मध्य प्रदेश में सरकारी स्कूलों में अध्यापन, परीक्षा, उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन, परीक्षा परिणाम जैसे काम सरकार अतिथि शिक्षकों व संविदा शिक्षकों के भरोसे कर रही है। उनकी छुट्टियां निरस्त की जा रही हैं लेकिन वे शिक्षक जो केवल स्कूलों में पढ़ाने के लिए भर्ती हुए थे, वे जोड़-तोड़ से अफसर व बाबूगिरी कर रहे हैं। पढ़िये हमारी इस व्यवस्था का आइना दिखाती रिपोर्ट।
मध्य प्रदेश में स्कूलों में अध्यापन, परीक्षा व उससे जुड़ी अन्य गतिविधियों के लिए इन दिनों अतिथि शिक्षकों व संविदा शिक्षक वर्ग एक से तीन तक के अस्थाई कर्मचारियों के भरोसे चल रही है जिसका अंदाज पिछले महीने लोक शिक्षण संचालनालय द्वारा निकाल गए एक पत्र से भी लगाया जा सकता है। शिक्षकों की संख्या कम होने के बाद भी कई शिक्षक सालों से सरकार के दूसरे विभागों, निगम-मंडल व राज्य शिक्षा केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर हैं। वहां वे शिक्षण से जुड़े काम करने के बजाय बाबूगिरी और अफसरशाही का काम कर रहे हैं।
पाठ्य पुस्तक निगम में अफसर से लेकर गोदामकीपर
मध्य प्रदेश पाठ्य पुस्तक निगम में करीब 12 साल पहले श्रद्धा श्रीवास्तव प्रतिनियुक्ति पर आई थीं और इसके बाद से ही यहां पदस्थ हैं। वे प्रिंसिपल हैं। मुद्रणालय का काम संभालने वाले राजेश्वर पाठक करीब 16 साल पहले यहां आए जो अभी भी स्कूल की सेवा देने के बजाय निगम की सेवा में लगे हैं। गोदामों की जिम्मेदारी संभालने वाले स्कूल शिक्षा विभाग के शिक्षक व अन्य कर्मचारियों में संदीप शुक्ला, बृजेश मोहन श्रीवास्तव, राधेश्याम पांडे सहित कुछ अन्य कर्मचारी निगम में प्रतिनियुक्ति पर हैं।
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