स्टेट वाइल्ड लाइफ बोर्ड मेंबर की वन विभाग के साथ लाभ कमाने वाली कमर्शियल एक्टिविटी, अधिकारी मेहरबान

मध्य प्रदेश में वन विभाग के अधिकारी ऐसे एनजीओ पर मेहरबान हैं जिसकी प्रमुख एमपी स्टेट वाइल्ड लाइफ बोर्ड की मेंबर होने के बाद भी फॉरेस्ट डिपार्टमेंट के साथ लाभ कमाने वाली कमर्शियल एक्टिविटी कर रही है। वन अधिकारियों की यह मेहरबानी मुंबई की एक संस्था की प्रतिनिधि पर है जबकि वैधानिक रूप से वन विभाग के साथ आर्थिक लाभ वाली गतिविधियां चलाने वाले किसी भी व्यक्ति को स्टेट वाइल्ड लाइफ बोर्ड का मेंबर नहीं बनाया जा सकता। इसको लेकर अब आवाज उठी है। पढ़िये किसने उठाई यह आवाज।

मुंबई की संस्था लास्ट विल्डरनेस फाउंडेशन सोसायटी है जिसकी प्रतिनिधि विद्या वेंकटेश है। वे प्रदेश वन विभाग के साथ कारोबार करती है जिससे उनसे आर्थिक लाभ भी होता है। इस संस्था के खिलाफ अब वाइल्डलाइफ कार्यकर्ता अजय दुबे ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, महानिदेशक वन सरकार, एनटीसीए के सचिव, और मुख्य सचिव राज्य शासन को पत्र लिखकर दस्तावेज सहित शिकायत की है। दुबे ने संस्था की प्रतिनिधि विद्या वेंकटेश को वाइल्ड लाइफ बोर्ड की मेंबर से हटाने की मांग की है।
विद्या का मध्य प्रदेश के वन विभाग से कनेक्शन
दुबे ने अपने पत्र में लिखा है कि मप्र स्टेट वाइल्ड लाइफ बोर्ड में गैर सरकारी सदस्य के रूप में नामांकित संस्था लास्ट विल्डरनेस फाउंडेशन सोसायटी मुंबई की प्रतिनिधि विद्या वेंकटेश कई वर्षो से मध्यप्रदेश टाइगर रिजर्व के समीप के वन क्षेत्रों में आदिवासियों और अन्य वर्ग को इको टूरिज्म से जोड़ने के लिए वन विभाग के साथ आर्थिक मुनाफे के लिए व्यवसायिक कार्य कर रही है। इसी दिशा में आगे बढ़ते हुए वाइल्ड लाइफ एक्ट और अन्य वैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन कर वन विभाग के साथ कारोबार जारी रखा है।
सीएम के गृह जिले में भी किया कारोबार
पीएम को लिखे पत्र में दुबे ने बताया है कि मप्र के प्रधान वन संरक्षक (वन्य प्राणी)की अनुशंसा पर वर्ष 2020 में विद्या वेंकटेश लास्ट विल्डरनेस फाउंडेशन सोसायटी मुंबई को स्टेट वाइल्डलाइफ बोर्ड का सदस्य बनाया गया. मप्र स्टेट वाइल्ड लाइफ बोर्ड का सदस्य बनने के बाद भी विद्या वेंकटेश लास्ट विल्डरनेस फाउंडेशन सोसायटी मुंबई ने वन विभाग के साथ कारोबार जारी रखा है। एक प्रोजेक्ट नेचर गाइड ट्रेनिंग वर्ष 2022 में भोपाल वन मंडल और मुख्यमंत्री के गृह क्षेत्र सीहोर वन मंडल में किया और करीब चार लाख रुपए का भुगतान प्राप्त किया को आर्थिक अपराध की श्रेणी में आता है। इस अवैध ट्रेनिंग में आदिवासी समुदाय को छला गया। इस भुगतान के पेपर इस मेल के साथ संलग्न है. हाल में ही इस संस्था को पेंच टाइगर रिजर्व में भी काम देने की सूचना मिली है।
चीतों से जुड़े प्रबंधन का अनुभव नहीं
दुबे ने अपने पत्र में लिखा है कि विद्या वेंकटेश की संस्था लास्ट विल्डरनेस फाउंडेशन सोसायटी मुंबई को चीतों से जुड़े प्रबंधन का अनुभव नहीं है। वन विभाग ने उन्हें कुनो नेशनल पार्क में चीता प्रोजेक्ट के तहत सीएसआर में प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्य प्राणी) की सहमति से स्थानीय समुदाय और लोकल वन स्टाफ को प्रशिक्षण दे रही है। यह जांच की विषय है कि इस संस्था को बिना ईओआई के कैसे काम दिया गया?
चीता एक्सपर्ट कमेटी में सदस्य बनाने की अनुशंसा
दुबे ने अपने पत्र में यह भी खुलासा किया है कि प्रधान मुख्य वन संरक्षक(वन्य प्राणी) जेएस चौहान ने इस विवादित संस्था की प्रतिनिधि विद्या वेंकटेश को चीता प्रोजेक्ट के लिए बनी चीता एक्सपर्ट कमेटी में सदस्य बनाने की अनुशंसा भारत सरकार को की है। जो न केवल गलत है बल्कि जांच का विषय है कि इस संस्था पर इतनी मेहरबानी क्यों हो रही है? इस अवैधानिक अनुशंसा को तत्काल निरस्त कर कूनो नेशनल पार्क से संस्था को बाहर निकाला जाए और दोषियों को दंडित किया जाए।
संस्था इन क्षेत्रों में किया कारोबार
पत्र में यह भी उल्लेख किया है कि वन विभाग के चंद उच्च अधिकारियों ने पिछले कई वर्षो से इस संस्था के कारोबारी हितों के लिए पन्ना टाइगर रिजर्व,कान्हा टाइगर रिजर्व,पेंच टाइगर रिजर्व ,बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व और राजधानी भोपाल के वन क्षेत्रों में नेचर गाइड ट्रेनिंग,ट्राइबल टूरिज्म ,हैंडीक्राफ्ट सेल वर्कशॉप ,और सांस्कृतिक टूरिज्म के नाम पर इस संस्था को अनुचित लाभ दिया जिससे स्थानीय आदिवासी समाज में आक्रोश है जिसकी जांच जरूरी है. आदिवासियों का आर्थिक शोषण करने वाले बाहरी पूंजीपतियों और दलालों पर सख्ती हो।

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