श्रीअयोध्या की 300 वर्ष पुरानी मंडली ने किया रामायण का मंचित

भोपाल के रवींद्र भवन के मुक्ताकाश मंच पर आज से अंतरराष्ट्रीय रामलीला उत्सव शुरू हुआ जिसमें श्रीअयोध्या की 300 साल पुरानी मंडली ने रामायण का मंचन किया। अवध आदर्श रामलीला मंडल अयोध्या के कलाकारों द्वारा शिव पार्वती संवाद में भगवान शिव संपूर्ण रामकथा माता पार्वती को सुनाते हैं और अगला प्रसंग विश्वमोविनी स्वयंवर दिखाया गया जो नारदजी के अहंकार को बताता है। भगवान द्वारा माया के माध्यम से नारदजी के अहंकार को दूर किया गया और फिर महाराज दशरथ के यहां चार पुत्रों का जन्म होता है। बाल्यकाल के बाद चारों राजकुमार द्वारा गुरू वशिष्ठ से शिक्षा-दीक्षा ग्रहण करने शस्त्र विद्या सीखने का दृश्य रामलीला में दिखाया गया। रामलीला मंचन में ऋषि विश्वामित्र के आश्रम के आसपास असुरी वृत्तियों के प्रभाव को मारीच, सुबाहू तथा ताड़का वध के माध्यम से समाप्त करते हुए दिखाया गया।

मध्यप्रदेश शासन संस्कृति विभाग एवं भारतीय सांस्कृतिक सम्बन्ध परिषद् नई दिल्ली द्वारा अंतरराष्ट्रीय रामलीला उत्सव का आयोजन 22 अक्टूबर तक चलेगा। इसमें श्रीरामकथा के विविध प्रसंगों को मंचित किया जाएगा। उत्सव का शुभारंभ श्रीहनुमाल चालीसा पर आधारित चित्र प्रदर्शनी में श्रीराम, लक्ष्मण, माता सीता और हनुमान जी की सजीव झांकी के सम्मुख दीप प्रज्जवलित कर किया गया। रामलीला उत्सव के शुभारंभ के मौके पर संस्कृति मंत्री सुश्री उषा ठाकुर उपस्थित रहीं। हनुमान चालीसा के चालीस दोहों और उनके भावों को चित्रांकन के माध्यम से सार्थक अभिव्यक्ति प्रदान करने वाले वाराणसी के ख्यात चित्रकार सुनील विश्वकर्मा का शॉल-श्रीफल से सम्मान किया गया।

भगवानदास महाराज ने रामलीला आरंभ की
अवधधाम श्रीअयोध्या की सबसे पुरातन लीला मंडली अवध आदर्श रामलीला मण्डल ने लगभग तीन सौ वर्ष पूर्व जन-सामान्य में नैतिकता, धर्म-आचरण और मानुष्य वृत्तियों की शुचिता के प्रचार-प्रसार के उद्देश्य से स्वामी भगवानदास जी महाराज ने इस लीला को प्रारंभ किया। जिसे अन्य संतो-महंतों ने आगे बढ़ाया और महंत जयराम दास व्यास ने अपने अथक परिश्रम और श्रम से इस लीला को भारत के अलावा अन्य देशों के महत्वपूर्ण सांस्कृतिक-कला केंद्रों में प्रस्तुत किया। मीठी और रसपूर्ण अवधि बोली तथा पात्रों के जीवंत अभिनय ने लीला में अमिट छाप छोड़ी। वर्तमान में नवम्बर 2017 में महंत श्री जय राम दास जी का लोक गमन हो गया और तब से वर्तमान में उनके शिष्य महंत मनीष दास जी इस लीला का संचालन कर रहे हैं। मंडल की रामलीला का संगीत साहित्याचार्य स्वामी विंदु जी महाराज, आचार्य स्वामी व्याकुल जी महाराज एंव मृदंग महारिषि डा .स्वामी राम शंकर दास पागल दास जी महाराज ने दिया है। यह रामलीला मंडली एक पारंपरिक रामलीला मंडली है जिसमें लाइव संवाद, पारंपरिक परिधान और वेशभूषा, पारंपरिक शैली में कोई बदलाव नहीं किया गया है। संगीत नाटक अकादमी उत्तरप्रदेश से पुरुस्कार, मध्यप्रदेश शासन ने राष्ट्रीय तुलसी सम्मान, भारत रंग महोत्सव एनएसडी में वर्ष 2015 एंव 2017 में मंचन एवं भारत के अनेकों राज्य एवं संस्कृति विभाग के अनेकों आयोजनों में प्रस्तुति दे चुके हैं। इसके साथ साथ थाईलैंड, बैंकॉक, वर्ष 2012 एवं वर्ष 2019 में नैरोबी अफ्रीका एवं वर्ष 2021 में दुबई एक्सपो 2020 में भी अपनी प्रस्तुति दे चुके हैं।
श्रीहनुमान कथा की चौपाइयों और दोहों को 42 चित्रों में समेटा
उत्सव अंतर्गत पहली बार श्री हनुमान चालीसा आधारित “संकटमोचन” चित्र प्रदर्शनी का संयोजन किया गया है। श्रीहनुमान के महान चरित को पहली बार चित्रात्मक रूप से अभिव्यक्त करने का कार्य मध्यप्रदेश शासन, संस्कृति विभाग द्वारा किया गया है। चित्र सृजन का कार्य ख्यात चित्रकार श्री सुनील विश्वकर्मा-वाराणसी के द्वारा किया गया है। प्रदर्शनी में उनके द्वारा बनाये 42 चित्रों को प्रदर्शित किया गया है। श्री विश्वकर्मा की विशिष्टता भारतीय आध्यात्मिक चरितों को पूर्ण शुचिता के साथ अभिव्यक्त करने की रही है।
175 से अधिक शिल्पी
दीपावली के अवसर पर दीपोत्सव मेला अंतर्गत 175 से अधिक शिल्पी विविध माध्यमों के शिल्प एवं वस्त्र, टेराकोटा, बांस, लोहा, पीतल, तांबा एवं अन्य धातु से बने उत्पादों का प्रदर्शन और विक्रय किया गया। शिल्प मेले में मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, बिहार, गुजरात, छत्तीसगढ़, आंध्रप्रदेश, कश्मीर, दिल्ली एवं अन्य राज्यों के बुनकर और शिल्पकारों ने हिस्सा लिया है।
स्वाद- व्यंजन मेला
उत्सव अंतर्गत स्वाद- व्यंजन मेला में बघेली व्यंजन में पानी वाला बरा-चटनी, रसाज, बुंदेली व्यंजन में गोरस, बिजोरा, गुलगुला एवं राजस्थानी व्यंजन में जोधपुरी प्याज की कचौरी, मिर्ची बड़ा, छोले टिक्की, बिहारी व्यंजन में लिट्टी-चोखा, मराठी व्यंजन एवं सिंधी तथा भील एवं गोण्ड जनजातीय समुदाय के व्यंजन भी शामिल हैं। वहीं लोकराग के अंतर्गत नृत्य, गायन एवं कठपुतली प्रदर्शन की गतिविधियाँ प्रतिदिन दोपहर 2 बजे से रवींद्र भवन परिसर में आयोजित की जायेंगी।

सात दिवसीय उत्सव में किस-दिन क्या….
17 अक्टूबरः नाटक कला मंदिर ग्रुप- श्रीलंका के कलाकारों द्वारा श्रीराम- रावण काव्यम् एवं सुश्री मीरादास एवं साथी, भुवनेश्वर (उड़ीसा) द्वारा श्रीराम प्रेमभक्ति कथाः ओडिशा नृत्य
18 अक्टूबरः लास्या आर्ट्स अकादमी (मलेशिया) द्वारा रामायणम् तथा डॉ. लता सिंह मुंशी एवं साथी भोपाल द्वारा श्रीरामकथाः भरतनाट्यम नृत्य
19 अक्टूबरः खोन रामायण ग्रुप, थाइलैंड द्वारा श्रीरामकथा, उत्तर कमलाबाड़ी सत्र शंकरदेव क्रिस्टी संघ, माजुली (असम) द्वारा पुष्पवाटिका, धनुष यज्ञ, सीता स्वयंवर प्रसंग
20 अक्टूबरः श्रीरामलीला मंडल, उड्डुपी (कर्नाटक) द्वारा वनगमन, सीताहरण, जटायु प्रसंग
21 अक्टूबरः हिन्दू प्रचार केंद्र, त्रिनिदाद एंड टोबैगो के कलाकार द्वारा श्रीरामकथा, श्रीरघुनाथजी लीला प्रचार समिति, पुरी (उड़ीसा) द्वारा श्रीराम-सुग्रीव मित्रता, हनुमान-रावण संवाद एवं लंका दहन प्रसंग की प्रस्तुति दी जायेगी।
22 अक्टूबरः श्री सत्संग रामायण ग्रुप, फिजी द्वारा श्रीरामकथा एवं श्री आदर्श रामलीला मंडल, सतना (म.प्र) द्वारा लक्ष्मण शक्ति, मेघनाथ-रावण वध एवं श्रीराम राज्याभिषेक प्रसंग मंचित करेंगे।

लोकराग के अंतर्गत नृत्य, गायन एवं कठपुतली प्रदर्शन अंतर्गत दोपहर की प्रस्तुतियाँ
17 अक्टूबर को सुश्री उमा सक्सेना एवं साथी, भोपाल द्वारा बुन्देली गीतों में श्रीराम एवं श्री लीलाधर रैकवार एवं साथी, सागर द्वारा ढिमरियाई नृत्य प्रस्तुति
18 अक्टूबर को सुश्री शीला त्रिपाठी एवं साथी, भोपाल द्वारा बघेली गीतों में श्रीराम एवं श्री घूमन पटेल एवं साथी, दमोह द्वारा कानड़ा नृत्य प्रस्तुति
19 अक्टूबर को सुश्री संदीपा पारे एवं साथी, भोपाल द्वारा निमाड़ी गीतों में श्रीराम एवं श्री दिलीप मासूम एवं साथी, भोपाल द्वारा कठपुतली प्रस्तुति
20 अक्टूबर को सुश्री लता व्यास एवं साथी, भोपाल द्वारा मालवी गीतों में श्रीराम एवं श्री गणपत सखराम मसगे, महाराष्ट्र द्वारा कठपुतली प्रस्तुति
21 अक्टूबर को श्री अभिषेक निगम एवं साथी, उज्जैन द्वारा भक्ति गायन एवं श्री मनीष यादव एवं साथी सागर द्वारा बरेदी नृत्य प्रस्तुति

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