आतंकियों की घटनाओं को तो सरकार कूटनीति-हथियार से नियंत्रित कर सकती है मगर जब देश के भीतर हिंदुओं के बंटवारे की आहट देने वाली इटावा जैसी घटनाएं सामने आती हैं तो उन्हें काबू में लाने के लिए सरकार को ऐसी मानसिकता वाले लोगों की पहचान कर उन्हें समाज से बहिष्कृत कराना होगा। हालांकि इटावा की घटना के बाद अब दूसरे पक्ष के लोग कथावाचकों की चरित्र हत्या करने के लिए अपने ही घर परिवार की महिलाओं का सहारा लेने से नहीं चूक रहे हैं और इसे रोकने के लिए राजनीति से ऊपर उठकर काम करने की जरूरत है। इटावा जैसी घटनाओं पर नियंत्रण की देश में बहुत ज्यादा जरूर है। पढ़िये इटावा की घटना का सच बताने वाले आरोप-प्रत्यारोप वाले बयान और मामले में य़ूपी के दूसरे नंबर के सबसे बढ़े दल के मुखिया की प्रतिक्रियाओं पर आधारित रिपोर्ट।
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