फॉरेस्ट गार्ड मदनलाल 2 साल में भी नहीं पा सके शहीद का दर्जा, आज भी एक करोड़ का इंतजार

वनों और वन्य प्राणियों की सुरक्षा में जान की बाजी लगाने वाले देवास वन मंडल के रतनपुर फॉरेस्ट गार्ड मदनलाल वर्मा की 2 साल पहले शिकारियों की गोलियों से मौत के बाद सरकार ने उन्हें शहीद का दर्जा और एक करोड रुपए परिजनों को देने का ऐलान किया था मगर शनिवार को उनकी दूसरी बरसी है और आज तक ना उन्हें शहीद का दर्जा मिला ना ही उनके परिजनों को सरकार से 10000000 रुपए की पूरी राशि मिल पाई है. यह जरूर हुआ है कि वर्मा के बेटे जितेंद्र को सरकार ने अनुकंपा नियुक्ति देकर फॉरेस्ट गार्ड की नौकरी दी है. अब मदन लाल वर्मा के परिवार को सहित का दर्जा दिए जाने और करोड रुपए की राशि मिलने की आज भी उम्मीद है.

देवास वन मंडल के पुंजापुरा रेंज की बीट रतनपुरा के फॉरेस्ट गार्ड मदनलाल वर्मा की मौत 4 फरवरी 21 को कार्यों की गोली से हुई थी। इस घटना के 3 दिन बाद ही 7 फरवरी 2021 को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मदनलाल वर्मा की मौत पर दुख जताते हुए उनके परिजनों को ₹1करोड़, मकान, आशिक परिवार के एक सदस्य को नौकरी और शहीद के समकक्ष दर्जा देने की घोषणा की थी। मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद वन विभाग की ओर से दिवंगत वर्मा की पत्नी कृष्णा बाई को ₹10 लाख नकद और उसके बेटे जितेंद्र लाल वर्मा को फारेस्ट गार्ड की नौकरी तो मिल गई किंतु आज दिनांक तक न तो शहीद का दर्जा मिला और न ही उनकी पत्नी कृष्णाबाई को ₹1 करोड़ मिले। 4 फरवरी मदनलाल वर्मा की दूसरी पुण्यतिथि है। सरकार को वन विभाग की तरफ से दी जाने वाली मदनलाल वर्मा को 10 लाख की राशि के अलावा 10000000 रुपए अलग से देने थे जो आज तक परिजनों को नहीं मिले है.

इस संबंध में उज्जैन सर्किल के पदेन वन संरक्षक एवं एपीसीसीएफ मनोज अग्रवाल ने बताया कि हमने प्रस्ताव भी भेज दिया है और कई बार रिमाइंडर भी कर चुके हैं। आदतन स्थिति वन विभाग के संरक्षण शाखा से मिल सकती है। अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक (संरक्षण शाखा) अजीत श्रीवास्तव ने बताया कि 3 महीने से प्रस्ताव शासन के पास विचाराधीन है। दिवंगत फॉरेस्ट गार्ड वर्मा की पत्नी कृष्णाबाई वर्मा ने 3 नवंबर 22 को सीएम हेल्पलाइन के जरिए अपनी फरियाद मुख्यमंत्री तक पहुंचाई है। कृष्णाबाई को उम्मीद है कि संवेदनशील मुख्यमंत्री उनकी फरियाद पर जरूर ध्यान देंगे। यह बात अलग है कि कृष्णाबाई वन मंत्री से लेकर देवास के प्रभारी मंत्री तक कई आवेदन दे चुकी हैं किंतु हर जगह निराशा ही मिली है।

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