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कुर्बानी नहीं, विसर्जन कर दो बची हुई काँग्रेस का: मालू
उमंग सिंघार ने ट्वीट के जरिए कहा कि “भारत के स्वतन्त्रता संग्राम से लेकर आज तक कांग्रेस में अनेक नेताओं, कार्यकर्ताओं एवं नेहरू गांधी परिवार का कुर्बानी का इतिहास रहा है लेकिन कुछ लोग अपने स्वार्थ के लिये युवा नेतृत्व एवं देश की सबसे पुरानी पार्टी को कुर्बान करने पर लगे हैं। खनिज निगम के पूर्व उपाध्यक्ष और प्रदेश के पूर्व मीडिया प्रभारी गोविन्द मालू ने पलटवार करते हुए कहा कि “कुर्बानी, कुर्बानी, कुर्बानी अल्लाह को प्यारी है कुर्बानी! गाँधीजी की इच्छा पूरी करने का समय आ गया है, कि अब काँग्रेस का काम खत्म हो गया इसका विसर्जन कर देना चाहिए।
असली काँग्रेस का विघटन 1969 में हो गया था, असली “संगठन काँग्रेस” (निजलिंगप्पा) का विलय जनता पार्टी में 1977 में हो गया था।
यह तो “सत्ता काँग्रेस” है, जो जनता को सता रही थी, जो अब सत्ता में नहीं रही तो, अब बची खुरचन काँग्रेस! जिसका विसर्जन कर देना चाहिए, नहीं तो जनता तो अपना कर्तव्य निभा ही रही है। आदिवासी जमीनी नेता उमंग की कुर्बानी वाली मार एमपी से दिल्ली तक है। काँग्रेसियों को आपने कहा ईद, रक्षाबंधन, काँग्रेस विसर्जन मुबारक़ हो!!
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