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2008 से 2012 सत्र के छात्रों के एडमिशन को SC ने रद्द किया
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक बड़ा फैसला देते हुए 2008 से 2012 के बीच के मध्यप्रदेश के मेडिकल स्टूडेंट का एडमिशन रद्द कर दिया है। सामूहिक नकल के कारण यह फैसला हुआ है। व्यापम घोटाले मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला करीब 634 नकलची MBBS छात्रों को सुप्रीम कोर्ट से तगड़ा झटका। सुप्रीम कोर्ट ने छात्रों की याचिका खारिज की। 2008 से 2012 सत्र के छात्रों के एडमिशन को SC ने रद्द किया।
सुप्रीम कोर्ट ने मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के फैसले पर मुहर लगाई । CJI जेएस खेहर की तीन सदस्यीय पीठ का फैसला दिया। याचिका में छात्रों ने हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने छात्रों को फर्जी तरीके से एडमिशन लेने का दोषी पाया था। हाईकोर्ट ने छात्रों के एडमिशन को रद्द किया था।
इस पर आज कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर सीधा हमला किया है।
कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने टि्वटर एकाउंट पर सबसे पहली टिप्पणी की कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले से हमारे आरोप सही साबित हुए हैं। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के नाक के नीचे यह हुआ तो उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए।
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव ने भी मुख्यमंत्री चौहान से इस्तीफे की मांग की है। यादव ने पीएमटी घोटाले की एक महत्वपूर्ण क़ड़ी डॉ. यू.सी. उपरीत के धारा 164 में दिए गए उस बयान की भी याद दिलाई है, जिसमें उपरीत ने कहा है कि हम चिकित्सा शिक्षा मंत्री बनते ही उन्हें 10 करोड रुपये भिजवा देते थे, आज आये इस महत्वपूर्ण फैसले में जिस अवधि (2008-2012) का जिक्र किया गया है, उस अवधि में चिकित्सा शिक्षा मंत्रालय मुख्यमंत्री के पास था। अब सीएम को इसकी नैतिक जिम्मेदारी लेकर पद से इस्तीफा देना चाहिए।
आम आदमी पार्टी के प्रदेश संयोजक आलोक अग्रवाल ने कहा कि छात्रों का भविष्य तो बरबाद हो गया है लेकिन जो गुनाहगार हैं वे आजाद हैं। जिन लोगों ने पैसे दिए, पढ़ाई की, उनका भविष्य बरबाद हो गया और जिन्होंने पैसे लिए, फर्जी प्रवेश के लिए नकल कराई, वे आजाद हैं।




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