मिश्रा द्वारा लिए गए फैसले एवं केबिनेट की बैठक अवैध

नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा द्वारा 23 जून के बाद मंत्री रहते हुए लिए गए फैसले और इस दौरान केबिनेट की बैठक में शामिल होने पर उस केबिनेट के निर्णय को तत्काल प्रभाव से रद्द करने और उनसे इस्तीफा लेने की मांग की है। उन्होंने कहा कि ऐसा न करने पर मुख्यमंत्री आयोग और हाईकोर्ट दोनों के निर्णय के अवमानना करने के दोषी होंगे। इस संबंध में नेता प्रतिपक्ष श्री सिंह ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है। नेता प्रतिपक्ष श्री अजय सिंह ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा द्वारा 23 जून के बाद मंत्री रहते हुए लिए गए फैसले और इस दौरान केबिनेट की बैठक में शामिल होने पर उस केबिनेट के निर्णय को तत्काल प्रभाव से रद्द करने और उनसे इस्तीफा लेने की मांग की है। उन्होंने कहा कि ऐसा न करने पर मुख्यमंत्री आयोग और हाईकोर्ट दोनों के निर्णय के अवमानना करने के दोषी होंगे। इस संबंध में नेता प्रतिपक्ष श्री सिंह ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है।

नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने कहा कि 23 जून को चुनाव आयोग के फैसले के बाद नरोत्तम मिश्रा पद पर बने रहने का अधिकार खो चुके थे। इसके बाद भी उनका पद पर बना रहना असंवैधानिक है। दिल्ली हाईकोर्ट ने भी 14 जुलाई को आयोग के निर्णय पर मुहर लगा दी। इससे स्पष्ट है कि नरोत्तम मिश्रा चुनाव आयोग द्वारा दिए गए निर्णय 23 जून से अयोग्य हैं। श्री सिंह ने पत्र में लिखा कि जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 7 (बी) में धारा 10 (ए) के संबंध अयोग्यता को परिभाषित किया है। जिसमें स्पष्ट है कि “अयोग्य व्यक्ति सदन का सदस्य न रह सकता न रहेगा”।

सिंह ने कहा कि भारतीय संविधान में जन प्रतिनिधि होने के लिए पात्रता संबंधी प्रावधान में अयोग्य व्यक्ति को अपात्र माना गया है।  नेता प्रतिपक्ष श्री सिंह ने मुख्यमंत्री को अपने पत्र में लिखा है कि एक अयोग्य व्यक्ति को अब तक मंत्री पद पर बनाए रखना संवैधानिक संस्थाओं का उल्लंघन है। सिंह ने मुख्यमंत्री से कहा है कि नरोत्तम मिश्रा ने अपने विभागों में जो भी फैसले लिए और केबिनेट में शामिल हुए वे सब अवैध हैं, उन्हें अधिकार ही नहीं था। इस दौरान उन्होंने जो भी वेतन भत्ता लिया एवं सरकारी संसाधनों की सुख सुविधा का उपभोग किया है वह अवैध है। इसकी भी वसूली की जाए। सिंह ने मुख्यमंत्री से कहा कि वे अगर डॉ. अंबेडकर द्वारा बताए गए संविधान और उससे उद्भुत अन्य संवैधानिक संस्थाओं और हाईकोर्ट पर विश्वास करते हो, उनके फैसले का सम्मान करते हैं तो उसका सख्ती से पालन करें।

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