जापानी इंसेफ्लाइटिस (जेई) पर स्वास्थ्य मंत्रालय ने अधिसूचना जारी की

देश के कुछ क्षेत्रों में जापानी इंसेफ्लाइटिस की समस्या के समाधान के लिए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने आज यहां जापानी इंसेफ्लाइटिस (जेई) पर एक अधिसूचना जारी की। यह अधिसूचना राज्यों के स्वास्थ्य विभागों के प्रमुखों और संबंधित राज्य/संघ शासित क्षेत्रों के स्वास्थ्य अधिकारियों को भेज दी गई है। इसके अलावा असम, बिहार, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल सरकार के मुख्य सचिवों से चिकित्सा प्रतिष्ठान (पंजीकरण और विनियमन) अधिनियम, 2010 या संबंधित अधिनियम/नियम जो लागू हों, के अंतर्गत जरूरी अधिसूचना जारी करने का अनुरोध किया गया है, जिससे जरूरी निगरानी, रोकथाम और बीमारी पर नियंत्रण सुनिश्चित किया जा सके। ये ऐसे राज्य हैं, जहां पूर्व में जापानी इंसेफ्लाइटिस के कई मामले सामने आ चुके हैं।

देश में विशेष रूप से इंसेफ्लाइटिस के प्रसार और इस पर सरकार के कदमों के संबंध में 11.08.2016 को लोकसभा में ध्यानाकार्षण प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री श्री जे पी नड्डा ने जापानी इंसेफ्लाइटिस को नोटिफाएबिल बीमारी बनाने का भरोसा दिलाया। इसीलिए आज यह अधिसूचना जारी की गई है।

अधिसूचना का विवरण निम्नलिखित हैः

1.जापानी इंसेफ्लाइटिस बड़ी संख्या में रोगियों, मृत्यु दर और अपंगता को देखते हुए देश के लिए एक बड़ी चिंता है। रोकथाम के उपायों के प्रभावी क्रियान्वयन और मामला प्रबंधन के लिए जापानी इंसेफ्लाइटिस के मामलों की पूर्व सूचना जरूरी है।

  1. जल्दी जांच और मामला प्रबंधन, प्रसार में कमी, आपात स्थिति और नए क्षेत्रों में बीमारी के प्रसार पर रोक सुनिश्चित करने के लिए जापानी इंसेफ्लाइटिस के सभी मामलों की पूर्ण सूचना जरूरी है। इस प्रकार स्वास्थ्य सेवा प्रदाता संबंधित जिला स्वास्थ्य अधिकारी/मुख्य चिकित्सा अधिकारी और नगर निगम/नगर पालिका के निगम स्वास्थ्य अधिकारी जैसे स्थानीय अधिकारी जापानी इंसेफ्लाइटिस के हर मामले को अधिसूचित करेंगे।
  2. इस क्रम में प्रयोगशाला से पुष्ट जापानी इंसेफ्लाइटिस के मामलों की निम्नलिखित तरह से सूचना दी जानी चाहिए।

(क) प्रयोगशाला से स्‍पष्‍ट जापानी इंसेफ्लाइटिस के मामले की परिभाषाः

मरीज निम्नलिखित किसी एक से पीड़ित होः

-सेलेब्रोस्पाइनल फ्लूड (सीएसएफ) या सीरम के एक नमूने में जेई वायरल की उल्लिखित 1 जीएम एंटीबॉडीज की मौजूदगी, जैसे विशेषकर जेई वायरल के लिए 1 जीएम-कैप्चर एलिसा का पता लगाया हो।

– जापानी इंसेफ्लाइटिस वायरल के लिए उल्लिखित एंटीबॉडीज में चार गुनी या ज्यादा बढ़ोतरी का पता लगना, जैसे बीमारी के गंभीर और अग्रिम चरण के दौरान लिए गए सीरम में हीमाग्लूटाइनेशन इनहिबिशन (एचआई) या प्लेग रिडक्शन न्यूट्रलाइजेशन एस्से (पीआरएनटी) के द्वारा आकलन किया गया। कम से कम 14 दिन 1 जीजी के दो नमूनों लिए जाने चाहिए। क्रॉस रिएक्टिविटी की संभावना को खत्म करने के लिए इसके साथ अन्य जांच परीक्षण भी किए जाने चाहिए।

-सीरम, प्लाज्मा, सीएसएफ या ऊतकों में से जापानी इंसेफ्लाइटिस वायरस को अलग करना। प्रतिरोधी ऊतक रसायनशास्त्र में जेई-वायरस एंटीजेन्स का पता लगाना

– रिवर्स ट्रांसक्रिप्टबेस पॉलिमेराज चेन रिएक्शन (पीसीआर) या एक समान संवेदनशील या खास न्यूक्लिक एसिड एंप्लिफिकेशन परीक्षण के द्वारा सीरम, प्लाज्मा, रक्त, सीएसएफ या ऊतक में जापानी इंसेफ्लाइटिस वायरस जीनोम का पता लगाना।

(ख) संदिग्ध मामले का विवरण इस प्रकार हैः

वर्ष के दौरान किसी भी वक्त, किसी भी उम्र में ज्यादा बुखार, जो 5-7 दिन से ज्यादा अवधि के लिए नहीं और मानसिक स्थिति में बदलाव (असमंजस, स्थिति भ्रांति, कोमा या बात करने में अक्षमता जैसे संकेत) और/या नया तरह का बुखार (सामान्य बुखार सहित)। अन्य चिकित्सकीय निष्कर्षों में चिड़चिड़ापन, लगातार नींद आना या असामान्य व्यवहार को भी शामिल किया जा सकता है।

4.इस अधिसूचना के उद्देश्य को पूरा करने के लिए चिकित्सा प्रतिष्ठान (पंजीकरण और विनियमन) अधिनियम, 2010 में सरकारी (स्थानीय विभागों सहित), निजी या एनजीओ सेक्टर और/या निजी चिकित्सकों द्वारा चलाए जाने वाले या प्रबंधित प्रतिष्ठानों को शामिल किया जाएगा।

  1. सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों और निजी अस्‍पतालों/क्लीनिकों में पंजीकृत निजी चिकित्सकों को अगर उनकी नजर में कोई जापानी इंसेफ्लाइटिस (जेई) का मामला आता है तो जिला स्वास्थ्य विभाग को इस बात की सूचना देनी होगी।

  1. जापानी इंसेफ्लाइटिस (जेई) के सभी संदिग्ध मामलों के रक्त के नमूनों को एलिसा तकनीक से परीक्षण के लिए जेई सेंटिनेल सर्विलांस हॉस्पिटल (एसएसएच) को भेजा जाना है। सकारात्मक मामलों के सामने आने पर उन्हें तत्काल जांच के लिए जिला स्वास्थ्य विभाग को भेजा जाना चाहिए।

  1. जापानी इंसेफ्लाइटिस (जेई) के मामलों का प्रबंधन भारत सरकार द्वारा समय-समय पर जारी किए जाने वाले और नेशनल वेक्टर बोर्न डिसीज कंट्रोल प्रोग्राम (एनवीबीडीसीपी), भारत सरकार की वेबसाइट पर दिए गए दिशानिर्देशों के आधार पर किए जाने की जरूरत है।

  1. ज्यादा जानकारी के लिए राज्य कार्यक्रम अधिकारियों, एनवीबीडीसीबी से संपर्क किया जा सकता है, जोwww.nvbdcp.gov.in पर भी उपलब्ध है।

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