कलेक्ट्रेट से जुड़े दफ्तरों और पुलिस थानों में अवैध वसूली की घटनाएं तो अब सुनने में आम बात हो गई है लेकिन स्कूलों में वसूली यह अब भ्रष्टाचार का नया अड्डा सामने आया है। एक शिक्षक की स्कूल में फांसी लगाए जाने की घटना ने पूरे प्रदेश में बवाल मचा दिया है। आईए पढ़िए क्या है मामला।
मध्य प्रदेश के स्कूलों में वसूली होती है, यह खुलासा गुना जिले के एक शिक्षक की आत्महत्या से साबित हो गया। यहां बमोरी के एक शासकीय प्राथमिक स्कूल के शिक्षक धर्मेंद्र कुमार सोनी ने स्कूल भवन में ही फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली और सुसाइड नोट भी लिखकर छोड़ गया था। उसके पिता काशीराम सोनी ने बेटे की आत्महत्या को लेकर वरिष्ठ अधिकारियों को शिकायत की और लिखा कि उससे हर महीने रुपए की मांग की जाती थी। कभी 500 तो कभी 1000-1500 तो कभी 2500-5000 तक रुपए मांगे जाते थे। पुलिस ने सुसाइड जब्त कर जांच शुरू की तो विभाग ने वसूली के आरोपों पर जांच शुरू की।
जनशिक्षक से लेकर विकासखंड के शिक्षाधिकारी घेरे में
धर्मेंद्र सोनी की मौत ने स्कूल शिक्षा विभाग में मचे भ्रष्टाचार की पोल खोल तो पता चला कि उसमें जिले में लगभग हर स्तर पर वसूली के आरोप हैं। लोक शिक्षण संचालनालय के भोपाल मुख्यालय ने प्रथम दृष्टया विकासखंड के शिक्षाधिकारी राजीव यादव को घेरे में लिया तो लोक शिक्षण संचालनालय के ग्वालियर संभागीय कार्यालय ने गुना जिले के एक जनशिक्षक छतरसिंह लौधा को प्रथम दृष्टया आरोपी पाया है। अब इन दोनों को निलंबित कर दिया गया है।
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