3 दिसंबर को कृषि शिक्षा दिवस मनाने का निर्णय

केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री राधा मोहन सिंह ने कहा है कि पूसा, बिहार स्थित डा. राजेन्द्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय आने वाले दिनों में बिहार सहित पूरे देश की कृषि शिक्षा को नयी दिशा और गति प्रदान करेगा। कृषि मंत्री ने यह बात आज यहां डाक्टर राजेंद्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय, बिहार के स्थापना दिवस समारोह में कही। उन्होंने कहा कि 3 दिसंबर को कृषि शिक्षा दिवस के रूप में मनाने का निर्णय भारत सरकार ने लिया है और आज ही सारा देश, प्रथम कृषि मंत्री डा. राजेन्द्र प्रसाद के सम्मान में कृषि शिक्षा दिवस मना रहा है।

सिंह ने कहा कि भारत सरकार देश में कृषि शिक्षा मजबूत करने के लिए लगातार काम कर रही है क्योंकि कृषि की प्रगति और विकास, उच्च कृषि शिक्षा संस्थान और अनुसंधान संस्थानों पर निर्भर करता है। उन्होंने बताया कि सरकार, विश्व बैंक के सहयोग से 1,000 करोड़ रूपये के साथ राष्ट्रीय कृषि शिक्षा परियोजना का प्रारंभ करने जा रही है। इस योजना का उदेश्य उत्कृष्टता के नये केन्द्रों की स्थापना, पिछड़े राज्यों में कृषि शिक्षा को बढ़ावा, प्रशिक्षण के माध्यम से क्षमता विकास, एवं कृषि पाठ्यक्रम को आधुनिक बनाकर गुणवत्ता सुनिश्चित करना है।

उन्होंने कहा कि कृषि में शिक्षा का बहुत महत्व है लेकिन कृषि विज्ञान के प्रति युवकों की उदासीनता से कृषि संकाय में उच्च प्रशिक्षित वैज्ञानिकों की कमी हुई है। मेड-इन-इंडिया, स्टार्ट-उप-इंडिया, कौशल-भारत आदि परियोजनाओं पर ज़ोर देने के साथ कृषि शिक्षा प्रणाली में सुधार की जरूरत है, ताकि कृषि संकाय के छात्रों को रोजगार मिले और कृषि तथा ग्रामीण क्षेत्रों की बदलती जरूरतों को पूरा किया जा सके ।

सिंह ने कहा कि राजेन्द्र कृषि विश्वविद्यालय ने अब तक की अपनी यात्रा में अनेक सफलताएं हासिल की हैं जिन्हें राज्य की कृषि में मील का पत्थर कहा जा सकता है। इनमें उत्पादकता, खेत से होने वाली आय में वृद्धि, संस्थान निर्माण, मानव संसाधन, नई तकनीकों का विकास, कृषि का विविधीकरण, नये अवसर पैदा करना तथा जानकारी के नये श्रोतों का विकास करना शामिल है। कृषि में नवीन तकनीकों के तालमेल से उत्पादन एवं उत्पादकता बढ़ाकर देश के विकास में विश्वविद्यालय ने हमेशा अपना योगदान दिया है। उन्होंने बताया कि डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय के साथ देश में अब कुल केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालयों की संख्या 3 हो गयी है। इम्फ़ाल और झाँसी में भी केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय हैं।

कृषि मंत्री ने कहा कि कृषि शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने नई पहल की है जो निम्नलिखित हैं-

  • माननीय प्रधानमंत्री महोदय के विशेष पहल से 25 जुलाई 2015 को पटना में स्टूडेंट रेडी (ग्रामीण उद्यम, जागरूकता और विकास योजना) शुरु की गई।
  • इसके तहत केंद्र सरकार कृषि विज्ञान के स्नातक छात्रों को उनके पाठ्यक्रम के आखिरी साल (चौथे साल में) 6 महीने की अवधि के लिए प्रतिमाह 3 हजार रूपये(पूर्व में 1000 रू) की छात्रव्रति देगी । इस कार्यक्रम से प्रयोगिक ज्ञान अर्जन कार्यक्रम (ईएलपी) और ग्रामीण कृषि कार्य अनुभव (आरएडब्लूई) तथा औद्योगिक संबंध इसके घटकों के रूप में शामिल होंगे । स्टूडेंट रेडी कार्यक्रम का उदेश्य यह है कि कृषि स्नातकों को रोजगार अवसरों को सुनिश्चित करने और आधुनिक ज्ञान से सुसज्जित कृषि उद्यम को विकसित करने के लिए तैयार किया जाए ।
  • स्टूडेंट रेडी का पाठ्यक्रम कृषि स्नातकों को स्नातक डिग्री प्राप्त करने में एक आवश्यक घटक के रूप में रखा गया है, ताकि इस क्षेत्र में तजुर्बेकार और व्यावहारिक प्रशिक्षण लिए हुए लोग फील्ड में आए ।
  • कृषि एवं संबद्ध विज्ञान के क्षेत्र में डिग्री को पेशेवर डिग्री (professional) के रूप में घोषित किया गया
  • राष्ट्रीय प्रतिभा स्कॉलर्शिप- यू .जी को रु 1000 से बढ़ा कर 2000 किया गया
  • राष्ट्रीय प्रतिभा स्कॉलर्शिप-पी.जी के लिए रु 3000 की घोषणा की गई

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