मध्य प्रदेश के बहुचर्चित व्यापमं घोटाले के बाद संस्था का नाम बदलकर मप्र कर्मचारी चयन मंडल भले ही कर दिया मगर उसकी कार्यप्रणाली आज भी पुराने ढर्रे पर ही चल रही है। सरकारी नौकरी चयन के परिणामों की घोषणा के बाद एकबार फिर मंडल सवालों के घेरे में है। सरकारी नौकरी पाने वालों में एक ही परिवार के छह सदस्यों से लेकर एक ही सेंटर के टॉप 10 में सात अभ्यर्थियों के चयन हो जाने से परीक्षा पर शंका के बादल मंडरा रहे हैं। पढ़िये रिपोर्ट।
मध्य प्रदेश कर्मचारी चयन मंडल ने सरकारी नौकरी सम परीक्षक, पटवारी और अन्य पदों के लिए परीक्षा का आयोजन किया था जिसका परिणाम घोषित होने के बाद मंडल फिर चर्चा में है। इस परीक्षा में पटवारी के टॉप 10 की जो सूची जारी की गई है, वह कांग्रेस ने सोशल मीडिया पर वायरल करते हुए आरोप लगाया है कि इसमें दस में से सात एक ही सेंटर के हैं। सात चयनित पटवारी टॉप में एनआरआई कॉलेज ग्वालियर के हैं।
अरुण यादव ने टॉपर लिस्ट में शामिल सात अभ्यर्थियों के नाम पोस्ट किए
इनके बारे में कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव ने कहा है कि चयनित टॉप पटवारियों में पूजा शर्मा, पूनम राजावत, कृष्णा कुशवाह, पूजा रावत, मधुलता गढ़वाल, आकाश शर्मा और अंकिता मीणा के सेंटर एनआरआई ग्वालियर ही थे। यादव ने यह भी सवाल उठाया है कि जिन अभ्यर्थियों के अंग्रेजी में 25 में से 25 अंक आए हैं, उनमें से ज्यादातर के हस्ताक्षर ही हिंदी में हैं। यादव ने इस मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है।
सम परीक्षक में एक परिवार के छह सदस्यों के चयन के आरोप
वहीं, एक सोशल मीडिया पोस्ट में कर्मचारी चयन मंडल की सरकारी नौकरी भर्ती में घोटाले की बू आने का संदेह जताया है। इस सोशल मीडिया पोस्ट में कृष्णा कुमार पटेल, निकिता पटेल, सौरभ कुमार पटेल, कृष्णा पटेल, विजय पटेल और कृष्णकांत पटेल के नाम दिए हैं जिनके आगे रोल नंबर भी दिए गए हैं। किसी विनोद शर्मा ने यह फेसबुक पर यह पोस्ट की है और इसे मध्य प्रदेश में सरकारी नौकरी में एक और घोटाला बताया है।
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