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गोण्ड जनजातीय-ऋतुलीला गायन, पुरलिया छाऊ लोकनृत्य

मध्यप्रदेश जनजातीय संग्रहालय में गायन, वादन एवं नृत्य गतिविधियों पर केंद्रित श्रृंखला ‘उत्तराधिकार’ में आज ‘गोण्ड जनजातीय गायन’, ‘ऋतुलीला गायन’ और ‘पुरलिया छाऊ लोकनृत्य’ की प्रस्तुतियाँ संग्रहालय सभागार में हुई.
कार्यक्रम की शुरुआत रूपसिंह कुशराम(डिण्डौरी) ने अपने साथी कलाकारों के साथ ‘गोण्ड जनजातीय गायन’ से की| कलाकारों ने गायन प्रस्तुति की शुरुआत ‘जय गोड़न के देव बड़ा भारी, ऐ हो बड़े देव सब गोड़न के’ गीत को अपने कलात्मक गायन कौशल से प्रस्तुत कर की| इसके बाद कलाकारों ने ‘या घोड़ा ला सांधे भाई’ गीत प्रस्तुत किया| रूपसिंह कुशराम ने अपने साथी कलाकारों के साथ ‘ददरा मा गाँव बसय’ गीत प्रस्तुत करते हुए अपनी गायन प्रस्तुति को विराम दिया| गायन के दौरान रूपसिंह कुशराम का साथ मांदल पर शिव चरण कुशराम ने, टिमकी पर माखन लाल ने, बाँसुरी वादन में देवी सिंह ने और गायन में चैन सिंह, गिरवर सिंह, बिहारी सिंह, शांतिबाई, मदियाबाई, बजरीबाई और नरबदिया ने दिया|
गोण्ड जनजातीय गायन के बाद विधि शर्मा(नई दिल्ली) ने अपने साथी कलाकारों के साथ कृष्णागमन पर केंद्रित ‘ऋतुलीला गायन’ प्रस्तुत किया| विधि शर्मा ने अपने गायन की शुरुआत मीराबाई द्वारा रचित ‘जोसीदा ने लाख बधाई अब घर आये श्याम’ गीत प्रस्तुत कर की| इसके बाद उन्होंने सूरदास द्वारा रचित ‘नन्द द्वारे इक जोगी आयो’, ‘देखो री या मुकुट की लटकन’ और परमानंददास द्वारा रचित ‘श्री लाल कछु कीजै भोजन’ गीत सभागार में मौजूद श्रोताओं के समक्ष प्रस्तुत किया|
इसके बाद कलाकारों ने कुंभनदास द्वारा रचित ‘गैया गोवर्धन तैं आईं’ गीत प्रस्तुत कर सभी श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया| अपनी गायन प्रस्तुति के अंत में विधि शर्मा ने अपने साथी कलाकारों के साथ राधा-कृष्ण पर केंद्रित गीत ‘झूला राधा- कृष्ण पर’ प्रस्तुत किया| गायन प्रस्तुति के दौरान विधि शर्मा का साथ तबले पर घुलाम साबिर ने, की-बोर्ड पर जावेद हुसैन ने और परकशन पर सतीश सोलंकी ने दिया| विधि शर्मा लम्बे समय से गायन-वादन के क्षेत्र में सक्रीय हैं| विधि शर्मा ने गायन की कई प्रस्तुतियाँ देश के विभिन्न कला मंचों पर दी हैं|
गायन प्रस्तुतियों के बाद सृष्टिधर महतो(राँची) ने अपने साथी कलाकारों के साथ ‘पुरलिया छाऊ लोकनृत्य’ प्रस्तुत किया| इस नृत्य प्रस्तुति में कलाकारों ने अपने कलात्मक नृत्याभिनय कौशल से कृष्ण जन्म से लेकर कंस वध तक के प्रसंगों को सभागार में मौजूद दर्शकों के समक्ष प्रस्तुत किया| नृत्य प्रस्तुति की शुरुआत कारावास में कृष्ण जन्म से होती है, उसके बाद कृष्ण की बाल लीलाओं के प्रसंग का मंचन होता है| अंततः कृष्ण द्वारा कंस के वध को कलाकारों ने पुरलिया छाऊ
लोकनृत्य शैली में प्रस्तुत किया| नृत्य प्रस्तुति के दौरान मंच पर अरुण चंद्र महतो, फलारी महतो, विकास कुमार मृतुन्जय महतो, संजय महतो, दिलीप कुमार, दीनदयाल कुमार, रमिश्वर कुमार और भावतरण कुमार आदि ने अपने कलात्मक अभिनय कौशल से सभागार में मौजूद दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया| प्रस्तुति के दौरान ढोलक पर रवि सहिस ने, नगाड़ा पर भारत महतो ने, शहनाई पर मंटू कालिंदी ने सहयोग किया| सृष्टिधर महतो को कई प्रतिष्ठित सम्मानों और पुरस्कारों से
सम्मानित किया जा चुका है| सृष्टिधर महतो ने देश के विभिन्न कला मंचों पर पुरलिया छाऊ लोकनृत्य की कई मोहक प्रस्तुतियाँ दी हैं|
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