मुंबई की विशेष मकोका अदालत ने जुलाई 2006 के मुंबई लोकल ट्रेन विस्फोट मामले में बहुप्रतीक्षित फैसला सुनाया है। महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम मकोका की विशेष अदालत के न्यायाधीश यतीन डी शिंदे ने एहतेशाम सिद्दीकी, असिफ खान, फैज़ल शेख, नवीद खान और कमाल अंसारी को 11 जुलाई 2006 को मुंबई की उपनगरीय रेलगाडि़यों में बम रखने के अपराध में मौत की सजा सुनाई। तनवीर अंसारी, साजिद अंसारी और मोहम्मद अली सहित सात लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई।
मुंबई की विशेष अदालत ने एक बड़ा फैसला सुनाते हुए आज पांच आरोपियों को फांसी की सजा सुनाई तथा इन बम धमाकों के षड़यंत्र में शामिल अन्य सात आरोपियों को उम्र कैद दी गई है। पिछले कई हफ्तों से बचाव पक्ष और सरकारी वकीलों की बहस को आज अंजाम देते हुए जज यतीन शिंदे ने इस मामले में सजा का ऐलान किया। 11 जुलाई 2006 को लोकल ट्रेन में हुए सिलसिलेवार धमाकों में 179 लोग मारे गये थे और करीब 829लोग घायल हुए थे। पहला ब्लास्ट शाम 6 बजकर 24 मिनट पर हुआ जो कि 11 मिनट तक अलग–अलग रेलगाडि़यों में जारी रहा। ये धमाके मुंबई के पश्चिमी उपनगर माडुंगा से मीरा रोड़ के बीच हुए। इन धमाकों की जांच उसी दिन एटीएफ को सौंपी गई थी। एटीएफ ने इस मामले में कुल 13 लोगों को आरोपी बनाया था।
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