विधानसभा में आज स्थगन प्रस्ताव के संबंध में गृहमंत्री श्री भूपेन्द्र सिंह ने सदन में जानकारी दी कि किसानों की समस्याओं और मांगों के प्रति राज्य सरकार गंभीर है। किसान संगठनों द्वारा फसलों का उचित दाम दिए जाने तथा जायज मांगों के बारे में राज्य सरकार द्वारा विभिन्न स्तर पर चर्चा कर समाधान किया गया है। गृहमंत्री ने बताया कि कतिपय किसान संगठनों के द्वारा विगत एक जून 2017 को प्रदेश में कृषक आंदोलन के आव्हान को दृष्टिगत रखते हुए सभी जिलों में किसानों को शासन की नीतियों से अवगत कराने तथा उनसे संवाद की पहल कर यह सुनिश्चित किया गया था कि जनजीवन सामान्य रहे तथा हिंसा ना हो पाये। उन्होंने कहा कि 1 और 2 जून 2017 को कुछ जिलों में कृषक आंदोलन के दौरान आंदोलनकारियों द्वारा दूध पलटने, सब्जी फेंकने की घटनाओं के दौरान कानून व्यवस्था कायम रखी गई। इस दौरान सोशल मीडिया पर भ्रामक प्रचार के द्वारा किसानों को उकसाने की घटनाओं को गंभीरता से लेते हुए मुख्यमंत्री ने किसानों के हित में निर्णय लेने तथा किसान अंदोलन में किसान नेताओं से संवाद कर समाधान के प्रयास किए। मुख्यमंत्री की घोषणाओं के बावजूद 3 जून 2017 से धरना, नारेबाजी, चक्काजाम तथा पुलिस पर पथराव करने की घटनाएं शुरू हो गई थीं। किसान आंदोलन के दौरान 4 जून को रतलाम में पुलिस बल पर गंभीर हमले हुए वहीं 5 जून को मंदसौर में हाईवे जाम करने, रेल्वे की संपत्ति को नुकसान पहुंचाने, पुलिस पर पथराव तथा व्यापारिक प्रतिष्ठानों पर हमले की घटनाओं को रोकने के लिए पुलिस बल ने समझाईश देकर टकराव रोकने की पहल की थी। 5 जून को ही दलौदा में नेशनल हाईवे पर करीब 8 घंटे जाम रहा और रेल्वे यातायात बाधित रहा। इस स्थिति को देखते हुए प्रभावित जिलों में अतिरिक्त पुलिस बल तथा केन्द्रीय अर्द्ध सैनिक बल, विशेष सशस्त्र बल की टुकडिय़ों को भेजा गया था।
दिनांक 6 जून को मंदसौर जिले के कई कस्बों में वाहनों में तोडफ़ोड़, आगजनी और पुलिस बल पर पथराव तथा जानलेवा हमले तथा आंदोलनकारियों के बलवे को रोकने के प्रयास की परिणति गोली चालन के रूप में हुई जिसमें 6 लोगों की मृत्यु हुई। स्थिति को नियंत्रण करने के लिए मंदसौर और पीपल्या मंडी में कफ्र्यू लगाया गया। गृहमंत्री ने बताया कि शासन ने मंदसौर गोली चालन की घटना की न्यायिक जांच के आदेश दिए हैं। इस पूरे आंदोलन में 109 पुलिस अधिकारियों तथा कर्मचारियों के घायल होने तथा 29 यात्रियों को भी चोट आने का ब्यौरा भी उन्होंने दिया। गृहमंत्री ने बताया कि इस पूरे आंदोलन में करीब 325 प्रकरण कायम कर विवेचना में लिए गए हैं। आंदोलन के दौरान निजी संपत्तियों को पहुंची हानि का आंकलन जारी है। गृहमंत्री ने स्पष्ट किया कि घटित हिंसा के परिप्रेक्ष्य में पुलिस साक्ष्य के आधार पर तथा आरोपी पाए जाने पर ही विधि सम्मत कार्यवाही की जा रही है। उन्होंने इस बात को भी खारिज किया कि सरकार द्वारा एक जाति विशेष के लोगों/किसानों को अफीम माफिया घोषित कर उनके विरुद्ध झूठे प्रकरण कायम किए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि घटित हिंसा में साक्ष्यों के आधार पर ही कार्यवाई की जा रही है। गृहमंत्री श्री सिंह ने बैतूल जिले में आदिवासी किसान द्वारा खेत में कुंआ खुदवाने के लिए बेटे को गिरवी रखने के आरोपों को भी सिरे से खारिज किया।
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