भारत ने अपने पहले खगोल अनुसंधान उपग्रह एस्ट्रोसेट का आज सफल प्रक्षेपण किया। श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केन्द्र से पी.एस.एल.वी. – सी 30 यान एस्ट्रोसेट को लेकर दस बजे रवाना हुआ और 22 मिनट 52 सैकण्ड के
भीतर इसे पृथ्वी की भूमध्य रेखीय कक्षा में स्थापित कर दिया। एक हजार 531 किलोग्राम का यह उपग्रह पांच वर्ष तक कार्य करेगा।पी.एस.एल.वी. – सी 30 ने अमरीका, कैनैडा और इण्दोनेशिया सहित छह अन्य देशों के छोटे उपग्रहों को भी प्रक्षेपित किया। इसके साथ ही अमरीका के उपग्रह का भारत से व्यवसायिक प्रक्षेपण शुरू हुआ है।
इसरो ने अब तक अधिकतर दूरसंचार, प्रसारण और रिमोट सेंसिग के लिए उपग्रह भेजे है। चंद्रयान -1 और मंगलयान जैसे मिशन वैज्ञानिक अध्ययन में हमारी उल्लेखनीय प्रगति के प्रतीक है। आज निर्धारित कक्षा में एस्ट्रोसैट की सफल स्थापना से भारत ने अंतरिक्ष में अपनी वेधशाला पहुंचा दी है, जो भारत की अंतरिक्ष अनुसंधान यात्रा में एक और मील का पत्थर है। इसरो के अध्यक्ष ए.एस.किरन कुमार ने इस अवसर पर वैज्ञानिकों को बधाई दी।
आज का दिन बहुत ही महत्वपूर्ण है। पीएसएलवी ने एस्ट्रोसैट को कक्षा में सफलता से स्थापित किया, इस पर केवल देश की ही नहीं पूरे विश्व की नजर है। मैं बेहतरीन काम करने के लिए इसरो की पूरी टीम को बधाई देता हूं।
एस्ट्रोसैट भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रमों में नया आयाम जोड़ेगा इससे ब्रह्माड और उससे जुड़ी कई रहस्यों को गहराई से समझने में मदद मिलेगी। इसे सितारों को छूने की भारत की कोशिश ही कहा जा सकता है।
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