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वादन और गायन की सभा से उत्तराधिकार की शाम गुलजार

भोपाल के संस्कृति संचालनालय द्वारा कलाओं में परम्परा, नवप्रयोगों एवं नवांकुरों के लिए स्थापित ‘‘उत्तराधिकार’’ श्रृंखला का आयोजन जनजातीय संग्रहालय में आज शाम से किया गया। इस श्रृंखला में इस बार वादन के साथ ही गायन की सभा आयोजित हुई।
कार्यक्रम की शुरूआत भोपाल की ख्याति प्राप्त संतूर वादिका सुश्री श्रुति अधिकारी ने अपने सुपुत्र श्री निनाद अधिकारी के साथ संतूर जुगलबंदी प्रस्तुत कर की। सुश्री अधिकारी-निनाद अधिकारी ने अपने संतूर वादन का आरम्भ राग-रागेश्री में आलाप, जोड़ झाला, ताल रूपक में एक बंदिश, तीन ताल में मध्यलय तथा द्रुत बंदिश के साथ की। उत्तराधिकार में यह संयोग रहा कि मंच पर माँ-बेटे ने एक ही वाद्य माध्यम में अपनी प्रस्तुति दी। आपके साथ दो युवा तबला वादकों ने संगत की हर्षित सोनी एवं अशेष उपाध्याय ने। इस प्रस्तुति के उपरांत संस्कृति संचालनालय एवं आदिवासी लोक कला एवं बोली विकास अकादमी की निदेशक श्रीमती वंदना पाण्डेय ने सभी कलाकारों को पुष्पगुच्छ भेंटकर स्वागत किया।
स्वागत उपरान्त बनारस घराने की प्रतिभाशाली कलाकार सुश्री स्नेहलता मिश्रा ने अपने गायन की शुरूआत की। उन्होंने अपने गायन का आरम्भ मिश्र खमाज में ठुमरी से किया, जिसके बोल थे ‘‘सांवरिया को देखे बिना नाही चैन’’। अगली प्रस्तुति में आपने मिश्र चारूकेशी में दादरा के साथ की जिसके बोल थे ‘‘सैय्या मोरारे’’, इसके बाद राग पीलू में दादरा की प्रस्तुति दी, जिसके बोल थे ‘‘तोहे लेके सांवरिया’’। अगली प्रस्तुति राग भिन्न सरज में ‘‘मोरे सैय्या बेदर्दी, कदर ना जाने’’ से की। अंत में आपने मीरा भजन के साथ अपनी सभा का समापन किया, बोल थे ‘‘माई री मैं तो गिरधर के घर जाऊँ’’। आपके साथ तबले पर संगत दी ख्यात तबला वादक पण्डित जयशंकर मिश्रा ने एवं हारमोनियम पर संगत दी भोपाल के उस्ताद जमीर हुसैन खाँ ने। सुश्री मिश्रा विख्यात गायिका सुश्री गिरिजा देवी की शिष्या है। कला का संस्कार आपको अपने परिवार से मिला है। आपने पिता पंडित दीनानाथ मिश्र यशस्वी गायक हैं वहीं चाचा पण्डित भोलानाथ मिश्र वरिष्ठ गायक एवं पण्डित कालीनाथ मिश्र निष्णात तबला वादक है। वादन एवं गायन की सभा में भोपाल के संगीतप्रेमियों ने जमकर लुत्फ उठाया और कलाकारों की इस प्रस्तुति की भरपूर सराहना की।
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