मध्यप्रदेश में 2 जुलाई वृक्षारोपण दिवस के रूप में मनाया जायेगा

मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि प्रदेश में 2 जुलाई की तिथि को वृक्षारोपण दिवस के रूप में मनाया जायेगा। वर्ष 2018 में पुनः 2 जुलाई को महा वृक्षारोपण कार्यक्रम होगा, इस वर्ष रोपित पौधों की वर्षगांठ मनेगी और पौधरोपण भी किया जाएगा। उन्होंने निर्देशित किया है कि शासकीय कार्यक्रमों के अवसर पर उपयुक्त स्थान पर पौधारोपण का कार्य आवश्यक रूप से किया जाए। श्री चौहान आज मंत्रालय में नर्मदा तलहटी में किये गये वृक्षारोपण अभियान की समीक्षा कर रहे थे। इस अवसर पर लोक निर्माण मंत्री श्री रामपाल सिंह भी मौजूद थे।मुख्यमंत्री श्री चौहान ने नर्मदा कछार में वृक्षारोपण संबंधित 24 जिलों के जनप्रतिनिधियों, स्वयंसेवी, सामाजिक एवं धार्मिक संगठनों, आमजनों और जिला प्रशासन को हार्दिक बधाई देते हुए कहा कि पेड़ बचाने का संकल्प वास्तव में नदी को बचाने, पर्यावरण और धरती बचाने का संकल्प है। उन्होंने प्रदेश की जनता की कर्तव्यनिष्ठा का अभिनंदन किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि वृक्षारोपण कार्यक्रम में जन-सहभागिता का नया कीर्तिमान स्थापित हुआ है। इस अभियान ने जनता के सहयोग से असंभव को भी संभव करने का विश्वास दिया है। श्री चौहान ने पौध संरक्षण के प्रयासों पर भी पूरा ध्यान देने पर जोर देते हुए कहा कि  जन-प्रतिनिधि, प्रशासनिक अधिकारी और वन विभाग के अधिकारी पौधों का अस्तित्व बचाने को अपनी प्राथमिकताओं में शामिल करें।मुख्यमंत्री श्री चौहान ने जन-प्रतिनिधियों से आग्रह किया कि वृक्षारोपण के लिए पंजीयन कराने वालों के साथ जीवंत संपर्क बनायें। भविष्य के सामाजिक सेवा के कार्यक्रमों में उन्हें सहयोगी बनायें। उनको पत्र अथवा धन्यवाद संदेश जरूर भेजें। उन्होंने बताया कि वृक्षारोपण के फोटो को सोशल मीडिया पर अपलोड करना उत्साहवर्धन का प्रभावी माध्यम है, इसे जारी रखा जाए। वृक्षारोपण जैसा जन-आंदोलन मिल-बाँचे और स्कूल चलें हम अभियान के लिये भी गतिशील किया जाये ताकि हर बच्चा स्कूल जाने लगे।वनमंत्री डॉ. गौरीशंकर शेजवार ने कहा कि वन विभाग का प्रयास होगा कि अभियान के अंतर्गत लगे पौधों की सरवाइवल दर एक नया बेंच मार्क स्थापित करें।विडियो कांफ्रेसिंग के दौरान जन-प्रतिनिधियों और अधिकारियों ने बताया कि 2 जुलाई को प्रदेश में हरित क्रांति हुई है। जन-सहभागिता का नया इतिहास रचा गया है। एक ही दिन में 6.63 करोड़ पौधों का रोपण प्रदेश की धरती पर किया गया है। धरती बचाने का सेवा कार्य अभूतपूर्व और अद्भुत रूप में संपन्न हुआ है। समाज के सभी समूहों, समुदायों, संगठनों ने बिना जाति-धर्म के भेदभाव के अभियान में व्यक्तिगत जवाबदारी के साथ सहभागिता की है। फिर चाहे वह छात्र हो, कैडेट हो, स्वयं सेवक हो, सैन्य बलों के सदस्य हों, व्यवसायी हो अथवा व्यापारिक, सामाजिक, धार्मिक एवं सांस्कृतिक संगठनों के सदस्य पदाधिकारी हो, सभी ने उत्साह से भाग लिया।जिलों में हुआ नवाचारबैठक में बताया गया कि खरगौन जिले में पौधों को कंटीले झाड़ से घेर दिया गया है। नरसिंहपुर के नेमा परिवार ने विवाह समारोह में अतिथियों को रोपण के लिये पौधों का वितरण उपहार स्वरूप किया। देवास के बागली अंचल में आदिवासी समुदाय ने महा-उत्सव के रूप में वृक्षारोपण कार्य किया। पारंपरिक नृत्य-गायन के साथ हुए वृक्षारोपण की छटा ही निराली थी। जबलपुर में आयुध फैक्ट्रियों द्वारा 55 हजार एकड़ में पौधरोपण किया गया है। सेना के जी.ओ.सी. भी कार्यक्रम में शामिल हुये। जिले के विद्यालयों और छात्रावासों में वृक्षारोपण उत्सवों का आय़ोजन हुआ। धार जिले में जलपुरुष राजेन्द्र सिंह ने अभियान में सहभागिता की। स्थानीय समुदाय ने पौधों को जीवित रखने की शपथ ली है। रायसेन जिले में लाड़ली लक्ष्मी परिवारों ने घर पर मुनगें के पौधे लगाए। अलीराजपुर में 19 सामाजिक संगठनों ने अधिकांशत: आम के पौधों का रोपण किया।बैतूल जिले ने वृक्षारोपण को संवहनीय आजीविका माध्यम के रूप में संचालित किया गया। फलदार पौधों का रोपण कर उनके रख-रखाव में स्वैच्छिक संस्थाओं ने भागीदारी की। उस स्थल पर विशेष वृक्षारोपण का आयोजन किया गया, जहाँ पर भवानी प्रसाद मिश्र ने काव्य रचना की थी। ताप्ति जल उत्सव में भी वृक्षारोपण को जोड़ा गया है। डिंडोरी जिले में 50 हजार पौधे पुलिस के जवानों ने रोपित किये। मुख्यमंत्री ने पुलिस अधीक्षक सुश्री सिमाला प्रसाद के प्रयासों की सराहना की। सिवनी जिले में कार्यक्रम में जुड़ने की भावनात्मक अपील कविता के द्वारा किया जाना बहुत प्रभावी रहा। सीहोर में स्वयंसेवी संस्थाओं, एन.सी.सी., शासकीय विभागों द्वारा अतिरिक्त रूप से वृक्षारोपण किया जा रहा है। दस लाख से अधिक नये गड्डे हुये है। बड़वानी में ईकोटूरिज्म स्थल विकसित होगा। ऐसा वृक्षारोपण हुआ कि भूमि का कटाव रोकने के लिये घास लगवाने का कार्य भी शीघ्र प्रारंभ किया जायेगा। छिंदवाड़ा के जनप्रतिनिधियों ने बताया कि वृक्षारोपण का ऐसा प्रभावी कार्यक्रम जीवन में पहली बार देखा है। इन्दौर में ग्रीन के साथ क्लीन शहर के संकल्प के साथ वृक्षारोपण किया गया। कटनी जिले में पौधारोपण की सेल्फी का ट्रेंड चल पड़ा है। बालाघाट के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में भी अभियान के दौरान स्थानीय समुदायों ने अभूतपूर्व उत्साह का प्रदर्शन किया है। दमोह और सागर जिलों में वृक्षारोपण के दौरान उत्सवी चहल-पहल रही। बुरहानपुर में सामाजिक सौहार्द का नजारा अद्भुत रहा। नागरिक पौध रोपण स्थलों पर स्वयं टिफिन लेकर गये, उससे मजदूरों को खाना खिलाया और स्थानीय फलों को खाकर लौटे। खंडवा में महिलाओं के सामाजिक सम्मान और भावनात्मक जुड़ाव को अभियान से जोड़ा गया। मायके में बेटी की धरोहर के रूप में पौधे लगवाए गये। गांव की बहुओं के सम्मान के प्रतीक के रूप में पहला पौधा उनसे ही लगवाया गया।

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