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44 लाख नागरिकों और 1,30,000 कारोबारियों को कैशलेस लेन-देन के लिए प्रशिक्षित किया गया है
इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा नई दिल्ली में लोदी रोड स्थित स्कोप कन्वेंशनल सेंटर के सभागार में 20 दिसम्बर, 2016 को ‘इलेक्ट्रॉनिक सरकारी भुगतानों एवं प्राप्तियों (ईपीआर)’ पर एक राष्ट्रीय कार्यशाला आयोजित की गई। भारत सरकार के इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय में सचिव सुश्री अरुणा सुंदरराजन, आईएएस, ने इस कार्यशाला का उद्घाटन किया।
इलेक्ट्रॉनिक भुगतानों एवं प्राप्तियों (ईपीआर) पर आयोजित कार्यशाला का उद्देश्य सरकारी भुगतान एवं प्राप्ति पारिस्थितिकी के सभी हितधारकों को विभिन्न समाधानों के बारे में जागरूकता के एक आम स्तर पर लाना है। भुगतानों एवं प्राप्तियों के इलेक्ट्रॉनिक मोड को तत्काल अपनाने के लिए इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने राष्ट्रीय स्तर पर ये कदम उठाये हैं।
इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय में सचिव सुश्री अरुणा सुंदरराजन ने अपने मुख्य संबोधन में कहा कि ईपीआर कार्यशाला एक ऐसी पहल है जिसका उद्देश्य भारत सरकार द्वारा शुरू किये गये डिजिधन अभियान को आगे बढ़ाना है। इन कार्यशालाओं से समस्त पारिस्थितिकी को समझने के साथ-साथ अंतिम भुगतानकर्ताओं एवं आदाताओं के नजरिये से सरकारी भुगतानों एवं प्राप्तियों से संबंधित चुनौतियों से निपटने में भी हमें मदद मिलेगी। भुगतानों एवं प्राप्तियों के इलेक्ट्रॉनिक मोड को अपनाने में सरकारी विभागों की मदद करने के उद्देश्य से इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा एक विस्तृत रूपरेखा एवं दिशा-निर्देश जारी किये जायेंगे।
राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस प्रभाग (एनईजीडी) की डॉ. राधा चौहान ने कहा, ‘यह कार्यशाला पारस्परिक दृष्टि से अत्यंत संवादात्मक थी और इसमें 26 राज्यों एवं सरकार के अनेक प्रमुख विभागों की ओर से सक्रिय भागीदारी देखी गई।’ इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने इस बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए अनेक कदम उठाये हैं और डिजिटल भुगतान के लिए 44 लाख नागरिकों एवं 1,30,000 कारोबारियों को पहले ही प्रशिक्षित तथा नामांकित किया जा चुका है (स्रोत: digitaljagriti.in के जरिये वास्तविक समय पर डिजिटल नामांकनों की जानकारी रखना- 22 दिसम्बर, 2016 को प्रात: 11.30 बजे तक की सूचना के मुताबिक)। डॉ. राधा चौहान ने इसके साथ ही सरकार में निर्बाध इलेक्ट्रॉनिक वित्तीय लेन-देन सुनिश्चित करने के लिए सभी हितधारकों से संबंधित मुद्दों और उपयोगकर्ताओं के अनुभवों तथा इन प्रणालियों के मानकीकरण/इनमें तालमेल बैठाने की संभावनाओं पर विचार-विमर्श करने का आग्रह किया।
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