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माँ नर्मदा को निर्मल-अविरल बनाने हर व्यक्ति सहभागी बनने आतुर
‘नमामि देवी नर्मदे”-सेवा यात्रा जैसे ही गाँव में पहुँचती है तो ऐसा लगता है कि मानो बेटी की बारात आयी हो। यात्रा के स्वागत के लिये हर आँगन और घर को सजाया गया है। यात्रा में पूरा गाँव सहभागी बनता है। इसके साथ ही जैसे ही यात्रा गाँव से रवाना होती है तो ऐसा लगता है कि बेटी की विदायी हो गयी है। लेकिन यात्रा में सभी लोग नर्मदा की सफाई और पौध-रोपण का जो संकल्प लेते हैं, उसे क्रियान्वित करने के लिये दृढ़-संकल्पित दिखते हैं। ग्रामीण-जन कहते हैं कि यदि सरकार और खासतौर से मुख्यमंत्री हमारे बारे में इतना सोचते हैं तो हमें माँ नर्मदा, जो हमारी जीवन-दायिनी है, के लिये कुछ भी करने में कोई संकोच नहीं है।
गाँव का हर व्यक्ति यात्रा में सिर्फ शामिल नहीं, सहभागी होता है। वह तन, मन और यथा-संभव धन से नर्मदा नदी को निर्मल और अविरल बनाये रखने के लिये कृत-संकल्पित दिखता है। शायद ‘नमामि देवी नर्मदे”-सेवा यात्रा की सबसे बड़ी देन या सफलता लोगों की यही सोच है।
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