मनोरोग के कारणों और इलाज के बारे में जागरूकता प्रसार आवश्यक

स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री श्री फग्गन सिंह कुलस्ते ने कहा है कि समुदाय और देश के रूप में हमें सामूहिक रूप से मनोरोग के कारण और उपलब्ध इलाज के बारे में जागरूकता पैदा करनी चाहिए। तभी मानसिक रूप से बीमार व्यक्ति सामान्य रूप से सम्मान के साथ जीवन व्यतीत कर सकेगा।
श्री कुलस्ते विश्व मानसिक दिवस के अवसर पर समारोह को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर स्वास्थ्य राज्य मंत्री श्रीमती अनुप्रिया पटेल और मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

श्री कुलस्ते ने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य की समस्या से पीड़ित व्यक्ति सामाजिक अलगाव महसूस करता है, उसके साथ भेदभाव किया जाता है और परिणाम यह होता है कि पीड़ित व्यक्ति का समायोजन संघर्ष के कारण स्वास्थ्य सेवा से दूर हो जाता है। उन्होंने कहा कि हमारी स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को और अधिक संवेदी बनाने के लिए एक साथ काम करना होगा और मनोरोगी के प्रति उत्तरदायी होना पड़ेगा।

उन्होंने कहा कि मनोरोगी का इलाज के बाद पुनर्वास आवश्यकव है ताकि वह व्यक्ति उत्पादक और सार्थक जीवन जी सके और समाज के हाशिये पर न रहे।

स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्यमंत्री श्रीमती अनुप्रिया पटेल ने कहा कि केवल शारीरिक दृष्टि से स्वस्थ रहना ही स्वस्थ होना नहीं कहा जाएगा। संपूर्ण रूप से स्वस्थ रहने का अर्थ है जीवन में भावनात्मक रूप से संतुलित रहना, सही सोच रखना और अपनी संवेदना व्यक्त करना और मानसिक रूप से स्वस्थ रहना।

उन्होंने कहा कि रोकथाम, इलाज और रोगी के पुनर्वास से मानसिक बीमारी की समस्या का हल ढूंढा जाना चाहिए और यह हमारे स्वास्थ्य उद्देश्य को हासिल करने के लिए आवश्यक है। इसका उत्पादकता बढ़ाने पर सार्थक प्रभाव पड़ेगा। मनोरोगी समाज के कमजोर वर्ग से आता है और उसके साथ भेदभाव किया जाता है। उन्होंने कहा कि मनोरोगी का परिवार वित्तीय कठिनाई, भावात्मक कठिनाई, इलाज तथा देखभाल का बोझ सहता है। उनके आसपास का माहौल स्वस्थ होने लायक, और समाज में पूरी भागीदारी के लायक होना चाहिए। उन्होंने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुमानों के अनुसार चार में से एक व्यक्ति अपने जीवन काल में कम से कम एक बार मानसिक बीमारी से प्रभावित होगा। 2005 से उपलब्ध डाटा के अनुसार भारत में 6 से 7 प्रतिशत आबादी किसी न किसी तरह की मानसिक बीमारी से पीड़ित है। मानसिक बिमारियां अस्वस्थता के प्रमुख कारण के रूप में उभर रही हैं। इन बिमारियों में अवसाद, दो धुव्री मनोदशा विकार, दुष्चिंता विकार, व्यक्तित्व विकार, मतिभ्रमता, अन्य उपयोग विकार शामिल हैं।

श्रीमती अनुप्रिया पटेल ने कहा कि मनोरोग के क्षेत्र में और प्रशिक्षित तथा कुशल मानव शक्ति की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के अतंर्गत निवेश कर रही है ताकि बड़ी खाई पाटी जा सके।

समारोह में स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक डॉ. जगदीश प्रसाद, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के एएस और डीजी श्री के. बी. अग्रवाल, विशेष डीजीएचएस डॉ. बी. डी. अथानी, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के संयुक्त सचिव श्री लव अग्रवाल तथा मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी और विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधि उपस्थित थे।

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