आयुष मंत्रालय ने भारत को आयुर्वेद चिकित्‍सा और शोध हब में बदलने के लिए विश्‍व के विशेषज्ञों से सुझाव मांगे

आयुष राज्‍यमंत्री (स्‍वतंत्र प्रभार) श्री श्रीपद यशो नायक ने आयुर्वेद के क्षेत्र में में शोध करने तथा काम करने वाले विशेषज्ञों से सुझाव मांगे हैं ताकि मंत्रालय इन सुझावों को देश में इस पारंपरिक स्‍वास्‍थ्‍य विज्ञान के अध्‍ययन और अभ्‍यास को युक्तिसंगत बनाने में शामिल कर सके।मंत्री महेादय ने कहा कि मंत्रालय आयुर्वेद और अन्‍य पारंपरिक औषधियों के व्‍यवस्थित विकास के लिए ठोस प्रयास कर रहा है। श्री नायक कोलकाता में 1 दिसंबर से 4 दिसंबर,2016 तक आयोजित 7वें विश्‍व आयुर्वेद कांग्रेस के समापन समारोह में बोल रहे थे।
इससे पहले मंत्री महोदय ने आयुर्वेद चिकित्‍सकों एवं शोधकर्ताओं को युगों से विकसित इस प्राचीन स्‍वास्‍थ्‍य सेवा व्‍यवस्‍था के ठोस विकास और इसे लोकप्रिय बनाने की शपथ दिलाई। उन्‍होंने बताया कि इन दो दशकों में इस पारंपरिक स्‍वास्‍थ्‍य सेवा प्रणाली के प्रति विश्‍व भर में लोगों के बीच रुचि फिर से पैदा हुइ र्है। मंत्रालय भारत को पारंपरिक औषधि के क्षेत्र में ज्ञान,शोध और अभ्‍यास तथा विकासशील परियोजनाओं का विश्‍व हब बनाने के लिए विभिन्‍न एजेंसियों तथा संस्‍थानों के साथ मिल कर काम कर रहा है। 7वें आयुर्वेद कांग्रेस के आयोजकों की सराहना करते हुए उन्‍होंने कहा कि आयुर्वेद कांग्रेस विश्‍व के आयुर्वेद विशेषज्ञों को एक साथ लाने का मंच प्रदान किया है। श्री नायक ने कहा कि यह आयुर्वेद की विशिष्‍टता के बारे में सरकार के लोगों का संवदेनशील बनाने तथा जागरूक करने का समर्थन करता है। मंत्री महोदय ने इस अवसर पर घोषणा की कि अगला विश्‍व कांग्रेस 2017 में गांधीनगर में आयोजित किया जाएगा।

इस अवसर पर केरल के स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री श्रीमती शैलजा टीचर, श्रीलंका के प्रांतीय स्‍वास्‍थ्‍य एवं देसी औषधि श्री लक्ष्‍मण वेंदरुवा,विज्ञान भारती के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष डॉ. विजय भटकल के अलावा कई गणमान्‍य लोगों उपस्थित थे। कोलकाता में पहली बार आयोजित इस कार्यक्रम में विश्‍व भर से 500 से अधिक लोगों ने हिस्‍सा लिया। कोलकाता देश के उन कुछ शहरों में है जहां 200 साल से अधिक समय से आयुर्वेद चिकित्‍सा का प्रचलन है।

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