मध्य प्रदेश पुलिस के रिकॉर्ड को वायरल करने का एक मामला पिछले दिनों हुआ लेकिन वह पुलिसकर्मियों के आपसी विवाद में दब गया है। शराब के नशे में जिस पुलिस मुख्यालय अधिकारी ने वर्दीधारी की पिटाई की थी, उसके सीसीटीवी फुटेज पुलिस के रिकॉर्ड के महत्वपूर्ण दस्तावेज थे लेकिन उन्हें वायरल कर सार्वजनिक कर दिया गया। इससे घटना तो सामने आ गए लेकिन पुलिस रिकॉर्ड को लीक करने वाला कौन था, सवाल क्या उसका अपराध नहीं बनता। पढ़िये हमारी रिपोर्ट।
भोपाल में रविवार की रात को दो पुलिस वालों के बीच मारपीट की घटना हुई थी जिसमें एक वर्दीधारी है और दूसरा पुलिस मुख्यालय की सीआईडी शाखा में निरीक्षक है। पीएचक्यू के अधिकारी के खिलाफ पुलिस एक्शन कराने के लिए जिला पुलिस के रिकॉर्ड का महत्वपूर्ण दस्तावेज सीसीटीवी फुटेज सोमवार को वायरल किया गया। इसके बाद मीडिया की सुर्खियां बनीं और बवाल मचा तो पीएचक्यू के अधिकारी के खिलाफ एफआईआर दर्ज हो गई और उसी शाम को सीआईडी के विशेष पुलिस महानिदेशक जीपी सिंह ने निरीक्षक को सस्पेंड कर दिया।
सीसीटीवी फुटेज वायरल करने की जांच नहीं
वहीं, दूसरी तरफ इस पूरे घटनाक्रम में पुलिस ने यह मामला दबा दिया कि आखिर पुलिस के रिकॉर्ड वाले सीसीटीवी फुटेज वायरल किसने किए। पुलिस के ही किसी कर्मचारी के सहयोग के बिना ये सीसीटीवी फुटेज लीक होने का संभव नहीं है तो किस पुलिसकर्मी ने इन्हें वायरल करने में मदद की, यह जानने में पुलिस अफसर भी उत्सुक नहीं है। अब देखना यह है कि पुलिस मामले से जुड़े सीसीटीवी फुटेज लीक करने वाले मामले की तह तक जाने के लिए क्या एक्शन लेती है।
Leave a Reply