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होशंगाबाद में रेशम घोटाला, किसानों के नाम सरकारी अमले ने हजम की राशि

मध्य प्रदेश में अब रेशम घोटाला सामने आया है जो होशंगाबाद जिले के रेशम संचालनालय के अधिकारी-कर्मचारियों की मिलीभगत से हुआ है। जिले के एक कर्मचारी ने एक एकड़ की जमीन पर परिवार के कई लोगों के नाम से सरकारी योजना का फायदा लिया और चाकी कृमिपालन में भी किसानों के नाम पर राशि हजम की गई। हालांकि आर्थिक अपराध अन्वेषण प्रकोष्ठ में शिकायत के बाद इसमें रेशम संचालनालय ने चार सदस्यीय समिति बनाई। मई 2022 में समिति के आदेश में दस दिन की समय सीमा दी गई लेकिन आज भी वरिष्ठ अधिकारियों तक समिति की रिपोर्ट नहीं पहुंच सकी है। तीन महीने में जांच पूरी नहीं होने पर होशंगाबाद से लेकर भोपाल तक के अधिकारियों पर लेन-देन के आरोप भी लगे और इसके बाद अब जाकर जांच पूरी हो सकी है।
होशंगाबाद के रेशम घोटाले की शिकायत में प्रबंधक जिला सिल्क फेडरेशन होशंगाबाद और बनखेड़ी के रेशम विभाग के प्रवर्तक जगदीश विश्वकर्मा द्वारा किसानों के नाम पर सरकारी योजनाओं की राशि में गडबड़ी की गई। दोनों की मिलीभगत से किसानों के नाम पर हेराफेरी और योजनाओं की राशि का अपने लिए लाभ उठाने के आरोप लगाए गए। विश्वकर्मा पर रेशम की योजनाओं का फायदा अपने परिवार को दिए जाने के भी आरोप है जिसमें उसके परिवार को एक एकड़ प्लाट पर दो से ज्यादा लोगों के नाम पर तीन-चार बार शासकीय योजना की राशि निकाल ली गई।
निजी बैंक में खाता खोलकर राशि में हेराफेरी का आरोप
होशंगाबाद के रेशम अधिकारियों पर आरोप लगाया गया कि उनके द्वारा सरकारी योजनाओं का लाभ जिन किसानों के नाम से लेना बताया गया, उन्हें इसकी जानकारी तक नहीं है। उनके नाम से योजनाओं की राशि को एक निजी बैंक में खाता खोलकर चैक के माध्यम से निकालकर अपने पास रखने का गंभीर आरोप भी शिकायत में लगाया गया है। सर्विस प्रोवाइडर में जिन रेशम बंधुओं को लगाया जाता था, उनमें भी अपने परिवार के लोगों को फायदा पहुंचाकर हर महीने उन्हें भुगतान किया गया। बनखेड़ी के एक प्रवर्तक पर तीन आदिवासी किसानों के पौधरोपण का फर्जी प्रकरण बनाया गया और शासकीय राशि का दुरुपयोग किया गया।
366 किसानों के नाम पर फर्जी रसीद बनाने के आरोप
शिकायत में यह भी आरोप लगाया है कि करीब 366 किसानों के नाम पर फर्जी रसीद बनाई गई जबकि 70 से 80 किसान ही वास्तव में क्रियाशील हैं। लगभग तीन सौ फर्जी किसानों की राशि की हेराफेरी की गई। इन लोगों ने एक फर्जी कंपनी बनाकर उसके माध्यम से उपकरण और सामग्री की खरीदी और किसानों को सशुल्क दिया गया जो किसानों को निःशुल्क देने की योजना है। इसी कंपनी को ककून भी बेचा गया जबकि यह कंपनी प्रमाणिक भी नहीं है। मालाखेड़ी में ककून पैदा करने वाले किसानों को संरक्षण देने के बजाय उनके ककून को कम कीमत पर खरीदे जाने की भी शिकायत की गई। बाद किसानों के ककून को बाजार में अच्छे दामों में बेचकर घोटाला किया जाता है।
गढ़पाले ने बनाई जांच कमेटी
मई में रेशम आयुक्त विशेष गढ़पाले ने पूरे मामले की जांच के लिए कमेटी बनाई जिससे दस दिन में रिपोर्ट मांगी गई। कमेटी में उप संचालक योगेश कुमार परमार, फील्ड ऑफिसर राजगढ़ रेशम पीएन सांगवालिया, फील्ड ऑफिसर नर्मदापुरम दीपक वर्मा और कनिष्ठ रेशम निरीक्षक नर्मदापुर एमएल पटेल थे। कमेटी को दस दिन में रिपोर्ट देना थी लेकिन 26 मई को गठित इस समिति ने अब जाकर जांच पूरी की है। कमेटी के एक सदस्य परमार से जब हमने बात की तो उन्होंने बताया कि उन्होंने जांच पूरी कर भेज दी है तो रेशम संचालनालय के स्थापना अधिकारी सुनील श्रीवास्तव का कहना है कि अभी रिपोर्ट मिली है और आयुक्त को प्रस्तुत किया जाएगा।
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