वैज्ञानिक एवं प्रौद्योगिकी सहयोग समझौते के तहत गठित भारत-इटली संयुक्त समिति में विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं नवपरिवर्तन के क्षेत्रों में फिर से सहयोग प्रारंभ किया गया। इसके मूल समझौते पर 2003 में भारत और इटली के बीच हस्ताक्षर किया गया था। भारतीय शिष्टमंडल का नेतृत्व भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव प्रोफेसर आशुतोष शर्मा ने किया जबकि इटली के शिष्टमंडल का नेतृत्व विदेश मामले एवं अंतर्राष्ट्रीय सहयोग मंत्रालय के सांस्कृतिक एवं आर्थिक संवर्धन तथा नवपरिवर्तन महानिदेशक विनशेंजो डी लुका ने किया।
19 अक्टूबर, 2016 को इटली के विदेश मामलों के मंत्रालय ने एक संयुक्त समिति की बैठक आयोजित की जिसमें महत्वपूर्ण द्विपक्षीय वैज्ञानिक आरएंडडी परियोजनाओं में कई पहलों को मंजूरी दी गयी। इसका उद्देश्य अनुसंधानकर्ताओं की गतिशीलता में सहयोग देना था, जिन्हें 2017-19 के भारत-इटली वैज्ञानिक एवं प्रौद्योगिकी सहयोग के कार्यकारी कार्यक्रम की संरचना के भीतर संयुक्त रूप से चुना जाएगा एवं सह-वित्त पोषित किया जाएगा।
सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी, ऊर्जा, पर्यावरण एवं टिकाऊ कृषि, स्वास्थ्य देखभाल, जैव प्रौद्योगिकी एवं चिकित्सा, नेनो प्रौद्योगिकी एवं उन्नत सामग्रियां, भौतिकी एवं खगोल भौतिकी और सांस्कृतिक तथा प्राकृतिक धरोहर पर अनुप्रयुक्त प्रौद्योगिकी कुछ ऐसे क्षेत्र हैं जिनपर दोनों देशों ने संयुक्त परियोजनाओं के लिए सहमति जताई है।
समिति ने उन्नत अनुसंधान के लिए भारत-ट्रेंटो कार्यक्रम (आईटीपीएआर) में इतालवी एवं भारतीय अनुसंधानकर्ताओं के बीच स्थापित सहयोग के अगले चरण की शुरूआत की सराहना की। डीएसटी के सचिव इलेट्रा “एक्सआरडी2” एवं “एक्सप्रेस” उत्प्रेरकों के लिए ट्रिस्टी में सिंक्रोटोन फेसीलिटी में दो भारतीय एक्सपेरिमेंटल बीमलाइंस का भी उद्घाटन करेंगे जिसका वित्त पोषण डीएसटी द्वारा 6 मिलियन यूरो की लागत से किया जा रहा है।
समिति ने अनुप्रयुक्त विज्ञान पर एक नये वैज्ञानिक एवं प्रौद्योगिकीय सहयोग कार्यक्रम पर भी चर्चा की जिसका उद्देश्य उद्योग में अनुप्रयुक्त होने वाले प्रौद्योकियों एवं प्रक्रियाओं का विकास करना है। 2017 से इटली एवं भारत में वैकल्पिक रूप से संयुक्त कार्यशालाओँ का भी आयोजन किया जाएगा । अनुसंधान की दुनिया को व्यवसाय एवं निवेश की दुनिया के साथ जोड़ने एवं संवर्धन के लिए एक भारत-इटली नवप्रवर्तन फोरम की भी स्थापना की जाएगी।
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