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सूखे पत्तों, चीनी मिल से निकले गन्ने के चूरे से बनी थाली एवं मिट्टी के कुल्हड में पानी परोसा

सूखे पत्तों, चीनी मिल से निकले गन्ने के चूरे से बनी थाली एवं मिट्टी के कुल्हड में पानी परोसा

मध्यप्रदेश शासन संस्कृति विभाग द्वारा अयोजित ‘लोकरंग’ रवीन्द्र भवन परिसर, भोपाल में आकर्षक व्यंजन मेले का भी है। पाक कला में माहिर विभिन्न राज्यों जनजातीय देशज के व्यंजनकार (मध्यप्रदेश की गोण्ड, कोरकू, बैगा और भील जनताति के साथ ग्यारह राज्यों मणिपुर, आसाम, सिक्किम, अरूणाचल, त्रिपुरा, लद्दाख, पश्चिम बंगाल, गुजरात, छत्तीसगढ़, झारखण्ड और उडीसा ) अपने व्यंजनों से का स्वाद दिला रहे हैं। यहॉं के खाने को परोसने की विशेषता यह कि ऐरिका-लीफ  पेड़ के सूखे पत्तों से बनाई गई थाली और चीनी मिल से निकले गन्ने के चूरे से बनी थाली एवं मिट्टी के कुल्हड में पानी परोसा जा रहा है। जिसके फलस्वारूप पर्यावरण स्वछता का संदेश दिया गया।

छत्तीसगढ़ के रजवारा समुदाय द्वारा खाने में कुर्थी की दाल, चावल और गुड़ का बना पुआ,उडद की दाल से बना वारा सूजा के व्यंजन संचालक राधेश्याम रावाडे द्वारा प्रस्तुत किया जा रहा है। रवारी समुदाय,गुजरात द्वारा गार्लिक लहसून पीस अलग तरह के मसालों में फ्राई हुआ लोगों को बहुत पंसद आ रहा है यहॉं के खानों में मेथी की पत्तियों से बना मेथी गोट,गुजराती कढ़ी,फ्राई बैंगन भर्ता का स्वाद उपलब्ध कराया जा रहा है। गोण्ड जनजाति,डिंडौरी से संचालक रूपसिंह कुसराम ने बताया कि उनके द्वारा बनाई जा रही पान रोटी जिसे महलाईन पान के पत्ते में रख कर तैयार और सेंका जाता है,कुकड़ी खीर बारीक चावल और दूध से बनी हुई,राई भाजी सरसों के पत्तों से बनी हुई लोगों को बहुत पसंद आ रही है। सदाशिव बाघ,उड़ीसा से कोन जन​जाति द्वारा काकरा पीठा सूजी और शक्कर से,आटा और चीनी से बना गुड में फ्राई हुआ गुडबड़ा,चावल नमक का चावलबड़ा, यहॉं की थाली में सात प्रकार के व्यंजनों के साथ दिया जा रहा है जिसमें मूली,बैगन,भिंडी,ईमली से बना लैथा, नमक और मिर्च के साथ भने हुए आलू,टमाटर,बैगन की चिटिका का स्वाद औरचिकन को मसालों और सरगी के पत्ते में भूनकर पेश किया जा रहा है।  कोरकू समुदाय से मेसराम,हरदा के खानों में देशी घी के साथ ज्वार की रोटी,चना साग भाजी, महुऐ से बना पैना सैकड़ा,महुआ का गुलाब जामुन, कुकड़ी चावल से बनी खीर और गेहूं और चने की घूघरी का व्यंजन प्रस्तुत कर रहे हैं। दयाराम रठुरिया,वैगा जनजाति,डिंडौरी से कोदो,कांग के चावल से पेज बना कर चावल और खीर, चेंच भाजी खटाई,नमक,टमाटर के साथ और पीपल भाजी,पकडी भाजी,कुंदड़ी,रूलाहार,कोहलार भाजी का स्वाद लोगों तक पहुंच रहा है।

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