्मकता बढ़ाने में आनंद संस्थान का महत्वपूर्ण योगदान
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि प्रदेश में शासकीय अमले एवं जनसामान्य में परिपूर्ण जीवनशैली एवं सकारात्मकता बढ़ाने में राज्य आनंद संस्थान ने महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इससे शासकीय अमले की कार्यशैली में बदलाव आया है और वह रोते-गाते कार्य करने के स्थान पर, केवल नौकरी के लिए नहीं, बल्कि एक बड़े उद्देश्य प्रदेश के विकास के लिए कार्य कर रहा है। उन्होंने नीति आयोग के साथियों से अनुरोध किया कि वे इस बदलाव का आकलन करें।
सुझावों को शीघ्र योजनाओं और नीतियों में परिवर्तित करें
मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस ने सभी का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि वैबीनार में प्राप्त विषय विशेषज्ञों के सुझावों को प्रदेश में शीघ्र योजनाओं और नीतियों में परिवर्तित कर इनका लाभ जनता को दिया जाएगा।
सुशासन पर आयोजित वैबीनार के समापन सत्र में सहकारिता एवं लोक सेवा प्रबंधन मंत्री अरविंद भदौरिया, उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव, पिछड़ावर्ग तथा अल्पसंख्यक कल्याण राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रामखिलावन पटेल, स्कूल शिक्षा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) इंदर सिंह परमार सहित विषय विशेषज्ञ तथा विभिन्न विभागों के अधिकारी उपस्थित थे। अपर मुख्य सचिव गृह, जेल एवं परिवहन विभाग एस.एन. मिश्रा ने विभिन्न उप समूहों द्वारा प्रस्तुत निष्कर्षों पर प्रस्तुतीकरण दिया।
विषय विशेषज्ञों के प्रमुख सुझाव
· राज्य शासन ‘ईज ऑफ लाईफ’ की अवधारणा का क्रियान्वयन करें।
· जनसामान्य को मूलभूत सुविधाएं घर बैठे मिल सकें, इसके लिए डिजीटल सुविधा का विस्तार किया जाए।
· “फेसलैस तकनीक” के माध्यम से व्यक्ति की शासकीय कार्यालयों में भौतिक उपस्थिति के बिना ही उसके कार्य हो सकें।
· विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत प्रतिभावान युवाओं को शासकीय व्यवस्था से जोड़ने की दिशा में कार्य हो।
· शासन के सभी विभागों की जानकारियों को ‘सिंगल डाटाबेस’ पर उपलब्ध कराया जाए।
· ई-ऑफिस व्यवस्था को प्रोत्साहित किया जाए।
· प्रदेश में “आऊटसोर्सिंग कार्पोरेशन” बनाया जाए, जो सभी विभागों के लिए आऊटसोर्सिंग का काम करें।
· “वर्क फ्रॉम होम” को बढ़ावा दिया जाए।
· जिला स्तर पर सभी विभाग “डैशबोर्ड” विकसित करें, जिससे कलेक्टर द्वारा ऑनलाइन मॉनीटरिंग हो सके।
· सी.एम. हेल्पलाईन को विस्तार देकर “सी.एम. सिटीजन केयर पोर्टल” प्रारंभ किया जाए।
· राजस्व, कृषि, सिंचाई आदि में ड्रोन तकनीक का उपयोग।
· योजनाओं और कार्यक्रमों के क्रियान्वयन का परीक्षण “आउट कम इंडीकेटर” के आधार पर किया जाए।
· कर्मचारियों के कार्य के आंकलन के लिए “परफार्मेंस इंडीकेटर” तय होंगे।
· शासकीय गतिविधियों की नागरिक केन्द्रित मॉनीटरिंग की व्यवस्था।
· हितग्राहीमूलक योजनाओं के क्रियान्वयन का “थर्ड पार्टी” मूल्यांकन हो।
· कानूनों तथा नियमों में “सनसैट क्लॉज” लागू किया जाए, जिससे समयावधि पश्चात उनका पुनरीक्षण हो सके।
· “आगे आएं लाभ उठाएं” को डिजीटल स्वरूप में लाया जाए। जानकारी अपलोड करने पर पात्रता की जानकारी मिल जाए।
· प्रदेश में “टेलीमेडिसन” तथा “ऑनलाइन शिक्षा सुविधा”।
· “आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस”, “ब्लॉक चैन”, “ड्रोन”, “क्लाउड” को प्रोत्साहित करने के लिए “सेंटर ऑफ एक्सीलेंस”।
· शासकीय कानून एवं प्रक्रियाओं का सरलीकरण हो।
· सभी अधिनियम, नियम आदि एक वेबसाइट पर उपलब्ध हों।
· आई.आई.टी., आई.आई.एम., नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी जैसी शैक्षणिक संस्थाओं, औद्योगिक संगठनों, सिविल सोसायटी के सहयोग से नियमों तथा अधिनियमों में सुधार।
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