राजनैतिक स्वार्थपूर्ति के लिए एकता, अखंडता, सांप्रदायिक सौहार्द तोड़ने का प्रयास कर रही है भाजपा

सागर जिले में घटी अप्रत्याशित दुःखद घटना में एक अनुसूचित जाति परिवार के व्यक्ति की मृत्यु हो गई थी, जिसके उपरांत हमारे संवेदनशील मुख्यमंत्री श्री कमलनाथ जी ने पीड़ित के समुचित इलाज की व्यवस्था के साथ ही पर्याप्त आर्थिक सहायता देना भी सुनिश्चित कर दिया था लेकिन हर घटना में अपनी राजनैतिक स्वार्थपूर्ति का अवसर देखने वाली भारतीय जनता पार्टी ने इसे राजनैतिक मुद्दा बनाकर, घटना को सांप्रदायिक रूप देने का घृणित प्रयास किया है।

जबकि उपरोक्त संदर्भ में यह बात साफ हो गई है कि सागर में हुई घटना पड़ोसी परिवारों के आपसी विवाद की दुःखद परिणति है। यह भी उल्लेखनीय है कि इस घटना में जहां एक ओर सरकार और प्रशासन द्वारा सभी दोषियों को गिरफ्तार कर जेल में डालने के साथ ही, दंडित करने की कार्यवाही शुरू की जा चुकी है, वहीं मृतक युवक के परिवारजनों को 8.5 लाख रूपये की आर्थिक सहायता, सरकारी नौकरी, मकान के साथ ही सभी आवश्यक सुविधाएं और सुरक्षा की व्यवस्था मुख्यमंत्री श्री कमलनाथ जी के निर्देश पर जिला प्रशासन द्वारा की गई है। 
इस सबके बावजूद प्रदेश में जिम्मेदार पद पर रह चुके पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उनकी पार्टी के लोग उक्त दुःखद घटना को लेकर लगातार झूठ परोसने का काम कर रहे हैं। सागर में उनके द्वारा दोषियों को गिरफ्तार न करने संबंधी दिया गया भाषण पूरी तरह से झूठ का पुलिंदा था, जबकि हकीकत यह है कि मृतक के परिवार के द्वारा अब तक दिए अपने बयानों में जिन लोगों का जिक्र किया गया है, उन्हें पुलिस गिरफ्तार कर चुकी है। इस तरह भाजपा और उसके नेता झूठ की राजनीति कर भ्रम फैलाने का काम कर रहे हैं।

यही नहीं घटना के दोषियों को सजा दिलाने तथा पीड़ित पक्ष को राहत और मदद पहुंचाने की दिशा में मुख्यमंत्री माननीय श्री कमलनाथ जी के निर्देशन में सरकार द्वारा कानूनी प्रावधानों के तहत पीड़ित के परिवारजनों को अधिकतम आर्थिक सहायता एवं अन्य मददें दी जा चुकी हैं लेकिन यह शर्मनाक है कि इस मुददे पर ओछी राजनीति कर रही भाजपा और उसके सांसदों व विधायकों द्वारा पीड़ित परिवार को अपने स्वेच्छानुदान से अब तक एक रूपये की भी मदद नहीं दी गई है, साफ है कि भाजपा इस मुददे पर पीड़ित परिवार की कोई वास्तविक सहायता करने की बजाय केवल मुंह चलाने की राजनीति कर रही है।

यह भी उल्लेखनीय है कि इस दुःखद घटना के बाद मृतक धनप्रसाद अहिरवार के भाई धनीराम अहिरवार द्वारा सागर के पुलिस अधीक्षक को लिखे गए पत्र से भी, भाजपा की ओछी, दलित विरोधी, सांप्रदायिक और घृणित विचारधारा सामने आ गई है। उक्त पत्र में मृतक के भाई ने भाजपा विधायक शैलेन्द्र जैन और प्रदीप लारिया पर शवयात्रा में साजिश के तहत शमिल होने की बात कहते हुए, चक्काजाम के लिए उकसाने और झूमाझटकी करते हुए, अर्थी छीन कर उसे जमीन पर पटकने का आरोप भी लगाया गया है। शर्मनाक है कि भाजपा के नेताओं ने इस तरह की निंदनीय कोशिश करते हुए पूरे दलित समाज का घोर अपमान किया है, उन्हें अपने इस निंदनीय कृत्य के लिए समूचे दलित समाज से अविलंब माफी मांगना चाहिए।

साफ है कि भाजपा को दलितों की भावनाओं और संवेदनाओं से अधिक अपनी राजनीति चमकाने की चिंता है। यदि ऐसा नहीं है तो दलितों के नाम पर घड़ियाली आंसू बहा रहे, भाजपा नेताओं को पहले यह बताना चाहिए कि मध्यप्रदेश में भाजपा के 15 वर्षीय कार्यकाल में घटित हुई अन्याय, अत्याचार, उत्पीड़न और शोषण की हजारों घटनाओं पर भाजपा के लोग चुप्पी क्यों साधे रहे। तत्कालीन भाजपा सांसद वीरेन्द्र कुमार के सांसद दरबार में कलेक्टर परिसर पर स्व. बाबा शिवकुमार चौधरी के साथ घटित घटना में हुई मौत का मामला हो, भाजपा के विधायक राहुल लोधी जो सुश्री उमा भारती के भतीजे हैं, उन्होंने अपनी गाड़ी से तीन दलितों को कुचलकर मौत के घाट उतार दिया, संत रविदास महाकुंभ सागर में बस से शामिल होने आये 7 दलितों की मौत और दर्जनों के घायल होने का मामला हो, ये कहीं भी न तो घटना स्थल पर पहुंचे और न ही पीड़ितों की कोई सुध ली, बैरसिया में 62 वर्षीय दलित किशोरी लाल जाटव को भाजपा के मंडल अध्यक्ष ने जब जलाकर मार दिया तब भी भाजपा ने तत्काल कोई कार्यवाही करने की बजाय मामले को दबाने की निंदनीय कोशिश की थी।

यही नहीं इसके अतिरिक्त चाहे मालथौन और खुरई में बाबा साहब डाॅ. भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा तोड़ने का मामला हो या दलितों के साथ अत्याचार और भेदभाव के अन्य जघन्य और निंदनीय मामले रहे हों, भाजपा के नेताओं ने पीड़ितों के साथ हुए अत्याचारों के साथ ही बाबा साहब कि खंडित प्रतिमा को देखने तक के लिए घटनास्थल पर पहुंचना अपनी शान के खिलाफ समझा। दलित उत्पीड़न और अत्याचार की घटनाओं के मामलों में उक्त वर्णित भाजपा की इन बेशर्म चुप्पियों से, उसका दलित विरोधी चेहरा बार-बार प्रदेश की जनता के सामने आता रहा है। स्पष्ट है कि भाजपा नेताओं की वह मानसिकता बदली नहीं है जो उसे संघ से संस्कारों में मिली है।

देश इस बात को भली-भांति जानता है कि भाजपा उसी संघ की विचारधारा पर चलती है जिसने संविधान का विरोध और अनादर करते हुए 11 दिसंबर 1949 को उसकी प्रतियां जलाने के साथ ही, दलितों के मसीहा, महान स्वतंत्रता सेनानी और संविधान निर्माता बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर का पुतला जलाकर, दशकों पहले अपनी दलित विरोधी मानसिकता का परिचय दे दिया था।

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