संकट में अपनों को कांग्रेस का नहीं मिल रहा साथ, पढ़िए अब तक हालात के मारे नेताओं पर रिपोर्ट

मध्य प्रदेश में कांग्रेस 15 साल बाद सरकार में आई और 15 महीने में चली गई। पार्टी के नेता-कार्यकर्ताओं को सत्ता से बाहर रहने के कई विपरीत परिणाम झेलने पड़े जिनके चलते कई ने हालातों से समझौता कर कांग्रेस छोड़ दी और अभी ऐसे ही कुछ लोगों को संकट में फंस जाने पर पार्टी का साथ नहीं मिला। इनमें से कुछ पार्टी छोड़कर चले गए। पेश है संकट में फंसे ऐसे कांग्रेस नेताओं पर एक रिपोर्ट।

कांग्रेस 2003 के बाद 2018 में सत्ता में वापस लौटी थी लेकिन गुटीय राजनीति में सामंजस्य नहीं बैठ पाने से ज्योतिरादित्य सिंधिया अलग-थलग पड़ गए और उनके पार्टी समर्थक विधायकों के साथ भाजपा में जाने से तख्ता पलट हो गया। 17 साल से ज्यादा सत्ता से बाहर रहने के कारण कांग्रेस नेता व कार्यकर्ताओं की सामाजिक-आर्थिक रूप से कमर टूट सी गई है। इन हालातों में कई नेता घर बैठ गए हैं तो कई संघर्ष कर रहे हैं। कुछ नेता परिस्थितियों में संकट में फंसे और तब पार्टी की ओर से साथ नहीं मिल सका।
हालात में फंसे तो पार्टी छोड़ी
कमलनाथ के निकट माने जाने वाले बुंदेलखंड के नेता अरुणोदय चौबे कुछ समय पहले हालात के हाथों मजबूर हुए। उनके खिलाफ एक अपराधिक प्रकरण दर्ज होने के बाद जब पार्टी की तरफ से कोई मदद की उम्मीद नहीं दिखाई दी तो उन्होंने पार्टी ही छोड़ दी। चौबे स्थानीय राजनीति में कांग्रेस में होने की वजह से अलग-थलग पड़ गए थे।
पारिवारिक विवाद में फंसे तो कोई आगे नहीं आया
पूर्व नेता प्रतिपक्ष कांग्रेस की वरिष्ठ नेता जमुनादेवी के भतीजे उमंग सिंघार हाईकमान के नजदीक थे जो मध्य प्रदेश के उनके समकक्ष नेता की आंखों में किरकिरी बना हुआ था। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के खिलाफ पार्टी के भीतर अकेले लड़ाई लड़ने वाले सिंघार पारिवारिक विवाद में फंस गए तो पार्टी के भीतर की राजनीति में उन्हें ऐसा उलझाया गया कि आज वे परेशान हैं। उन्हें राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के मध्य प्रदेश में प्रवेश के कुछ दिन पहले ही उलझाकर राहुल गांधी से दूर रखने का प्रयास विरोधियों का सफल रहा।
पटेरिया प्रकरण गुटीय राजनीति का असर
हाल ही में पूर्व मंत्री राजा पटेरिया के पीएम नरेंद्र मोदी की हत्या संबंधी बयान को लेकर पार्टी का एक्शन इतना तत्पर दिखाई दिया कि कारण बताओ नोटिस तीन दिन का समय देकर उन पर निष्कासन की तलवार लटका दी गई। जबकि पटेरिया की गिरफ्तारी हो गई थी और उन्हें जमानत नहीं मिली थी, 14 दिन के रिमांड पर जेल भेज दिया गया था। पटेरिया दिग्विजय सिंह समर्थक रहे हैं। सिंह समर्थक माने जाने वाले पूर्व समाजवादी नेता व नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह उनके पक्ष में खुलकर बयान दे रहे हैं जबकि पार्टी उन्हें निष्कासन के लिए नोटिस जारी कर चुकी है।

पवई विधानसभा की टिकट की दावेदारी पर घमासान
पटेरिया के खिलाफ पार्टी के त्वरित एक्शन के पीछे भीतरी राजनीति का एक अन्य पक्ष है पवई विधानसभा में टिकट की दावेदारों के बीच प्रतिद्वंद्विता और इसमें पटेरिया व एक अन्य पूर्व मंत्री के बीच घमासान की स्थिति है। पटेरिया की गिरफ्तारी के बाद उनके समर्थकों अब जोश दिखाई दे रहा है।

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