इंदौर नगर निगम में ड्रेनेज सिस्टम के काम के फर्जी भुगतान को लेने का प्रयास किया. पांच कंपनियों ने यह किया जिन्होंने 20 करोड़ के बिल लगाए. मगर लेखा शाखा में प्राप्त उक्त पे ऑर्डर की जांच करने पर उक्त पे ऑर्डर में अधिक राशि के होने एवं मात्र 5 फर्म के होने से देयको के संबंध में शंका हुई। जाँच में फर्जीवाड़ा पकड़ाया और एफआईआर दर्ज की गई.
नगर निगम आयुक्त शिवम वर्मा ने अपर आयुक्त वित्त और अपर आयुक्त ड्रेनेज एवं विभाग से उक्त प्रकरण को परीक्षण कराने के निर्देश दिये जिसमें देयक फर्जी हस्ताक्षर एवं कुटरीचित तरीके से तैयार करना पाये गए. ड्रेनेज विभाग में कोई रेकार्ड भी नहीं मिले. आयुक्त वित्त तथा निगम लेखा शाखा विभाग की पांच कंपनियों पर एफआईआर
आयुक्त शिवम वर्मा द्वारा उक्त प्रकरण में 5 फर्म के संबंधित संचालको के विरूद्ध थाना एमजी रोड में प्राथमिकी दर्ज कराये जाने हेतु कार्यपालन यंत्री ड्रेनेज, सहायक आयुक्त विधि, सहायक लेखापाल एवं आईटी के विशेषज्ञ की उपस्थिति में टीम गठित की गई। प्रकरण में गठित टीम द्वारा थाना एमजी रोड में 5 फर्म जिनमें मेसर्स नींव कंस्ट्रक्शन प्रोयरायटर मोहम्मद साजिद, मेसर्स ग्रीन कंस्ट्रक्शन प्रोयरायटर मोहम्मद सिदिकी, मेसर्स किंग कंस्ट्रक्शन प्रोपरायटर मो. जाकिर निवासी 147 मदीना नगर एवं मेसर्स क्षितिज इंटरप्राइजेस प्रोपरायटर श्रीमती रेणु वडेरा निवासी 6 आशीष नगर एवं मेसर्स जहान्वी इंटरप्राइजेस प्रोपरायटर राहुल वडेरा निवासी 12 आशीष नगर इंदौर पर प्राथमिकी दर्ज कराई गई।
28 करोड़ का चूना लगाने की कोशिश
विदित हो कि निगम के 5 ठेकेदारों द्वारा 20 ड्रेनेज कार्यों के फर्जी वर्क आर्डर अनुबंध मेजरमेंट बुक बिल पे ऑर्डर आदि दस्तावेज तैयार कर ऑडिट विभाग में प्रस्तुत किए गए एवं ऑडिट उपरांत उक्त पे ऑर्डर लगभग राशि रुपए 28 करोड़ के निगम के लेखा शाखा में आवक कराए गए. उक्त पे ऑर्डर के भुगतान की कार्रवाई से पूर्व लेखा शाखा में देयको का परीक्षण लेखा विभाग द्वारा किया गया.
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