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सावन में नदी किनारे उगने वाली सिक्की घास से शिल्पी बनाते हैं शिल्प उत्पाद, रवींद्र भवन में लगा मेला

इन दिनों भोपाल के रवींद्र भवन में चल रहे अंतर्राष्ट्रीय श्रीरामलीला उत्सव में शिल्पकारो का भी मेला लगा है जिसमें सावन के महीने में नदी किनारे उगने वाली सिक्की घास से बने शिल्प उत्पादों का प्रदर्शन और बिक्री हो रही है। मध्य प्रदेश ही नहीं अन्य राज्यों से भी करीब 185 शिल्पी अपनी कला का यहां प्रदर्शन कर रहे हैं और उत्पादों की बिक्री भी कर रहे हैं।
मध्यप्रदेश शासन संस्कृति विभाग एवं भारतीय सांस्कृतिक सम्बन्ध परिषद्, नई दिल्ली के सहयोग से 22 अक्टूबर तक श्रीरामकथा के विविध प्रसंगों एकाग्र सात दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय श्रीरामलीला उत्सव का आयोजन रवींद्र भवन मुक्ताकाश मंच तथा परिसर में किया गया है। दीपावली के अवसर पर उत्सव अंतर्गत दीपोत्सव मेला एवं स्वाद व्यंजन मेला भी आयोजित किया गया है जिसमें मध्यप्रदेश के साथ-साथ अन्य प्रदेशों के 185 से अधिक शिल्पी विविध माध्यमों के शिल्प एवं वस्त्र, टेराकोटा, बांस,मिट्टी, लोहा, पीतल, तांबा एवं अन्य धातुसे बने उत्पादों का प्रदर्शन और विक्रय कर रहे हैं।
उत्तर से लेकर दक्षिण तक के शिल्पी जमा हुए
शिल्प मेले में मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, बिहार, गुजरात, छत्तीसगढ़, आंध्रप्रदेश, कश्मीर, दिल्ली एवं अन्य राज्यों के बुनकर और शिल्पकारों ने हिस्सा लिया है। सभी शिल्पी अपने-अपने विशिष्ठ शिल्पों के साथ इस मेले में पधारे हैं।शिल्पों में प्रमुख रूपसे दीपों के त्योहार में उपयोग की जाने वाली सामग्री जैसे दीपक, हैंगिंग लाइट्स, हैंगिंग डेकोरेटिव आइटम्स इत्यादि हैं। साथ ही बनारसी साड़ी, चंदेरी साड़ी, भोपाली बटुये, जरी-जरदोजी, मिट्टी के खिलौने, गोंड-भील एवं मधुबनी पेंटिंग, साज-सज्जा आइटम, मेटल आयटम, बांस से बने शिल्प, सिरेमिक आर्ट इत्यादि भी खास हैं।
दाबू प्रिंट के वस्त्र भी मौजूद
दीपोत्सव मेले में मध्यप्रदेश के पवन गंगवाल अपने साथ दाबू प्रिंट के वस्त्र लेकर आये हैं। बातचीत में उन्होंने बताया कि इसमें चूना, गोंद, गुड़, तेल, गेंहू एवं काली मिट्टी का प्रयोग किया जाता है और अलग अलग विधियों के माध्यम से वस्त्र तैयार किया जाता है।
सिक्सी घास के खास शिल्प की बिक्री
बिहार से आए चंदन ठाकुर ने बताया कि वे सिक्की घास से बने हुए शिल्प लेकर आए हैं। उन्होंने बताया की सिक्की घास एक खास तरह की घास होती है, जो सिर्फ सावन के महीने में ही नदी के किनारे उगती है। इस घास को तोड़कर इससे विभिन्न प्रकार के शिल्प बनाए जाते हैं। इनमें प्रमुख रूप से आभूषण पेटी, टी कोस्टर, रोटी बॉक्स, पेनहोल्डर, हैंगिंग आइटम्स, पेपर वेट इत्यादि शिल्प तैयार किये जाते हैं।
दिव्यांग भसीन भी अपने आयटम लाए
भोपाल के हेमंत भसीन, जो कि दिव्यांग हैं, वे स्वयं के तैयार किये हुये डेकोरेटिव आइटम्स, वॉल हैंगिंग, वॉच, एम्ब्रायडरी आइटम इत्यादि लेकर आये हैं। उन्होंने बताया कि शिल्प कला का उन्होंने कोई प्रशिक्षण नहीं प्राप्त नहीं किया है, वे स्वयं से ही प्रशिक्षित हैं तथा 4 अन्य दिव्यांगों को उन्होंने प्रशिक्षित कर रोजगार दिलाने में प्रमुख भूमिका निभायी है।
स्वाद- व्यंजन मेले में जोधपुरी कचौरी
उत्सव अंतर्गत स्वाद- व्यंजन मेला में बघेली व्यंजन में पानी वाला बरा-चटनी, रसाज, बुंदेली व्यंजन में गोरस, बिजोरा, गुलगुला एवं राजस्थानी व्यंजन में जोधपुरी प्याज की कचौरी, मिर्ची बड़ा, छोले टिक्की, बिहारी व्यंजन में लिट्टी-चोखा, मराठी व्यंजन एवं सिंधी तथा भील एवं गोण्ड जनजातीय समुदाय के व्यंजन भी शामिल हैं। वहीं लोकराग के अंतर्गत नृत्य, गायन एवं कठपुतली प्रदर्शन की गतिविधियाँ प्रतिदिन दोपहर 2 बजे से रवींद्र भवन परिसर में आयोजित की जायेंगी।
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