मध्य प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव की वजह से पार्टियों से आस्था परिवर्तन का दौर आया हुआ है। भाजपा से एक के बाद एक दीपक जोशी, यादवेंद्र सिंह यादव, राकेश गुप्ता के कांग्रेस में आने के बाद बाद आज प्रमिला साधौ ने भाजपा ज्वाइन कर ली है। प्रदेश में कांग्रेस के सत्ता में नहीं होने के कारण जिन दिग्गजों के समर्थक ज्यादा संख्या में आस्था बदलकर भाजपा में जाते रहे हैं, उनमें ज्योतिरादित्य सिंधिया के बाद सुरेश पचौरी का नाम लिया जा सकता है। आज उनकी समर्थक पूर्व मंत्री व वरिष्ठ विधायक विजयलक्ष्मी साधौ की बहन प्रमिला ने खरगोन में भाजपा ज्वाइन कर ली है। आस्था बदलने में कांग्रेस के जिन नेताओं के समर्थक शामिल रहे हैं, उन पर आधारित है हमारी यह रिपोर्ट।
मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव के कुछ महीने बचे हैं और राजनीतिक दलों में दलबदल का सिलसिला तेज हो गया है। पिछले चुनाव या उसके आसपास दलबदल करने वाले कांग्रेस नेताओं पर गौर करें तो यह कहा जा रहा है कि पूर्व केंद्रीय मंत्री और पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुरेश पचौरी समर्थकों में यह ट्रेंड ज्यादा रहा है।
पचौरी के सबसे बड़े समर्थक राव उदय-प्रताप सिंह ने कांग्रेस को लोकसभा चुनाव के पहले ऐसा झटका दिया था कि भाजपा ने न केवल उन्हें अपने पाले में ले लिया बल्कि होशंगाबाद लोकसभा सीट भी जीत ली थी।
पचौरी के दूसरे बड़े समर्थक चौधरी राकेश सिंह चतुर्वेदी ने कांग्रेस को शिवराज सरकार के खिलाफ न केवल अविश्वास प्रस्ताव में धोखा दिया बल्कि भाजपा की सदस्यता भी ले ली। हालांकि बाद में वे पांच साल पहले भाजपा को छोड़कर कांग्रेस में भी आ गए।
पचौरी समर्थकों में एक बड़ा नाम पूर्व मंत्री व विधायक संजय पाठक भी हैं जिन्होंने करीब दस साल पहले पार्टी को छोड़ा था। इसी तरह सीहोर के पचौरी समर्थक सुदेश राय भी भाजपा में जा चुके हैं तो पचौरी नारायण त्रिपाठी को समाजवादी पार्टी से कांग्रेस में लाए थे और वे भी कुछ समय बाद भी भाजपा में चले गए।
इस कड़ी में आज पचौरी समर्थक पूर्व मंत्री व विधायक विजयलक्ष्मी साधौ की बहन प्रमिला ने भाजपा ज्वाइन कर ली है। विजयलक्ष्मी साधौ को पचौरी ने लोकसभा का भी टिकिट दिलाया था और वे सांसद भी रहीं। उनके पिता भी कांग्रेस के बड़े नेता रहे थे।
आस्था परिवर्तन करने वालों में दिग्विजय के भाई भी शामिल रहे दलबदल करने वालों में पचौरी समर्थकों के अलावा पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के समर्थक भी शामिल हैं जिनमें उनके अनुज लक्ष्मण सिंह का नाम भी शामिल है। लक्ष्मण सिंह भाजपा से सांसद भी रहे और बाद में वे वापस कांग्रेस में लौट आए। अभी वे कांग्रेस से वरिष्ठ विधायक हैं। दिग्विजय समर्थकों में राजगढ़ की मोना सुस्तानी है जिसे दिग्विजय सिंह ने चुनाव में टिकिट दिलाया था। मगर वे बुरी तरह से हार गई तीं। कुछ समय पहले वे भी भाजपा में चली गई हैं।
आस्था बदलने वाले कांग्रेस नेताओं में कमलनाथ समर्थक भी हैं जिनमें सबसे बड़ा नाम पीसीसी चीफ के मीडिया प्रभारी रहे नरेंद्र सलूजा है। सलूजा कई सालों तक कमलनाथ से जुड़े रहे थे और कुछ समय पहले अचानक उनकी आस्था परिवर्तित हुई और वे भाजपा के हैं। कमलनाथ के एक और समर्थक अजय चौरे हैं जो अभी भाजपा के विधायक हैं।
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